scorecardresearch
Thursday, 16 May, 2024
होमराजनीति‘गली में खेला क्रिकेट, हमें पानी पूरी खिलाई’ — नारणपुरा में अमित शाह के पड़ोसी कैसे करते हैं उन्हें याद

‘गली में खेला क्रिकेट, हमें पानी पूरी खिलाई’ — नारणपुरा में अमित शाह के पड़ोसी कैसे करते हैं उन्हें याद

राजनीति में शुरुआती वर्षों में शाह के साथ मिलकर काम करने वाले पूर्व भाजपा सांसद सुरेंद्र पटेल कहते हैं, नेता और प्रशासक के रूप में उनकी प्रगति 'बाधाओं से भरी' रही है.

Text Size:
अहमदाबाद: राज्य सरकार में गृह मंत्री, जो देर रात तक गली क्रिकेट खेलते थे, अपनी युवावस्था में पतंग उड़ाना पसंद करते थे और पूरी कॉलोनी को पानी पूरी खिलाते थे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का लगातार पीछा करने वाले कैमरे और लाइमलाइट से दूर, अहमदाबाद का नारणपुरा वह इलाका है जहां उन्होंने अपने जीवन के कई साल बिताए.

हालांकि, हो सकता है कि विपक्ष की नज़र में वह बिल्कुल दोस्ताना न हों और कोई भी और केंद्रीय गृह मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्य रणनीतिकार के रूप में उनके नवीनतम अवतार में शायद ही किसी ने सार्वजनिक रूप से उन्हें जोर से हंसते हुए नहीं देखा हो, लेकिन अमित शाह के मित्रों, पहले के पड़ोसियों और साथियों को याद है कि वह सिर्फ और सिर्फ काम में मशगूल रहें और खेलकूद व मज़े के लिए कोई समय न हो.

नारणपुरा में शिवकुंज कॉलोनी में कभी अमित शाह का घर हुआ करता था. यहां के एक 28 वर्षीय निवासी ने कहा, “उन्हें क्रिकेट खेलना बहुत पसंद था. यहां तक कि जब वह गुजरात के गृह मंत्री बने, तब भी वह देर रात आते थे और यहीं, बाहर गली में, हम सभी के साथ क्रिकेट खेलते थे. हम लोग तब बच्चे थे,” यहां, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के झंडे हर नुक्कड़ और कोने में लहराते हुए देखे जा सकते हैं, साथ ही होर्डिंग्स में मतदाताओं से आम चुनाव में अमित शाह की “रिकॉर्ड बहुमत” के साथ जीत सुनिश्चित करने के लिए कहा जा रहा है.

2019 में गांधीनगर लोकसभा सीट से जीतने वाले शाह का लक्ष्य अब 10 लाख से अधिक वोटों के अंतर से अपनी सीट बरकरार रखना है.

नारणपुरा शाह की चार दशकों से अधिक की राजनीतिक यात्रा का गवाह रहा है. वहां के अधिकांश निवासियों का कहना है कि यह उनके लिए ‘गर्व की बात’ है कि जो व्यक्ति वोट मांगने के लिए उनके दरवाजे पर आया था, वह अब देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक है.

Entry gate of Shivkunj colony in Naranpura, Ahmedabad | Janki Dave | ThePrint
अहमदाबाद के नारणपुरा में शिवकुंज कॉलोनी का प्रवेश द्वारा | जानकी दवे | दिप्रिंट

1980 और 90 के दशक में उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानने वाले कई लोगों ने कहा कि शाह के साथ उनकी यादें आज भी उनके चेहरे पर मुस्कान ला देती हैं. पहले जिनका जिक्र किया गया है शिवकुंज के उन्हीं निवासी ने कहा, “वास्तव में उन्हें पतंग उड़ाना काफी पसंद था, मेरा मानना है कि वह अभी भी उत्तरायण के दौरान पतंग उड़ाने के लिए अहमदाबाद आते हैं.”

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

कई वर्षों तक शाह के पड़ोसी रहे उनके पिता ने दिप्रिंट को बताया, “वह (शाह) खाने के काफी शौकीन थे. एक बार, एक पानी पूरी खुमचा (विक्रेता) वाला शाम के समय हमारी कॉलोनी से गुज़र रहा था. उन्होंने उसे हमारे मोहल्ले के अंदर बुला लिया और वहां मौजूद सारे लोगों को खाने के लिए इकट्ठा कर लिया. सच कहूं तो उन्हें पाव भाजी खाना भी काफी पसंद था.”


यह भी पढ़ें:‘इज्जत घर’ से लेकर ATM तक—मोदी के गोद लिए गांवों में थोड़े उतार-चढ़ाव, लेकिन 21वीं सदी के भारत की झलक


अमित शाह का नारणपुरा कनेक्शन

सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ों के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के दो साल बाद, जब सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2012 में शाह को गुजरात लौटने की अनुमति दी, तो नारणपुरा के निवासियों ने शाह के लिए पलक पांवड़े बिछा दिए. बाद में उन्हें विशेष सीबीआई अदालत ने आरोपमुक्त कर दिया.

