नई दिल्ली: वंशवादी राजनीति के खिलाफ और नारी शक्ति के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य अगली पंक्ति के वरिष्ठ बीजेपी के नेताओं की तमाम प्रतिबद्धताओं के बावजूद, 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में विश्लेषण करें तो कुछ और ही दिखता है.
भाजपा की महिला उम्मीदवारों की सूची पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि कम से कम 40 महिला उम्मीदवार गहरे राजनीतिक संबंधों वाले परिवारों से संबंधित हैं.
कुल मिलाकर, भाजपा ने 417 संसदीय सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें से 68 (16 प्रतिशत से कुछ अधिक) महिलाएं हैं. पार्टी ने 2009 में 45, 2014 में 38 और 2019 में 55 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था.
परनीत कौर (पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह की पत्नी), बांसुरी स्वराज (सुषमा स्वराज की बेटी), सीता सोरेन (झामुमो संरक्षक शिबू सोरेन की बहू), गीता कोड़ा (झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी), ज्योति मिर्धा (पूर्व सांसद नाथूराम मिर्धा की पोती), गायत्री सिद्धेश्वरा (पूर्व केंद्रीय मंत्री जी.एम. सिद्धेश्वरा की पत्नी), नवनीत राणा (तीन बार के विधायक रवि राणा की पत्नी), मालविका देवी (कालाहांडी के पूर्व सांसद अरका केशरी देव की पत्नी), कृति सिंह देबबर्मा (टिपरा मोथा पार्टी के संस्थापक प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा की बहन) भाजपा की अब तक की प्रमुख महिला उम्मीदवारों में से हैं.
सीता सोरेन ने स्वीकार किया कि वह एक राजनीतिक परिवार से हैं, लेकिन यह भी कहा कि यह उनकी गलती नहीं है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ”मैं उसी ऊर्जा के साथ जमीन पर काम कर रही हूं, जैसे एक आम कार्यकर्ता किसी निर्वाचन क्षेत्र में करता है.”
जबकि चर्चा थी कि झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन अपनी भाभी सीता सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, पार्टी ने अब नलिन सोरेन को दुमका में खड़ा कर दिया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और आंध्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी, राजमुंदरी से भाजपा उम्मीदवार, प्रसिद्ध अभिनेता और एन.टी. रामाराव की बेटी हैं.
महाराष्ट्र में छह महिला उम्मीदवार मैदान में हैं. एनसीपी के साथ अपनी यात्रा शुरू करने वाली मौजूदा सांसद भारती पवार डिंडोरी में फिर से चुनाव लड़ रही हैं. उनके ससुर आठ बार विधायक रहे और महाराष्ट्र के मंत्री रहे, जबकि उनका बेटा भी विधायक है.
छह बार विधायक और आदिवासी नेता विजय गावित की बेटी, भाजपा सांसद हिना गावित अब नंदुरबार से तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं. भाजपा के दिवंगत दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी और वरिष्ठ नेता पंकजा मुंडे बीड से चुनाव लड़ रही हैं.
मौजूदा सांसद रक्षा खडसे एक बार फिर रावेर से चुनाव लड़ रही हैं. उनके ससुर एकनाथ खडसे ने 2020 में भाजपा छोड़ दी थी और शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के साथ हैं.
जलगांव में भाजपा ने मौजूदा सांसद उन्मेश पाटिल का टिकट काटकर एमएलसी स्मिता वाघ को मैदान में उतारा है. उनके पति उदय वाघ जलगांव से भाजपा जिला अध्यक्ष हैं. मौजूदा सांसद नवनीत राणा अमरावती से फिर चुनाव लड़ रही हैं.
अब तक, मध्य प्रदेश में छह महिला उम्मीदवार हैं – हिमाद्रि सिंह (शहडोल), संध्या राय (भिंड), लता वानखेड़े (सागर), अनीता चौहान (रतलाम), भारती पारधी (बालाघाट), और सावित्री ठाकुर (धार).
एक नया चेहरा, अनीता के पति मध्य प्रदेश के वन मंत्री और तीन बार के विधायक नागर सिंह चौहान हैं. एक और नया चेहरा लता वानखेड़े सागर से मैदान में उतरी हैं, लेकिन उनके पति नंदकिशोर उर्फ गुड्डू वानखेड़े भी राजनीति में हैं.
मौजूदा भाजपा सांसद हिमाद्रि सिंह – पूर्व सांसद दलवीर सिंह और राजेश नंदिनी सिंह की बेटी – शहडोल से एक और कार्यकाल की तलाश में हैं. उनके पति नरेंद्र मरावी भी बीजेपी नेता हैं.
बालाघाट से मौजूदा सांसद ढाल सिंह बिसेन की जगह पार्षद भारती पारधी को उम्मीदवार बनाया गया है. उनके ससुर भोलाराम पारधी 1960 के दशक में सांसद थे, जबकि उनके पति भी राजनीति में सक्रिय हैं.
यह देखते हुए कि उनके परिवार में कोई भी राजनीति में नहीं था, सावित्री ठाकुर एक बाहरी व्यक्ति हैं. उनके पति एक साधारण किसान हैं, जबकि राजनीति में आने से पहले वह एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करती थीं. 2014 में उन्होंने धार से चुनाव जीता और सांसद बनीं.
