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Sunday, 12 May, 2024
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आलू की कीमतों में गिरावट, किसानों की परेशानी के बावजूद BJP के पक्ष में क्यों हैं मथुरा की जनता

मथुरा शहर यूपी में कठिनाई का सामना कर रहे आलू की खेती वाले इलाके का हिस्सा है लेकिन इसकी व्यापक पहचान कृष्ण जन्मभूमि के साथ गहराई से जुडी है और यहां के मतदाता मोदी को अभी भी अपने तारणहार के रूप में देखते हैं.

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मथुरा: आलू की जोरदार पैदावार वाली फसल के बाद इसकी गिरती कीमतों ने मथुरा- जो उत्तर प्रदेश के विशालकाय आलू बेल्ट के अंतर्गत आता है- में निराशा की लहर पैदा कर दी है. परंतु, कृषि संकट और इलाके में व्याप्त बेरोजगारी के बावजूद, कई स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे अभी भी भाजपा पर भरोसा करते हैं और ‘हिंदू गौरव’ और ‘राष्ट्रीय हित’ के पक्ष में मतदान करेंगे.

सूर्य नगर मंडी आलू के समुद्र जैसा दिखता है. वहां आलुओं से लदे हुए कई ट्रक खड़े हैं और वहां रखे कट्टे (बैग्स) भी इन्हीं से अटे पड़े हैं.

दुर्भाग्यवश, इससे मिलने वाला फायदा बहुत अधिक नहीं है क्योंकि आलू की थोक कीमतें कई महीनों से 5 से 6 रुपये के निराशाजनक स्तर पर बनी हुई हैं, जबकि एक साल पहले यही भाव कम-से-कम 8 या 9 रुपये था. आगरा और मथुरा से लेकर कानपुर और इटावा तक फैले हुए यूपी के आलू बेल्ट (जो देश में आलू की कुल पैदावार का 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखता है) के लिए यह एक चिंताजनक परिदृश्य है, खासकर तब जब इसके साथ डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि, डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट फर्टिलाइजर) की आपूर्ति में कमी और बढ़ती महंगाई जैसे समस्याएं भी हों.

सूर्य नगर मंडी में आलू बेचने आए एक छोटे किसान उमर पाल ने बताया कि मौजूदा दरों पर उत्पादन लागत की भरपाई करना भी मुश्किल है. उन्होंने कहा, ‘हम किसान गहरे संकट में हैं.’

एक अन्य किसान, मोहम्मद अनवर, जो उमर पाल की ही तरह 15-20 बीघा जमीन पर आलू की खेती करते हैं, ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘उत्पादन की लागत कम-से-कम 10 रुपये प्रति किलो है, लेकिन हमें जो भाव मिल रहा है वह सिर्फ 200-250 रुपये प्रति कट्टा है. एक कट्टा में लगभग 50 किग्रा आलू होता है जिसका अर्थ है कि मथुरा में किसानों को फिलहाल प्रति किग्रा 5 रुपये या उससे कम का ही भाव मिल रहा है.‘

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उन्होंने कहा, ‘यहां और कोई काम नहीं है… रोजगार के लिए कोई फैक्ट्रियां अथवा सरकारी योजनाएं भी नहीं हैं. आलू की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए सरकार के पास कोई तंत्र नहीं है. हमें फसलों को कोल्ड स्टोरेज में रखने, उनके परिवहन में लगे ईंधन की कीमन का भुगतान करने, खाद खरीदने आदि का खर्च भी उठाना पड़ता है.’ अनवर ने आगे कहा, ‘मैं तो समाजवादी पार्टी को वोट दूंगा.’

हालांकि मथुरा आलू की खेती वाली भूमि हो सकती है, लेकिन इसकी व्यापक पहचान कृष्ण जन्मभूमि की धरती के साथ गहराई से जुडी है. इस क्षेत्र के कई हिंदू मतदाता अभी भी इस धार्मिक विरासत के संरक्षक के रूप में भाजपा पर भरोसा करते हैं.

इस इलाके में, जहां के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से चार पर भाजपा का कब्जा है, भाजपा ने अपना चुनाव अभियान मथुरा में एक ऐसे भव्य मंदिर के निर्माण के वादे पर केंद्रित कर रखा है, जो अयोध्या और काशी में बन रहे मंदिरों के समान ही होगा.