इस मामले की वजह से लोगों के ज़हन में कुछ बुरी यादें ज़रूर बस गईं, लेकिन इससे नारणपुरा के निवासियों के बीच शाह के सम्मान में कोई कमी नहीं आई. राज्य में लौटने की अनुमति मिलने के लगभग तीन महीने बाद, यहां के लोगों ने 2012 के विधानसभा चुनावों में शाह को 63,000 से अधिक वोटों से जिताकर जोर शोर के उनकी वापसी का स्वागत किया.

यह उसी क्षेत्र में सांघवी बूथ की बात है जहां शाह ने 1984 में भाजपा के बूथ प्रभारी के रूप में काम किया था और 2019 तक अपना वोट डालते रहे.

पूर्व भाजपा सांसद सुरेंद्र पटेल ने दिप्रिंट को बताया, “राजनीति में अपने शुरुआती दिनों से ही, अमित शाह ने बहुत कड़ी मेहनत की. हमारा जुड़ाव 1991 में शुरू हुआ, जब आडवाणी गांधीनगर से लड़े. मैं यहां प्रभारी था और वह यहां प्रचार और पार्टी कार्य के लिए सह-प्रभारी थे. वह सभी ज़मीनी कार्य करते थे. हर दिन, हम रात में लगभग 10:30 या 11 बजे पार्टी कार्यालय में फिर आश्रम रोड पर मिलते थे, और पास के नटराज सिनेमा में कॉफी पीते थे,’

शिवकुंज से लगभग 1.5 किमी दूर नवरंग सेकेंडरी स्कूल है, जहां अमित शाह ने 1979 में 10वीं कक्षा पास की थी.

Navrang Secondary School | Janki Dave | ThePrint
नवरंग सेकेंडरी स्कूल | जानकी दवे | दिप्रिंट

शाह के पड़ोसी और उनके साथ नवरंग सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई करने वाले नारणपुरा के एक निवासी ने कहा, “ऐसा नहीं है कि पढ़ने में उनकी रुचि बाद में जगी हो बल्कि शुरू से पढ़ने में उनकी गहरी रुचि थी. यहां तक कि अपने स्कूली दिनों में भी, वह बहुत पढ़ते थे और हमेशा नई-नई चीज़ें जानने के लिए उत्सुक रहते थे. उनकी हमेशा से गुजराती संस्कृति में रुचि रही है. घर में सिर्फ मेरे माता-पिता, मेरा भाई और मैं थे, और वह स्कूल के दिनों में अक्सर यहां मेरे घर पढ़ने के लिए आया करते थे.”

उन्होंने कहा, “वह (शाह) हमेशा सुबह सबसे पहले पढ़ने के लिए अखबार खोजते थे और अगर उनके जागने के समय तक अखबार उनके घर पर नहीं पहुंचा होता था तो वह हममें से किसी से मांगते थे.”

क्रिकेट, शतरंज और प्रशासन

अमित शाह 1980 में 16 साल की छोटी उम्र में भाजपा के वैचारिक संस्थान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए. उन्होंने 1981 में अहमदाबाद के घीकांटा में ज्योति हायर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं कक्षा की पढ़ाई की और उसके बाद बी.एससी. (द्वितीय वर्ष) की डिग्री गुजरात विश्वविद्यालय से संबद्ध गुजरात कॉलेज से हासिल की.

Gujarat College | Janki Dave | ThePrint
गुजरात कॉलेज | जानकी दवे | दिप्रिंट

1982 में, शाह को आरएसएस की छात्र शाखा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की गुजरात इकाई के लिए संयुक्त सचिव नियुक्त किया गया था. बाद में उन्होंने खुद को “विद्यार्थी परिषद का ऑर्गैनिक प्रोडक्ट” कहा. और बाकी जैसाकि लोग कहते हैं, इतिहास है.

उस युग में गुजरात में भाजपा की सदस्यता की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से लेकर, जब राज्य में पार्टी की जबरदस्त वृद्धि देखी गई, एल.के. आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं के चुनाव अभियानों की सफलतापूर्वक देखरेख करने तक, एक समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में 12 विभागों का कार्यभार संभालने वाले और बाद में भाजपा के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने वाले आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के लिए एक नेता और प्रशासक के रूप में अमित शाह का आगे बढ़ना “बाधाओं से भरा” लेकिन पटेल के अनुसार “हमेशा अपरिहार्य” था.

