वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.
जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान एक ‘संगठित भाजपा परिवार’ की तरह रहने और भाजपा शासित राज्यों के ‘सर्वश्रेष्ठ शासन मॉडल’ देश को सामने रखने पर जोर दिया, खासकर उन सात राज्यों में जहां अगले साल चुनाव होने वाले हैं. इसमें उत्तर प्रदेश, गोवा, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात शामिल हैं.
इनमें से छह राज्यों में भाजपा सत्ता में है.
भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि इस कॉन्फ्रेंस के अलावा मंगलवार और बुधवार को मुख्यमंत्रियों के लिए निर्धारित यात्रा कार्यक्रम की जो रूपरेखा बनाई गई, उसका उद्देश्य हिंदू जनजागरण के संदेश को लोगों तक पहुंचाना है.
कॉन्फ्रेंस में असम, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया. यह कॉन्फ्रेंस मंगलवार सुबह शुरू होकर दोपहर 3 बजे तक चली.
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‘सुशासन’ पर दिया प्रेजेंटेशन
मुख्यमंत्रियों की कॉन्फ्रेंस में प्रत्येक मुख्यमंत्री को ‘सुशासन’ पर एक प्रेजेंटेशन देने और अपने किसी एक ऐसे प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया था जिसने उनके राज्यों के जीवन में कोई बड़ा बदलाव किया हो.
सभी मुख्यमंत्री सोमवार देर रात तक अपने-अपने प्रेजेंटेशन को अंतिम रूप देने में जुटे रहे.
कॉन्फ्रेंस में शामिल 12 मुख्यमंत्रियों में सबसे लंबे समय तक इस पद पर काम करने का अनुभव रखने वाले शिवराज सिंह चौहान ने दिप्रिंट को बताया कि ‘एजेंडा हमारी तरफ से अपने राज्यो में किए गए सबसे अच्छे कार्यों को सबके सामने रखना और प्रधानमंत्री की तरफ से तमाम बाधाएं दूर करके परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए सुझाव देने पर केंद्रित था.’
एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि इस दौरान महामारी की स्थिति पर भी चर्चा की गई, जिसमें इस पर भी बात हुई कि ओमीक्रॉन वैरिएंट पर और अधिक आक्रामक तरीके से कैसे काबू पाना है.
भाजपा नेता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री चाहते हैं कि न केवल यूपी बल्कि विधानसभा चुनाव वाले सभी सात राज्यों में भाजपा सरकारों के सर्वोत्तम कार्यों को मतदाताओं का सामने प्रदर्शित किया जाए. वाराणसी में मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन लोगों को जागरूक करेगा कि कैसे विकास का भाजपा मॉडल राज्यों की तस्वीर को बदल रहा है.’
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि सम्मेलन में केंद्र सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और उन्हें लागू किए जाने पर भी चर्चा हुई. सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समय से पूरा करने और उनमें बाधा बनने वाली अड़चनों को जल्द से जल्द दूर करने को कहा.
अपनी यात्रा के पहले दिन सोमवार को मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के पहले चरण का उद्घाटन किया था और औरंगजेब और गाजी सैय्यद सालार मसूद के अत्याचारों का जिक्र करते हुए भारतीय सभ्यता की सहनशीलता की सराहना की. उन्होंने अपने भाषण के दौरान छत्रपति शिवाजी और राजा सुहेलदेव को श्रद्धांजलि भी अर्पित की.
उन्होंने अपने संबोधन में तेजी से विकास की राह पर कदम बढ़ा रहे भारत के आधुनिकीकरण की गति को भी सराहा.
कॉन्फ्रेंस के बाद का कार्यक्रम
मुख्यमंत्रियों की कॉन्फ्रेंस के बाद मोदी को वाराणसी के स्वरवेद महामंदिर में सद्गुरु सदाफलदेव विहंगम योग संस्थान के 98वें वर्षगांठ समारोह में भाग लेना था और नई दिल्ली लौटने से पहले वहां उनकी एक जनसभा का भी आयोजन किया गया.
इस बीच, सभी मुख्यमंत्री वाराणसी में खिरकिया घाट का दौरा करेंगे और वहां नए गोवर्धन पूजा भित्ति चित्रों का निरीक्षण करेंगे. उसके बाद ये मुख्यमंत्री दीन दयाल उपाध्याय स्मृति पार्क जाएंगे, जहां भारतीय जनसंघ के संस्थापक की प्रतिमा लगी हुई है.
सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने मुख्यमंत्रियों के विभिन्न जगहों की यात्रा के लिए बसों की व्यवस्था की है.
शाम को मुख्यमंत्रियों को सारनाथ जाने की सलाह दी गई है, जहां गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था.
सारनाथ यात्रा को कुछ ही महीनों में होने जा रहे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक बड़े दलित मौर्य समुदाय को सकारात्मक संदेश देने के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है.
मुख्यमंत्रियों को 15 दिसंबर को रामलला के दर्शन के लिए अपनी पत्नियों के साथ अयोध्या पहुंचने को कहा गया है. इस दौरान मुख्यमंत्रियों के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी अयोध्या में मौजूद रहेंगे.
वाराणसी के भाजपा प्रभारी और यहां पर पीएम मोदी के खास व्यक्ति सुनील ओझा ने दिप्रिंट को बताया, ‘संदेश मोदी के नेतृत्व में एक भारत श्रेष्ठ भारत का है, और इसे इन धार्मिक यात्राओं के जरिये लोगों तक पहुंचाया जाना है. हम न केवल विकास पर ध्यान देते हैं, बल्कि हिंदू जनजागरण की भी परवाह करते हैं.’
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