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‘हमारे पास भाजपा को वोट देने के अलावा कोई चारा नहीं’

पिछले कुछ सालों से कृष्णा जन्मस्थान मंदिर परिसर के पास स्थित कृष्णा गली के साथ बने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का कारोबार भी मंदा ही रहा है. डीएस सोलंकी, जो यहां एक गेस्टहाउस चलाते हैं, ने कहा कि कोविड लॉकडाउन ने उनके व्यवसाय को ‘बर्बाद’ कर दिया था और पिछले कुछ सालों में यहां के बुनियादी ढांचे में बहुत कम प्रगति हुई है. फिर भी उनका कहना है कि इस सब से भाजपा के प्रति उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है.

सोलंकी ने कहा, ‘वोट तो हमें भाजपा को ही देना होगा. हमें देशभक्ति के लिए वोट करना है. हिंदुओं के लिए यह एकमात्र पार्टी है.’

रामपाल सिंह, जिनकी उसी इलाके में एक दुकान है और जो भाजपा कार्यकर्ता भी हैं, ने कहा कि स्थानीय प्रशासन बहुत अच्छा नहीं है लेकिन मोदी अभी भी मथुरा की सबसे अच्छी उम्मीद हैं.

रामपाल सिंह ने कहा, ‘यहां कोई स्थानीय विकास नहीं हुआ है क्योंकि हमारे विधायक हर समय लखनऊ में होते हैं, लेकिन फिर भी हम भाजपा को ही वोट देंगे. वे मंदिर का जीर्णोद्धार करेंगे और इससे अंततः हमारे व्यवसायों को ही मदद मिलेगी. मोदी देश के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और उन्होंने गरीबों के लिए कई योजनाएं भी चलाई हैं… स्थानीय प्रतिनिधि ही काम नहीं कर रहे हैं.’

डीएस सोलंकी (बाएं) और रामपाल सिंह (मध्य) मानते हैं कि मोदी ही उनकी एकमात्र पसंद हैं | फोटो: उन्नति शर्मा/दिप्रिंट

चुनाव से पहले भाजपा नेताओं ने मथुरा मंदिर मुद्दे पर खासा ध्यान दिया है.

पिछले महीने, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अमरोहा में दिए गए एक भाषण के दौरान इस मुद्दे को उठाया था. तब सीएम योगी ने कहा था, ‘अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, काशी में भगवान शिव का मंदिर बन रहा है. ऐसे में मथुरा और वृंदावन को कैसे पीछे छोड़ा जा सकता है?’

कुछ हफ्ते पहले, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य, जिनके बारे में माना जाता है कि उनका आदित्यनाथ के साथ सत्ता पर पकड़ को लेकर विवाद चल रहा है, ने कहा था कि मथुरा में एक ‘भव्य मंदिर’ बनाया जाएगा. उनका यह बयान तब आया था जब अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने घोषणा की थी कि वह मंदिर के पास वाली मस्जिद में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करेगी और इसके बाद सांप्रदायिक अशांति की आशंका की वजह से मथुरा में धारा 144 लागू कर दी गई थी.

भाजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी के आलाकमान को मौर्य को अपने हिंदुत्ववादी सुर को नीचे करने के लिए कहना पड़ा था.

हालांकि, भले ही मथुरा हिंदुत्व की राजनीति का एक महत्वपूर्ण केंद्रबिंदु है, मगर यहां का राजनीतिक परिदृश्य जितना लगता है उससे कहीं अधिक जटिल है.


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पांच सीटों के लिए लड़ाई

फिलहाल मथुरा लोकसभा क्षेत्र की पांच में से चार विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है.

भाजपा के श्रीकांत शर्मा द्वारा चार बार के विधायक प्रदीप माथुर से यह सीट छीन लिए जाने से पहले, साल 2017 तक, मथुरा विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ था. गृह मंत्री अमित शाह के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ ने भी शर्मा के लिए प्रचार किया है, लेकिन शर्मा- जो यूपी के ऊर्जा मंत्री भी हैं- के खिलाफ यहां सत्ता विरोधी भावनाएं (एंटी-इंकमबेंसी सेंटीमेंट्स) व्याप्त हैं, क्योंकि मथुरा के मामलों में उनकी कथित तौर पर कोई संलिप्तता नहीं रही है.

