चंडीगढ़: पंजाब के बठिंडा जिले में सोमवार को एक प्री-प्राइमरी टीचर्स यूनियन की नेता वीरपाल कौर सिद्धाना को स्कूल में बच्चों को पढ़ाते समय पुलिस की निगरानी में रहना पड़ा. पुलिस को आशंका थी कि वे लुधियाना में मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यक्रम में विरोध प्रदर्शन कर सकती हैं.
मंगलवार को जैसे ही सिद्धाना का वीडियो और तस्वीरें वायरल हुईं, जिसमें वह क्लासरूम में बच्चों को पढ़ा रही हैं और पुलिसकर्मी पास में बैठे हैं, विपक्ष ने आम आदमी पार्टी सरकार पर विरोध की आवाज़ें दबाने का आरोप लगाया.
वीरपाल कौर सिद्धाना ने मीडिया से कहा, “मैं लुधियाना जाने का कोई प्लान नहीं बना रही थी. पुलिस सुबह 6 बजे मेरे घर आ गई और मुझे हिरासत में ले लिया. फिर वे मुझे स्कूल ले गए और वहीं मेरे साथ बैठे रहे जब तक मुख्यमंत्री का लुधियाना वाला कार्यक्रम दोपहर 2 बजे खत्म नहीं हो गया.”
उन्होंने आगे कहा, “मैं जानबूझकर कुछ बच्चों के साथ क्लास में बैठी ताकि वे पुलिस की मौजूदगी से डर न जाएं. कानून के मुताबिक पुलिस स्कूल में अंदर नहीं आ सकती. पिछले 20 सालों में मैंने किसी सरकार को ऐसा करते नहीं देखा.”
वीरपाल कौर शहीद किरणजीत कौर प्री-प्राइमरी असोसिएट अध्यापक यूनियन, पंजाब की अध्यक्ष हैं. यह यूनियन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की सेवा नियमित करने की मांग कर रही है.
विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि “स्कूल में पुलिस भेजना दिल्ली मॉडल की शिक्षा क्रांति है, जो अब बच्चों और अध्यापकों को डरा रही है.”
उन्होंने एक्स पर लिखा, “सिर्फ इसलिए कि वह नौकरी पक्की करने की मांग कर सकती थीं? और मज़ेदार बात ये है कि वो वहां जाने वाली भी नहीं थीं!”
Fail आप government
— Sarabjit Singh (@Sarabji82328952) August 5, 2025
कांग्रेस नेता परगट सिंह ने एक्स पर लिखा कि विरोध करने वालों को हिरासत में लेने की सरकार की प्रवृत्ति “खतरनाक और तानाशाही वाला रुख” है.
वहीं, अकाली दल के नेता परंबंस सिंह रोमाना ने इस पूरे मामले को “मान सरकार पर एक शर्मनाक दाग” बताया.
The true face of #Badlav and #SikhyaKranti ….police enters a pre-primary classroom in a govt school in Bathinda to prevent a teacher from joining a protest against the govt ‼️@ArvindKejriwal and @BhagwantMann do you realise the effect on such young impressionable minds when… pic.twitter.com/ooy0muPAm3
— Parambans Singh Romana (@ParambansRomana) August 5, 2025
पंजाब सरकार ने अब तक इस पूरे मामले पर कोई सफाई नहीं दी है. दिप्रिंट ने आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग से इस संबंध में टिप्पणी के लिए संपर्क किया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला.
हालांकि, लुधियाना के जिस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नशाखोरी पर रोक लगाने के लिए वार्ड और गांव रक्षा समितियों की शुरुआत की, वहीं उन्होंने पिछली सरकारों पर विरोध की आवाज़ों को दबाने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “अकाली राज में जब नेता गांवों में आते थे, तो लोग हाथ जोड़कर चुपचाप बैठ जाते थे. फिर 2014 में जब मैं सांसद बना, तो मैंने लोगों से कहा कि नेताओं से सवाल पूछो. पंजाब के कुछ सांसदों ने तो मुझसे शिकायत की कि मैंने उनका गांवों में गाड़ियों से उतरना मुश्किल कर दिया है, क्योंकि लोग अब सवाल पूछते हैं.”
“यह बदलाव है…मैं जवाबदेह हूं और मुझसे कुछ भी पूछा जा सकता है…एक बार सुनाम में किसी ने सुखदेव सिंह ढींढसा से सार्वजनिक कार्यक्रम में सवाल पूछने की हिम्मत की, तो उसे तुरंत पकड़कर ले जाकर बंद कर दिया गया.”