कुछ राज्यों में राजघरानों से भी
2019 में तीन से, भाजपा ने अब तक राजस्थान में पांच महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. इंदु देवी जाटव (धौलपुर करौली), प्रियंका बालान (श्रीगंगानगर), मंजू शर्मा (जयपुर), ज्योति मिर्धा (नागौर) और महिमा विश्वराज सिंह (राजसमंद).
महिमा विश्वराज सिंह का संबंध मेवाड़ के पूर्व राजघराने से है. उनके पति कुंवर विश्वराज सिंह मेवाड़ हाल ही में नाथद्वारा से विधायक चुने गये जहां उन्होंने कांग्रेस के सी.पी. जोशी को हराया.
जयपुर से उम्मीदवार मनु शर्मा बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भंवर लाल शर्मा की बेटी हैं. एक नया चेहरा प्रियंका बालन ने पांच बार के सांसद निहाल चंद जैन की जगह ली है, जबकि करोली धौलपुर की पूर्व पंचायत प्रमुख इंदु देवी जाटव ने मौजूदा सांसद मनोज राजौरिया की जगह ली है.
प्रियंका बालन ने दिप्रिंट को बताया, “भाजपा एक ऐसी पार्टी है जहां आम कार्यकर्ता भी शीर्ष पर पहुंच सकता है और चुनाव टिकट की पाने की इच्छा रख सकता है. मेरी उम्मीदवारी एक उदाहरण है,”
ओडिशा में अब तक चार महिला उम्मीदवारों में से तीन संपन्न पृष्ठभूमि से हैं. बोलांगीर की सांसद संगीता कुमार सिंह देव, जो पूर्ववर्ती पटनागढ़ शाही परिवार से हैं, उसी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी.
इसी तरह, मालविका केशरी देव का भी कालाहांडी जिले के पूर्व शाही परिवार से संबंध है. उनके पति अर्का केशरी देव पूर्व सांसद हैं. पति-पत्नी दोनों 2019 में बीजेडी से बाहर हो गए थे और बाद में 2023 में दोनों भाजपा में शामिल हो गए.
अनीता प्रियदर्शिनी, जिन्होंने 2019 में अस्का से असफल रूप से चुनाव लड़ा था, फिर से उसी सीट से अपनी किस्मत आजमा रही हैं. जबकि अनीता प्रियदर्शनी की मां अस्का सांसद थीं, उनके पिता राम कृष्ण पटनायक छह बार विधायक थे और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया था.
2019 में आईएएस सेवा छोड़ने वाली भुवनेश्वर की मौजूदा सांसद अपराजिता सारंगी को पार्टी ने फिर से टिकट दिया है.
एक अन्य पूर्वी राज्य, झारखंड में तीन महिला उम्मीदवार हैं जिनमें सीता सोरेन, गीता कोड़ा और अन्नपूर्णा देवी दुमका, सिंहभूम और कोडरमा से चुनाव लड़ रही हैं. तीनों उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि राजनीतिक है.
केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी राजद नेता और पूर्व मंत्री रमेश यादव, जिनका निधन हो चुका है, उनकी पत्नी हैं. 2019 में भाजपा में शामिल होने से पहले वह झामुमो सरकार में भी मंत्री थीं.
लोकसभा में 40 प्रतिनिधि भेजने वाले बिहार में भाजपा ने अभी तक किसी भी महिला उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है.
दादरा एवं नगर हवेली में भाजपा मौजूदा सांसद कलाबेन डेलकर को मैदान में उतार रही है. वह अपने पति और स्थानीय सांसद मोहन डेलकर की मृत्यु के बाद आवश्यक उपचुनाव जीतकर 2021 में शिवसेना सांसद बनी थीं. दिवंगत भाजपा नेता रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया हरियाणा के अंबाला से चुनाव लड़ रही हैं.
उत्तर प्रदेश में रेखा वर्मा (धरुहरा) और मेनका गांधी (सुल्तानपुर) के परिवार के सदस्य भी राजनीति में थे. जबकि रेखा वर्मा 2014 से धारुहारा से मौजूदा सांसद हैं, जबकि मेनका गांधी पहली बार 1989 में लोकसभा के लिए चुनी गई थीं.
भाजपा के एक वरिष्ठ केंद्रीय पदाधिकारी ने प्रमुख राजनीतिक परिवारों से जुड़े उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने को ज्यादा महत्त्व न दिए जाने पर जोर देते हुए कहते हैं कि पार्टी ने सामान्य पृष्ठभूमि वाले कई उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा है.
भाजपा पदाधिकारी ने कहा, “प्रधानमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा के लिए वंशवाद की परिभाषा अलग है. आइए मान लें कि परिवार का एक सदस्य पार्टी अध्यक्ष है और उसके रिश्तेदार ही अध्यक्ष बनते हैं, यह वंशवादी राजनीति है,”
उन्होंने तर्क दिया, “यह सच है कि एक परिवार का राजनीतिक जुड़ाव नए सदस्यों को मैदान में उतरने में मदद करता है क्योंकि उनका अपना दबदबा होता है और पार्टी को भी कमजोर क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद मिलती है. लेकिन पार्टी ने जमीन से उठे कई सामान्य सदस्यों को टिकट दिया है,”
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