मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कई मौकों पर कह चुके हैं कि महायुति महाराष्ट्र के बड़े शहरों में होने वाले नगर निगम चुनाव मिलकर लड़ेगी.
और जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना साथ-साथ काम करती दिख रही हैं, वहीं महायुति की तीसरी सहयोगी, अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), हाशिए पर खड़ी नज़र आ रही है.
स्थानीय निकाय चुनावों में खास तौर पर शिवसेना और बीजेपी की पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रही एनसीपी, कई बड़े नगर निगमों में बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रही सीट-बंटवारे की बातचीत का सक्रिय हिस्सा नहीं रही है. वहीं, पुणे और पिंपरी चिंचवड में एनसीपी और बीजेपी के बीच जिस “दोस्ताना मुकाबले” पर सहमति बनी थी, वह अब कड़ी लड़ाई में बदलता दिख रहा है. बीजेपी ने पुणे जिले से एनसीपी के कई नेताओं को अपने पाले में कर लिया है, जिससे उसकी सहयोगी नाराज़ है.
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट से कहा, “कई जगहों पर बीजेपी और शिवसेना के साथ हमारे अलग-अलग मुद्दे हैं, जिनकी वजह से उनके साथ हाथ मिलाना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है. पिछले साल के लोकसभा चुनाव में हमने ज्यादातर जगहों पर कमल और धनुष-बाण के लिए प्रचार किया, कुछ जगहों पर तो अपने मजबूत इलाकों में भी. विधानसभा चुनाव में भी यही हाल रहा, लेकिन अब हमें अपना घड़ी वाला चुनाव चिन्ह हर घर तक ले जाना है. हमारे जमीनी कार्यकर्ताओं को इसका सहारा चाहिए.”
2024 के चुनावों में, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने महायुति के भीतर सीट-बंटवारे के समझौते के तहत राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 4 पर चुनाव लड़ा था. पार्टी को इनमें से सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. उसी साल बाद में हुए विधानसभा चुनावों में एनसीपी ने गठबंधन के तहत 288 में से 59 सीटों पर चुनाव लड़ा और 41 सीटें जीतीं.
एनसीपी नेताओं का कहना है कि सहयोगी दलों से बीजेपी द्वारा लगातार नेताओं को तोड़ना भी उन्हें रास नहीं आ रहा है. महाराष्ट्र में 29 नगर निगमों के चुनाव 15 जनवरी को होंगे, जबकि मतगणना 16 जनवरी को की जाएगी.
इस महीने हुए 288 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के चुनावों में 117 परिषदों के साथ बीजेपी साफ तौर पर सबसे आगे रही, उसके बाद शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को 53 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को 37 परिषदें मिलीं.
एनसीपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष सुनील तटकरे ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “पूरे महाराष्ट्र में गठबंधन को लेकर बातचीत के लिए मैंने मुख्यमंत्री फडणवीस और केंद्रीय मंत्री अमित शाह से बात की है. कुछ जगहों पर चर्चा चल रही है, लेकिन अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं. आज से नामांकन दाखिल हो रहे हैं. हमारे पास अभी एक-दो दिन हैं.”
बीजेपी की तोड़-फोड़ से एनसीपी नाराज़
जिस दिन राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) ने नगर निगम चुनावों की घोषणा की, उसी दिन मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि पुणे और पिंपरी चिंचवड में, जहां दोनों पार्टियां मजबूत हैं, बीजेपी मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी.
उन्होंने कहा कि वहां “दोस्ताना मुकाबला” होगा.
हालांकि, यह दोस्ताना मुकाबला अब एक कड़ी लड़ाई में बदलता दिख रहा है, क्योंकि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के स्थानीय कार्यकर्ता शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठजोड़ के पक्ष में नज़र आ रहे हैं, जो विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा है.
रविवार को दोनों एनसीपी के साथ आने की संभावना पर पत्रकारों से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, “अगर स्थानीय कार्यकर्ताओं के पास कोई सुझाव हैं, तो उन्हें जिला अध्यक्षों से मिलना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या किया जा सकता है. जब वोट बंट जाते हैं, तो लोगों के लिए चुनाव जीतना मुश्किल हो जाता है. जब आप इसे टालने की कोशिश करते हैं, तो चुनाव जीतना आसान हो जाता है.”
इसके अलावा, पुणे जिले में बीजेपी द्वारा एनसीपी के कई पूर्व पदाधिकारियों को पार्टी में शामिल किए जाने से अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी नाराज़ है. बीजेपी में गए नेताओं की सूची में एनसीपी के पूर्व मेयर, उपमेयर और स्थायी समिति के अध्यक्ष शामिल हैं.
नाम न छापने की शर्त पर एनसीपी के एक दूसरे नेता ने कहा, “इन दलबदल से ठीक पहले हमारे वरिष्ठ नेताओं ने मुंबई में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और तय हुआ था कि महायुति के सहयोगी एक-दूसरे के नेताओं को नहीं तोड़ेंगे, लेकिन इसके बावजूद, अगले ही दिन बीजेपी के पुणे नेताओं ने इस समझ को तोड़ दिया.”
