नई दिल्ली: असम खाद्य और नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद, बीजेपी नेता राजेन गोहेन ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर “ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के साथ हाथ मिलाने” का आरोप लगाया.
गोहेन ने शुक्रवार को इस्तीफा नगांव (अब ऑर्गोंग) लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन के विरोध में दिया था, जिसका वे चार बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
शनिवार को दिप्रिंट से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री गोहेन ने कहा कि वह “नागांव सीट के परिसीमन के पीछे के तर्क को समझने में विफल रहे, और सीएम ने यह लोकसभा सीट (अल्पसंख्यक नेता) बदरुद्दीन अजमल को क्यों दी है और दोनों के बीच क्या समझौता है, यह समझ से परे है.”
असम में संसदीय और विधानसभा सीटों के परिसीमन पर चुनाव आयोग (ईसी) का अंतिम आदेश बुधवार से लागू हो गया.
गोहेन के अनुसार, नागांव में नौ विधानसभा क्षेत्र शामिल थे जिनमें स्वदेशी असमिया लोगों का वर्चस्व था. उन्होंने कहा, “परिसीमन के बाद, नागांव की चार विधानसभा सीटों को काजीरंगा लोकसभा सीट के अंतर्गत डाल दिया गया है. इसके कारण इस सीट की जनसांख्यिकी बदल गई है और यह ‘अल्पसंख्यक बहुल’ सीट हो गई.”
उन्होंने आगे कहा, “मैं इसके पीछे के तर्क को समझने में असफल हूं. जनसांख्यिकीय बदलावों के कारण नागांव निर्वाचन क्षेत्र भविष्य में बीजेपी के लिए अजेय हो गया है.”
गोहेन ने सरमा को लिखे अपने त्यागपत्र में भी यही आरोप लगाया था और कहा था कि “आपके साथ कई दौर की चर्चा के बावजूद, मुझे डर है कि नगांव लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के गठन के तरीके पर मेरी चिंताओं और गहरे असंतोष के कारण कोई बदलाव नहीं आया.” दिप्रिंट के पास उनके त्यागपत्र की एक प्रति है.
बीजेपी नेता ने आगे लिखा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपनी चिंताओं से अवगत कराया था और उन्होंने “मुझसे लिखित रूप में सिफारिशें देने के लिए कहा था”.
उन्होंने कहा, “मैंने अगले ही दिन ऐसा किया लेकिन दुर्भाग्य से इसका कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला. मैं ठगा हुआ और लगभग अपमानित महसूस कर रहा हूं कि मेरे जैसे वरिष्ठ सदस्य की पार्टी के हित के लिए वास्तविक चिंता पर उनकी ही पार्टी के नेताओं ने नहीं सुनी.”
गोहेन द्वारा अपने असंतोष को सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने से असम में बीजेपी के कैडर में तनाव भी सामने आ गया है, जिस राज्य में वह असम गण परिषद (एजीपी) और यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ गठबंधन कर सरकार चला रही है.
दिप्रिंट से बात करते हुए गोहेन ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘एक व्यक्ति को दी गई पूर्ण शक्ति’ ने ‘राज्य इकाई में असंतुलन’ पैदा कर दिया है.
यह दावा करते हुए कि असम बीजेपी का निर्माण “हमारे पसीने और खून से” किया गया है, उन्होंने कहा, “मैं उस बीजेपी के खिलाफ नहीं जा रहा हूं, जिसे हमने अपने पसीने और खून से बनाया है. लेकिन नगांव निर्वाचन क्षेत्र दूसरी पार्टी को सौंप दिया गया है.”
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, “मैंने कई बार नागांव निर्वाचन क्षेत्र पर अपना असंतोष व्यक्त किया है. सरमा कहते हैं कि उन्होंने कहा था कि वह असमिया समुदाय की संस्कृति और हिंदुत्व की रक्षा करेंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है. केवल यह कहना कि हमें (बीजेपी को) ‘मिया’ (मुस्लिम) समुदाय के वोटों की जरूरत नहीं है, पर्याप्त नहीं है.”
