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Tuesday, 5 November, 2024
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OBC, जाट, मुस्लिम: हरियाणा में BJP और कांग्रेस के टिकट वितरण में कैसे हैं जातिगत समीकरण

हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 22-ओबीसी और कांग्रेस ने 28 जाटों को मैदान में उतारा है. 36-सीटों पर दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे के खिलाफ अलग-अलग जातियों के उम्मीदवार उतारे हैं.

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गुरुग्राम: जातिगत गतिशीलता और सोशल इंजीनियरिंग ने लंबे समय से भारतीय चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसने देश भर में राजनीतिक दलों की रणनीतियों को आकार दिया है.

हरियाणा में, जहां आबादी जातिगत आधार पर गहराई से विभाजित है, राजनीतिक दलों ने ऐतिहासिक रूप से इन सामाजिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए अपने उम्मीदवारों के चयन और अभियान की रणनीतियों को कस्टम-मेड किया है.

पांच अक्टूबर को होने वाले 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से पहले, दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों — भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस — ने अपने उम्मीदवारों का चयन करने के लिए सोशल इंजीनियरिंग का लाभ उठाया है और रणनीतिक रूप से उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए हर एक सीट के लिए जातिगत समीकरणों का आकलन किया है.


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भाजपा और कांग्रेस ने कैसे उम्मीदवार उतारे

आगामी चुनावों में 90-विधानसभा सीटों में से 38 पर एक ही जाति के उम्मीदवार एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं — जाट बनाम जाट, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) बनाम ओबीसी और ब्राह्मण बनाम ब्राह्मण, आदि.

36-सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने एक दूसरे के खिलाफ अलग-अलग जातियों के उम्मीदवार उतारे हैं — उदाहरण के लिए नॉन-जाट बनाम जाट या नॉन-ओबीसी बनाम ओबीसी.

कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर जाटों पर दांव लगाया और इस समुदाय से 28 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि भाजपा, जो आमतौर पर हरियाणा में नॉन-जाट राजनीति पर ध्यान केंद्रित करती है, ने 16 जाट उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं.

भाजपा ने ओबीसी उम्मीदवारों पर बड़ा दांव लगाया है, इस समुदाय के लोगों को 22 टिकट दिए हैं — सभी जातियों में सबसे ज्यादा. इस बीच, कांग्रेस ने 20 सीटों पर ओबीसी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.

माना जा रहा है कि भाजपा ने 12 मार्च को नॉन-जाट मनोहर लाल खट्टर की जगह ओबीसी नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा ओबीसी कार्ड खेला है. खट्टर साढ़े नौ साल तक मुख्यमंत्री रहे हैं. भाजपा सैनी के नेतृत्व में आगामी चुनाव लड़ रही है और पार्टी के जीतने पर उन्हें भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर रही है.

17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (एससी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं. न तो कांग्रेस और न ही भाजपा ने किसी सामान्य सीट पर दलित उम्मीदवार को टिकट दिया है.

अगर हरियाणा की जाति संरचना पर नज़र डालें तो पता चलता है कि तीन जातियों ने पारंपरिक रूप से सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है. ये ओबीसी हैं, जिनकी राज्य की आबादी में अनुमानित 35 प्रतिशत हिस्सेदारी है, इसके बाद जाट 20 से 22 प्रतिशत और दलित 20.17 प्रतिशत हैं.

दो सीटों पर भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे के खिलाफ मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.

तीन अन्य सीटों में से प्रत्येक पर हिंदू और मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है. कांग्रेस ने इन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि भाजपा ने उनके खिलाफ हिंदू उम्मीदवार उतारे हैं.

जाट, ओबीसी और दलित जैसे प्रमुख जाति समूहों पर ध्यान केंद्रित करके, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही वोट बैंक को मजबूत करने और अपनी चुनावी अपील को अधिकतम करने की कोशिश कर रहे हैं.

जाति गणित का यह सावधानीपूर्वक आकलन इस साल के चुनाव अभियान में विशेष रूप से स्पष्ट है, जहां दोनों पार्टियों ने जटिल जाति गणनाओं के आधार पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के लिए लक्षित दृष्टिकोण अपनाया है.