आलू की खेती वाले किसान राजेश माथुर ने कहा कि वह कांग्रेस के प्रदीप माथुर को वोट देंगे क्योंकि शर्मा एक ‘पैराड्रॉप कैंडिडेट’ (बाहर से लाये गए उम्मीदवार) हैं.

राजेश माथुर ने कहा, ‘वह हेमा मालिनी (जो मथुरा से लोकसभा सांसद हैं) की तरह ही हैं जो कभी मदद के लिए नहीं आती हैं. यमुना नदी की सफाई नहीं हुई है और वृंदावन से मथुरा तक चार लेन की सड़क का निर्माण भी नहीं किया गया है.’

मगर शर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया. उन्होंने अपने कार्यकाल के बारे में कहा कि ‘मथुरा में बिजली की निर्बाध आपूर्ति हुई है, ब्रज क्षेत्र का विकास नई ऊंचाईयों पर पहुंचा है.’

उन्होंने कहा, ‘सड़कों के निर्माण से लेकर यमुना की सफाई तक, हमने विकास में नई ऊंचाईयां स्थापित की हैं.’

छाता विधानसभा क्षेत्र जाट-ठाकुर वोटरों के बहुमत वाली सीट है और यहां से मौजूदा विधायक और राज्य सरकार में मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण सिंह फिर से चुनावी दौड़ में हैं. गोवर्धन और बलदेव में भी जाट समुदाय का दबदबा है, जिनके बारे में माना जा रहा है कि हाल-फिलहाल के कृषि कानूनों वाले विवाद के मद्देनजर वे वर्तमान में भाजपा के प्रति अनुकूल झुकाव नहीं रखते हैं.

मगर, इस क्षेत्र में सबसे दिलचस्प सीट मांट है, जो इस इलाके की एकमात्र ऐसी सीट है जिसे पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने नहीं जीता था. यहां के वर्तमान विधायक श्याम सुंदर शर्मा हैं, जिन्होंने 1989 से इस सीट पर कब्जा कर रखा है. आठ बार के विधायक शर्मा फिलहाल बसपा में हैं, लेकिन उन्होंने निर्दलीय रूप में और कांग्रेस तथा तृणमूल के झंडे तले भी चुनाव लड़ा है, यहां तक कि राम जन्मभूमि आंदोलन और मोदी लहर भी उनकी लोकप्रियता को हिला नहीं पाए थे.

इन पांचों सीटों पर यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होना है.

मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि परिसर का प्रवेश द्वार | फोटो: उन्नति शर्मा/दिप्रिंट

सत्ता विरोधी लहर और जाट समुदाय की पार्टी से नाराजगी को दूर करने के लिए इस पूरी पट्टी में भाजपा का प्रचार अभियान ‘मथुरा के गौरव’, कानून और व्यवस्था की बहाली, मोदी सरकार द्वारा किये गए विभिन्न ‘कार्यकलापों’ (जैसे राम मंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को निरस्त करना) और स्वास्थ्य एवं किसान कल्याण के लिए लागू की जा रहीं सरकारी योजनाओं (जैसे कि पीएम किसान निधि) जैसे मुद्दों पर केंद्रित हैं.

इस बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) गठबंधन, जाटों और मुसलमानों के बीच से समर्थन जुटाने के प्रयासों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है. रालोद के एक सूत्र ने कहा, ‘इस इलाके की आबादी में इनकी संख्या क्रमश: 20 फीसदी और 19 फीसदी है.’

धीमे चल रहे चुनाव अभियान के बावजूद मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को अभी भी इस क्षेत्र में दलितों का समर्थन प्राप्त है. जाटव समुदाय बहुल गांव देहुरुआ में अधिकांश मतदाताओं ने कहा कि वे बसपा का समर्थन करते हैं. हालांकि यहां भी भाजपा ने अपनी कुछ हद तक पैठ बना ली है. मल्लाह समुदाय के एक किसान ने कहा, ‘मोदी की बदौलत मेरी पेंशन बढ़ गई है’, हालांकि उनके ही कुछ अन्य साथी इस बात से सहमत नहीं दिखे.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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