बठिंडा स्कूल की यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब सिर्फ एक हफ्ता पहले, 31 जुलाई को सुनाम में शहीद ऊधम सिंह की पुण्यतिथि पर भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में एक प्रदर्शनकारी को पुलिस ने कार्यक्रम स्थल से हटा दिया था.
कार्यक्रम में जब वह व्यक्ति, जो दर्शकों के बीच बैठा था, खड़ा होकर ‘646 ETT’ लिखा एक बैनर दिखाने लगा — यह प्रशिक्षित शिक्षकों के एक संगठन का जिक्र था जो सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं — तो उसे तुरंत पुलिस ने घेर लिया.
सरकार की सख्ती
31 जुलाई की सुबह, ‘646 ETT’ यूनियन के नेताओं ने दावा किया कि सरकार के खिलाफ प्रदर्शन रोकने के लिए कई सदस्यों को नजरबंद कर दिया गया.
यहां तक कि ऊधम सिंह के कुछ रिश्तेदारों, जिन्हें 31 जुलाई के कार्यक्रम में बुलाया गया था, उन्होंने भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल से सरकारी नौकरी की मांग करेंगे, तो उन्हें मंच से उतारकर घंटों एक कमरे में बैठा दिया गया.
शहीद ऊधम सिंह की बहन आस कौर के पोते जीत सिंह ने दिप्रिंट से सोमवार को बताया, “कार्यक्रम के लिए मुझे सम्मानित करने का कार्ड भेजा गया था. शुरुआत में मंच पर बैठाया गया, लेकिन जब ड्यूटी पर तैनात एसडीएम को बताया कि मैं अपने बेटे के लिए नौकरी से जुड़े लंबित मामले पर ज्ञापन देना चाहता हूं, तो पुलिस ने मंच से नीचे उतारकर एक कमरे में बैठा दिया.”
उन्होंने आगे कहा, “एसडीएम खुद ही ज्ञापन ले सकते थे. 1974 में जब लंदन से ऊधम सिंह का शव भारत लाया गया था, तब मैंने अपनी दादी के साथ उनका अंतिम संस्कार किया था. आज पंजाब सरकार हमें इसी तरह सम्मान दे रही है.”
उनके बेटे जग्गा सिंह, जो अपने पिता की खोज में गए थे, उन्हें भी उसी कमरे में बैठा दिया गया. उन्होंने कहा, “हमें बताया गया कि केजरीवाल और मान हमसे मिलने आएंगे और मेरी नौकरी पर बात होगी, लेकिन कोई नहीं आया. सरकार को अगर हमें इस तरह बेइज्जत ही करना था, तो गोली मार देते तो बेहतर होता.”
जग्गा सिंह ने बताया कि 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें सरकारी नौकरी का वादा किया था, लेकिन तब से अब तक किसी सरकार ने उसे पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा, “मैं एक कपड़े की दुकान में काम करता हूं और मेरा बड़ा भाई पेंटर है.”
जब इस मामले में संगरूर के डिप्टी कमिश्नर वीरज श्यामकर्ण तिडके से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि उन्हें शिकायत मिली है और वे जांच कर रहे हैं.
कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने एक्स पर पोस्ट कर शहीद ऊधम सिंह के परिजनों के साथ हुए व्यवहार की निंदा की. उन्होंने लिखा, “@BhagwantMann जैसे नकली क्रांतिकारियों की सच्चाई, जो शहीद ऊधम सिंह जी के नाम का राजनीतिक फायदा उठाते हैं, लेकिन उनके जीवित परिवारजनों का अपमान करते हैं.” खैरा ही पहले नेताओं में से थे जिन्होंने बठिंडा वाले घटना की ओर ध्यान दिलाया.
रविवार को संगरूर में मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे कंप्यूटर अध्यापकों को पुलिस ने कथित रूप से धक्का-मुक्की कर रोका. एक अगस्त को फाजिल्का के अर्णीवाला गांव में मान और केजरीवाल की मौजूदगी वाले कार्यक्रम से पहले लगभग 50 बेरोज़गार शिक्षकों को पुलिस ने मौके से हिरासत में ले लिया. ये शिक्षक सीएम के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे थे. मुख्यमंत्री और केजरीवाल वहां एक ‘स्कूल ऑफ एमीनेन्स’ का दौरा करने पहुंचे थे.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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