पटेल ने याद करते हुए कहा, “उस समय भी, उनमें स्पष्टता थी, वे बेहद मेहनती और एक अच्छे प्रशासक थे. वह हमेशा किसी भी संकट से निकलने का रास्ता खोज सकते थे,”

उनके अनुसार, एक कुशल राजनीतिज्ञ शाह ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम और अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक को पुनर्जीवित करके अपने व्यावसायिक कौशल और फाइनेंशियल सिस्टम के ज्ञान का भी प्रदर्शन किया. पटेल ने दिप्रिंट को बताया, “अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक ख़राब स्थिति में था. अमित शाह ने इसके सबसे कम उम्र के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और एक साल के भीतर उन्होंने बैंक को इस स्थिति में पहुंचा दिया कि बैंक ने लाभ (6.60 करोड़ रुपये का) कमाया.”

समाधान तलाशने वाले अपने किसी भी सहयोगी के लिए ‘वन-स्टॉप शॉप’, शाह को राज्य मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाता है जो उन स्थितियों से बाहर निकलने का रास्ता देख सकता था जब कोई रास्ता संभव नहीं लगता था.

“वह हमेशा बारीकी से प्रबंधन और किसी भी काम को पूरी बेहतरी के साथ करने के लिए डूबे रहते थे. फिर भी, साथ ही, वह हमें अपने तरीके से काम करने की आजादी भी देते थे. गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव अनिल पटेल ने कहा, “कोई भी उनके पास जा सकता था और कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि उनके पास किसी समस्या का समाधान न रहा हो, चाहे वह प्रशासनिक, वित्तीय या राजनीतिक किसी भी तरह की समस्या रही हो.”

क्रिकेट और शतरंज में अमित शाह की गहरी रुचि को देखते हुए, उन्हें 2006 में गुजरात शतरंज एसोसिएशन का अध्यक्ष और 2009 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष थे उस वक्त उन्हें इसका उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया.

बाद में उन्होंने 2014 में गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

पटेल ने आगे कहा, “चाहे चपरासी हो, ग्राउंड स्टाफ हो या कोई पदाधिकारी, वह सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करते थे. वह कड़ी मेहनत करते थे और यह सुनिश्चित करते थे कि हम कुशलता से काम करें, लेकिन दिन के अंत में, वह हम सभी के साथ बैठते थे और स्नैक्स ऑर्डर करते थे. वह अक्सर रात में ‘रायपुर ना भजिया’ या ‘गोटा’ (पकौड़ा)’ के लिए बुलाते थे और पूरी टीम को आमंत्रित करते थे,” उन्होंने कहा कि अगर अमित शाह की कोशिश नहीं होती तो नरेंद्र मोदी स्टेडियम का निर्माण इतने कम समय में संभव नहीं हो पाता.

आजकल अहमदाबाद या गांधीनगर में यात्रा करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत मुश्किल है कि ‘आवे छे, आवे छे, श्री अमित भाई शाह आवे छे’ (भाई अमित आ रहे हैं) के पोस्टर न दिखें.

Poster in support of Amit Shah seen in Ahmedabad | Janki Dave | ThePrint
अहमदाबाद में अमित शाह के समर्थन में लगे पोस्टर | जानकी दवे | दिप्रिंट

18 अप्रैल को, हजारों लोग एपीएमसी, साणंद में एकत्र हुए, जहां से अमित शाह के अपने निर्वाचन क्षेत्र में दिन भर के रोड शो की शुरुआत होनी थी. उनमें से कई लोगों ने कहा कि उन्होंने ‘लोकलाडिला (लोगों के पसंदीदा) अमित भाई शाह’ की एक झलक पाने के लिए 40 किमी से अधिक की यात्रा की है.

नलसरोवर के पास अपने गांव से रोड शो में शामिल होने आईं 72 वर्षीय मीना बेन ने कहा, “मेरे दो बेटे हैं, वह तीसरा है, जब भी वह रोड शो करता है तो मैं आता हूं. मैं यहां अपना आशीर्वाद देने आई हूं, न केवल उनकी जीत के लिए बल्कि लंबी उम्र के लिए भी,”

जब शाह मुस्कुराए, हाथ हिलाया और अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ बातचीत की, तो उनके समर्थकों के बीच जो गर्व की भावना देखने को मिली उसे नजरअंदाज करना मुश्किल था. एक समर्थक ने कहा, “वह हमारे बीच से हैं, हमने उन्हें पोस्टर लगाते देखा है और अब देखें वह कहां हैं.”

नामांकन दाखिल करने के एक दिन बाद शाह ने समर्थकों से कहा, ”मैं पिछले 30 साल से इस सीट से जुड़ा हूं. सांसद बनने से पहले मैं इस सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों से विधायक था. आपके प्यार की बदौलत मैं एक साधारण बूथ कार्यकर्ता से सांसद बन गया.

उन्होंने उनसे उस स्थान पर ‘रिकॉर्ड-तोड़’ अंतर से अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कहा, जिसे वह ‘घर’ कहते हैं.

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ें:आरक्षण खत्म होने के डर को दूर करने के लिए मोदी और शाह कैसे कर रहे हैं BJP की अगुवाई


 

share & View comments