पटना: विपक्ष के इस आरोप को खारिज करते हुए कि नरेंद्र मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आने पर देश के संविधान को बदल देगी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के पाटलिपुत्र निर्वाचन क्षेत्र से मौजूदा सांसद राम कृपाल यादव ने कहा कि यह नहीं हो सकता क्योंकि “पिछड़े समुदाय के बेटे और आदिवासियों की बेटियां इसकी रक्षा कर रही हैं.”
उनका इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो ओबीसी हैं और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, जो आदिवासी समुदाय से हैं, का ज़िक्र था.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इस हफ्ते की शुरुआत में आरोप लगाया था कि भाजपा एक “तानाशाही” शासन लाएगी और सत्ता में आने पर संविधान को फिर से लिख सकती है. लालू ने कहा कि बीजेपी को मौजूदा संविधान, पिछड़े वर्ग, आदिवासियों और दलितों से दिक्कत है.
संयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राजद नेता के आरोप का खंडन करते हुए कहा, “बाबासाहेब आंबेडकर भी संविधान नहीं बदल सकते”.
संविधान को लेकर विवाद तब तेज़ हो गया जब लोकसभा चुनाव लड़ रहे कुछ भाजपा नेताओं ने इसे बदलने की ज़रूरतों के बारे में बयान दिए.
“पुनर्लेखन” का आह्वान करने वाले पहले व्यक्ति उत्तर कन्नड़ से छह बार के सांसद अनंत कुमार हेगड़े थे, जिन्होंने कहा कि इसे प्रभावी बनाने के लिए भाजपा को 543-सदस्यीय लोकसभा में 400 सीटें जीतनी होंगी. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने “हिंदुओं पर अत्याचार” करने के लिए संविधान को बदल दिया है.
भाजपा ने हेगड़े को उत्तर कन्नड़ से हटा दिया और उनकी जगह विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी को उम्मीदवार बनाया.
हालांकि, राम कृपाल यादव यादव ने दिप्रिंट को बताया कि ये सारी बातें पूरी तरह से “बकवास” थीं.
यादव पटना जिले के पाटलिपुत्र में राजद प्रमुख की बेटी मीसा भारती के खिलाफ मैदान में हैं, उन्होंने 2014 से उन्हें दो बार हराया है. भारती 2016 से राज्यसभा की सदस्य हैं.
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‘RJD उम्मीदवार पाटलिपुत्र के नहीं’
मीसा भारती का नाम लिए बिना, यादव ने दिप्रिंट को बताया कि भारती और उनकी उम्मीदवारी के बीच महत्वपूर्ण अंतर उनकी 24/7 उपलब्धता था. उन्होंने कहा, “मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के दुख और खुशी के मौकों पर मौजूद हूं.”
कभी लालू के करीबी रहे यादव ने लोगों के लिए उपलब्ध नहीं होने के लिए मीसा को फटकार लगाई. उन्होंने पूछा, “उन्हें मिले वोटों और मेरे (2019 में) वोटों के बीच का अंतर केवल 40,000 था. उनकी पार्टी के 18 महीने तक सत्ता में रहने के बावजूद उन्होंने उनके लिए क्या किया है?”
उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव राज्य में उपमुख्यमंत्री और विपक्षी दल के नेता थे. लोगों से मिलने और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए वे कितनी बार पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र आए? वे रोज़ कितने लोगों से मिलते हैं?”
टिकट नहीं मिला तो छोड़ी RJD
2014 के आम चुनाव से पहले पाटलिपुत्र से टिकट नहीं मिलने के बाद यादव ने राजद का साथ छोड़ दिया था क्योंकि लालू यादव ने अपनी बेटी मीसा की उम्मीदवारी को प्राथमिकता दी थी. पाटलिपुत्र और पटना साहिब में विभाजित होने से पहले उन्होंने 2004 में राजद के लिए पटना लोकसभा क्षेत्र जीता था.
यादव ने कहा कि उन्होंने लालू यादव के परिवार के साथ सभी संबंध नहीं तोड़े हैं, लेकिन आरोप लगाया कि राजद “पारिवारिक न्याय” की पार्टी में तब्दील हो गई है, जो “सामाजिक न्याय” के अपने संस्थापक सिद्धांत से बहुत दूर है.
यादव ने दिप्रिंट को बताया, “मेरे जैसे कार्यकर्ताओं ने राजद को राज्य में सत्ता तक पहुंचने में मदद की है, लेकिन अब यह सार्वजनिक है कि उन्होंने हमारे साथ कैसा व्यवहार किया है. लालू प्रसाद यादव मेरे बड़े भाई थे और रहेंगे और उनके परिवार के साथ संबंध मेरे ज़िंदा रहने तक रहेंगे, लेकिन हम अपने राजनीतिक और सैद्धांतिक मतभेदों के कारण एक-दूसरे से बात नहीं करते हैं.”
2014 में पार्टी से बाहर निकलने के बारे में खुलते हुए यादव ने कहा कि उनसे पूछा गया था कि वे पाटलिपुत्र से टिकट क्यों चाहते थे क्योंकि वह उस समय पहले से ही राज्यसभा सांसद थे. यादव ने अपनी प्रतिद्वंद्वी मीसा भारती पर कटाक्ष करते हुए कहा, “अगर मुझे लोकसभा में टिकट नहीं दिया गया क्योंकि मैं राज्यसभा सांसद था, तो पाटलिपुत्र से राजद के उम्मीदवार के लिए भी यही मानदंड लागू क्यों नहीं किया जाता.”
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