सोमवार को एनसीपी ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए बीजेपी के पूर्व नगरसेवक और जिले के बड़े राजनीतिक नेता संदीप वाघेरे को पार्टी में शामिल कर लिया.
उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा, “नौ साल बाद चुनाव हो रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ता इंतज़ार कर रहे हैं. अगर कोई पार्टी बाहर से बहुत ज्यादा लोगों को ले आती है, तो पुराने कार्यकर्ताओं को जगह नहीं मिलती और वे दूसरे मौके तलाशने लगते हैं. हर पार्टी सबसे अच्छे उम्मीदवार उतारने की कोशिश करेगी. मैं भी अपनी पार्टी के लिए यही करूंगा.”
इस बीच, पुणे और पिंपरी चिंचवड पर पवार खास ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि ये दोनों नगर निगम पार्टी के पारंपरिक गढ़ रहे हैं. 2017 में बीजेपी ने दोनों निगमों से एनसीपी को बाहर कर दिया था. पार्टी नेताओं का कहना है कि पवार ने चुनाव के लिए उम्मीदवार तय करने में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ घंटों बैठकें कीं.
‘सीट बंटवारे की बातचीत में एनसीपी को नहीं बुलाया गया’
इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री फडणवीस की उपमुख्यमंत्री शिंदे के साथ बैठक हुई थी, इसके बाद शिंदे और बीजेपी के महाराष्ट्र अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण के बीच एक और बैठक हुई, जिसमें आने वाले नगर निगम चुनावों में साथ चुनाव लड़ने पर चर्चा की गई. इन बैठकों में एनसीपी नेता शामिल नहीं थे.
चव्हाण और शिंदे ने अलग-अलग जगहों पर सीट बंटवारे पर चर्चा के लिए स्थानीय स्तर की समितियां बनाने का फैसला किया और कहा कि ये समितियां एनसीपी सहित सभी सहयोगी दलों को बुलाएंगी.
ठाणे में, जो शिंदे का गृह क्षेत्र है, जहां एनसीपी की भी पारंपरिक मौजूदगी रही है और बीजेपी वहां आक्रामक तरीके से अपनी पकड़ बनाना चाहती है, एनसीपी नेताओं का कहना है कि उन्हें महायुति की बैठक में नहीं बुलाया गया.
नवी मुंबई में एनसीपी नेताओं का कहना है कि बीजेपी ने पार्टी नेताओं को नहीं बुलाया, लेकिन शिवसेना ने बुलाया था. उक्त एनसीपी नेता ने कहा, “हालांकि, माहौल ऐसा था कि बीजेपी और शिवसेना ज़्यादातर सीटें आपस में बांट लेंगी और फिर हमें शायद मुस्लिम-बहुल वार्ड दे दिए जाएंगे. वे हमें एक मुस्लिम पार्टी बनाकर दिखा रहे थे.”
नवी मुंबई में एनसीपी को तब तक मजबूत माना जाता था, जब तक स्थानीय कद्दावर नेता गणेश नाइक 2019 में कई नगरसेवकों के साथ बीजेपी में शामिल नहीं हो गए थे.
मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए बीजेपी मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, “कुछ जगहों पर बातचीत चल रही है—विदर्भ में, मराठवाड़ा में. हम एक-दो दिन में फैसला करेंगे. पुणे और पिंपरी चिंचवड में हमने खुद फैसला किया है कि साथ चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि वहां कार्यकर्ता बहुत ज्यादा हैं. जहां तीनों पार्टियों के सभी कार्यकर्ताओं को समायोजित किया जा सकेगा, वहां गठबंधन होगा और जहां यह संभव नहीं होगा, वहां दोस्ताना मुकाबला होगा.”
‘मुंबई में गठबंधन को लेकर सकारात्मक’
मुंबई की नगर निकाय में बीजेपी मंत्री आशीष शेलार और मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमीत सताम ने कहा था कि अगर एनसीपी विधायक नवाब मलिक के नेतृत्व में चुनाव लड़ती है, तो पार्टी उसके साथ गठबंधन नहीं करेगी.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फरार गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम से जुड़े एक मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में नवाब मलिक के खिलाफ आरोप तय किए हैं.
इस बीच, बीजेपी और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच मुंबई में सीट बंटवारे की बातचीत अंतिम चरण में बताई जा रही है, जहां एनसीपी की मौजूदगी बहुत सीमित है.
मंगलवार को तटकरे ने कहा, “मैंने मुंबई को लेकर मुख्यमंत्री से बात की, इसके बाद फोन पर आशीष शेलार से लंबी बातचीत हुई. हम फिर से चर्चा करेंगे. बीजेपी और शिवसेना के बीच बातचीत चल रही है. मुंबई के लिए महायुति गठबंधन में एनसीपी को शामिल करने को लेकर हम सकारात्मक हैं.”
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