विशेषज्ञ की राय

नई दिल्ली में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) की शोधकर्ता ज्योति मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए लक्षित टिकट वितरण के माध्यम से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जातिगत गतिशीलता का लाभ उठा रहे हैं.

मिश्रा ने समझाया, “भाजपा ने रणनीतिक रूप से अपने एक-चौथाई टिकट (22 सीटें) ओबीसी उम्मीदवारों को आवंटित किए हैं, जिसमें अंतिम समय में ओबीसी नेता नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया है, जो इस वर्ग से वोटों का बड़ा हिस्सा हासिल करने के उनके इरादे का संकेत है. इस बीच, कांग्रेस के एक-तिहाई उम्मीदवार जाट हैं, जो इस पारंपरिक मतदाता आधार को मजबूत करने की उनकी कोशिश को दर्शाता है.”

लोकनीति-सीएसडीएस के आंकड़ों का हवाला देते हुए, जो आम चुनावों के दौरान अध्ययन करता है, शोधकर्ता ने कहा कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों में जाटों के बीच अपने वोट शेयर में सुधार किया है, जबकि भाजपा ने उच्च जातियों और ओबीसी के बीच अपना प्रभुत्व बनाए रखा है.

उन्होंने कहा कि यह बदलाव हाल के शासन संबंधी मुद्दों से निराश समुदायों से समर्थन हासिल करने के व्यापक सामरिक प्रयासों को दर्शाता है.

मिश्रा ने बताया, “कांग्रेस की रणनीति जाट समुदाय की राज्य में कमज़ोर उपस्थिति के बावजूद, जाट समर्थन को फिर से हासिल करने पर केंद्रित है. जातिगत राजनीति का चल रहा अंतर-संबंध चुनावी नतीजों को आकार देने में महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि दोनों ही पार्टियां विधानसभा चुनावों से पहले गठबंधन और मतदाताओं की अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर काम कर रही हैं.”

कांग्रेस और भाजपा की सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवार

दोनों दलों के उम्मीदवारों पर नज़र डालें तो 14 सीटों पर कांग्रेस के जाट उम्मीदवार का मुकाबला भाजपा के जाट उम्मीदवार से है.

इसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण रोहतक जिले की गढ़ी सांपला-किलोई विधानसभा सीट है, जहां कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मुकाबला भाजपा की पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष मंजू हुड्डा से है.

पुलिस अधिकारी स्वर्गीय प्रदीप यादव की बेटी मंजू हुड्डा की शादी गैंगस्टर राजेश हुड्डा से हुई है.

इसी तरह हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु नारनौल में जसवीर सिंह (जस्सी पेटवार) से, राज्य के वित्त मंत्री जेपी दलाल लोहारू में राजबीर फरटिया से और पूर्व मंत्री किरण चौधरी की बेटी भाजपा की श्रुति चौधरी तोशाम में कांग्रेस के अपने चचेरे भाई अनिरुद्ध चौधरी से चुनाव लड़ रही हैं.

इसी तरह 14 सीटों पर ओबीसी का मुकाबला ओबीसी से है.

प्रमुख उदाहरणों में अटेली में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव का मुकाबला अनीता यादव से, रेवाड़ी में कांग्रेस नेता कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीव राव का मुकाबला भाजपा के लक्ष्मण सिंह से और गुरुग्राम के बादशाहपुर में भाजपा के पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह का मुकाबला कांग्रेस के वर्धन सिंह से है.

थानेसर, हांसी, रोहतक और पानीपत सिटी चार सीटें हैं, जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ने पंजाबी उम्मीदवार उतारे हैं; बल्लभगढ़ और गनौर में दोनों पार्टियों के ब्राह्मण उम्मीदवार हैं और फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना दो सीटें हैं, जहां भाजपा और कांग्रेस ने मेव मुस्लिम (उत्तर-पश्चिमी भारत का जातीय समूह) उम्मीदवार उतारे हैं.

इस बीच, जगाधरी, हथीन और नूंह तीन सीटें हैं, जहां भाजपा ने कांग्रेस द्वारा उतारे गए मुस्लिम उम्मीदवारों के खिलाफ नॉन-मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नतीजे आठ अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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