गोहेन के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर, असम बीजेपी के प्रवक्ता पाबित्रा मार्गेरिटा ने दिप्रिंट से कहा: “हमने अभी तक किसी भी पार्टी मंच पर नागांव के परिसीमन पर चर्चा नहीं की है. एक बार चर्चा होने पर हमें चिंताओं का पता चल जाएगा.”
चुनाव आयोग की परिसीमन अधिसूचना ने असम के राजनीतिक हलकों में व्यापक असंतोष पैदा कर दिया है, विपक्षी कांग्रेस और एआईयूडीएफ ने चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ बीजेपी के प्रति पूर्वाग्रह का आरोप लगाया है.
चुनाव पैनल ने 11 अगस्त को असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें उनकी कुल संख्या क्रमशः 126 और 14 पर अपरिवर्तित रखी गई. इसने 19 विधानसभा क्षेत्रों और एक संसदीय क्षेत्र के नामकरण को भी संशोधित किया.
उन्नीस विधानसभा और दो लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किए गए हैं, जबकि एक लोकसभा क्षेत्र और नौ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किए गए हैं.
एआईयूडीएफ ने पिछले साल आरोप लगाया था कि, परिसीमन प्रक्रिया के माध्यम से सरकार का “इरादा केवल मुस्लिम बहुल सीटों की आबादी के साथ छेड़छाड़ करना है”.
इस महीने की शुरुआत में, एजीपी के वरिष्ठ विधायक प्रदीप हजारिका ने अंतिम परिसीमन रिपोर्ट में अपनी अमगुरी सीट खत्म होने पर अपनी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था.
एजीपी मंत्री अतुल बोरा ने मीडिया को बताया कि “हमारे कुछ सुझावों (परिसीमन पर) पर ध्यान दिया गया लेकिन कई पर ध्यान नहीं दिया गया. हालांकि, यह पार्टी या असम सरकार द्वारा नहीं किया गया है.
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‘पूरी शक्ति एक व्यक्ति के पास है’
गोहेन ने दावा किया कि असम में बीजेपी का उदय तब शुरू हुआ जब उन्होंने नागांव संसदीय क्षेत्र (1999 में) जीता और 2000 के दशक की शुरुआत में पार्टी के असम अध्यक्ष बने.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2014 में एजीपी के साथ बीजेपी का गठबंधन था जिसके कारण नगांव में पार्टी की हार हुई, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास चली गई. गोहेन को पिछले आम चुनाव में पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था.
गोहेन ने दिप्रिंट को बताया, “अगर वह (सरमा का संभावित संदर्भ, हालांकि उन्होंने उसका नाम नहीं लिया) मुझे टिकट नहीं देना चाहते हैं, तो ठीक है, लेकिन बीजेपी को हराने के लिए काम न करें.”
उन्होंने आगे कहा, “हमने पसीने से पार्टी को खड़ा किया है, जब पार्टी का असम में कोई प्रभाव तक नहीं था. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल में मैंने प्रदेश से पहला राज्यसभा सांसद भेजा. लेकिन आज, पार्टी का पूरा पावर एक व्यक्ति के पास है. कोई जांच और संतुलन नहीं है. यह पार्टी के लिए हानिकारक है.”
गोहेन ने आगे आरोप लगाया कि राज्य इकाई की स्थिति उसके नेतृत्व का परिणाम है जिसे “पार्टी के अन्य सदस्यों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए”.
उन्होंने कहा, “जब नेता पार्टी सदस्यों की बात नहीं सुनते हैं तो चीजें बिगड़ना तय है.”
वर्तमान असम बीजेपी नेतृत्व के बारे में पूछे जाने पर, गोहेन ने कहा: “मैं यह नहीं कह रहा हूं कि (इकाई प्रमुख) भाबेश कलिता सक्षम नहीं हैं, हालांकि वह स्वतंत्र रूप से कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ हैं.”
गोहेन असम के कई अन्य बीजेपी नेताओं में से हैं, जिन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था और जो अब 2024 के आम चुनाव से पहले आशंकाएं व्यक्त कर रहे हैं.
(संपादन: ऋषभ राज)
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