scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमराजनीतिहरियाणा BJP प्रमुख धनखड़ ने कहा, ‘अब तक’ JJP के साथ 2024 का समझौता नहीं — यह ‘मजबूरी का गठबंधन’ था

हरियाणा BJP प्रमुख धनखड़ ने कहा, ‘अब तक’ JJP के साथ 2024 का समझौता नहीं — यह ‘मजबूरी का गठबंधन’ था

हरियाणा बीजेपी प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि अगर बीजेपी और जेजेपी के शीर्ष नेता बाद में मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो चीज़ें बदल सकती हैं, लेकिन पार्टी के कई नेता चाहते हैं कि गठबंधन खत्म हो जाए.

Text Size:

गुरुग्राम: हरियाणा के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई के अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ के अनुसार, “आज तक”, 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच कोई गठबंधन नहीं है.

बुधवार को अपने गुरुग्राम स्थित आवास पर दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने कहा, हालांकि, अगर दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता बाद में एक साथ चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो चीज़ें बदल सकती हैं.

2019 के राज्य चुनावों के बाद बीजेपी और जेजेपी ने हरियाणा में गठबंधन किया था. साझेदारी के बारे में बात करते हुए, धनखड़ ने कहा, “यह मजबूरी का गठबंधन था क्योंकि 2019 के चुनावों के नतीजों में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था.”

उन्होंने कहा, “पार्टी ने 90 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें जीतीं और हमें सरकार बनाने के लिए जेजेपी की मदद लेनी पड़ी, जिसने 10 सीटें जीती थीं. गठबंधन पांच साल के लिए था और यह अच्छा काम कर रहा है.”

जेजेपी के ‘मिशन दुष्यंत 2024’ के बारे में पूछे जाने पर, जिसे पार्टी ने रविवार को एक रैली में लॉन्च किया था, धनखड़ ने कहा, “जेजेपी भाजपा की तरह एक स्वतंत्र पार्टी है और अगले साल के चुनावों के लिए अपने लक्ष्य और रणनीति बनाने के लिए स्वतंत्र है”.

मिशन दुष्यंत 2024 के तहत, जेजेपी का लक्ष्य हरियाणा में अपना वोट शेयर 17 प्रतिशत (2019 के मुकाबले) से बढ़ाकर 2024 के राज्य चुनावों में 51 प्रतिशत करना है और पार्टी नेता दुष्यंत चौटाला को सीएम के चेहरे के तौर पर पेश करके अपने विधायकों की संख्या 10 से 46 करना है.

धनखड़ ने आगे स्वीकार किया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह और पूर्व राज्य मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सहित बीजेपी के कईं नेता जेजेपी के साथ संबंध तोड़ने के पक्ष में थे, लेकिन उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ही करेगा.

धनखड़ ने बताया, “दुष्यंत चौटाला ने 2019 में हरियाणा विधानसभा में प्रवेश करने के लिए उचाना सीट जीती. बीरेंद्र सिंह और उनके परिवार ने छह बार सीट जीती थी. इसलिए उनकी चिंता समझ में आती है. इसी तरह कैप्टन अभिमन्यु 2014 में नारनौंद से विधायक बने थे. अब, वो सीट भी जेजेपी के पास है.”

अगले साल लोकसभा और हरियाणा चुनाव एक साथ कराने के जेजेपी के आह्वान पर, धनखड़ ने दिप्रिंट से कहा कि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में वह दोनों चुनाव एक साथ कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि “इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय भाजपा के शीर्ष नेताओं द्वारा किया जाएगा.”


यह भी पढ़ें: हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में 48% की कमी, जल्द पूरा होगा 0 बर्निंग का टारगेट- जे पी दलाल


‘बीजेपी चुनाव के लिए तैयार है’

यह दावा करते हुए कि बीजेपी 2024 के चुनावों में सभी हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेगी, जैसा कि 2019 में हुआ था, धनखड़ ने कहा कि पार्टी ने पिछले पांच वर्षों में “ज़मीनी स्तर पर किए गए कार्यों से” जनता के बीच अधिक लोकप्रियता हासिल की है.”

धनखड़ ने कहा, “2014 में जब भाजपा (केंद्र में) सत्ता में आई, तो हमने मोदी लहर पर चुनाव जीता. उस समय हमारी पार्टी का संगठन अपेक्षाकृत छोटा था. यह मंडल स्तर तक था. आज, हमारे पास मंडल के नीचे शक्ति केंद्र हैं, फिर हमारे पास शक्ति केंद्रों के तहत त्रिदेव और त्रिदेवों के तहत पन्ना प्रमुख हैं.”

मंडल एक जिले में एक प्रशासनिक ब्लॉक के बराबर बीजेपी की एक इकाई है, जबकि शक्ति केंद्र एक माध्यमिक इकाई है जिसमें 5 से 10 मतदान केंद्र होते हैं. त्रिदेव एक मतदान केंद्र का प्रबंधन करने वाले तीन व्यक्ति होते हैं और पन्ना प्रमुख मतदाता सूची के एक पन्ने (दोनों तरफ मुद्रित) का प्रभारी होता है.

धनखड़ ने कहा, “हमारी पार्टी हरियाणा में चुनाव के लिए तैयार है.”

उन्होंने कहा, “राज्य में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं और हमारे पास प्रति निर्वाचन क्षेत्र 3,500 पन्ना प्रमुख और 600 त्रिदेव हैं. हमारे पोर्टल पर 2.25 लाख लोग सत्यापित बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में रजिस्टर्ड हैं. अगले दो महीनों के भीतर यह संख्या लगभग 5 लाख हो जाएगी, जिनमें से 4.5 लाख सत्यापित सदस्य होंगे.”

धनखड़ ने उन सुझावों को खारिज कर दिया कि हरियाणा और कुछ अन्य राज्यों में किसान बीजेपी की सरकार से नाखुश हैं और कहा कि यह “कुछ तथाकथित किसान नेताओं” का बीजेपी से खुश नहीं होने का मामला है.

उन्होंने कहा, “इन तथाकथित नेताओं ने पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ा और उनके 10 नेताओं को कुल मिलाकर 10,000 से भी कम वोट मिले.”

धनखड़ के मुताबिक, “मोदी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू की और A2+FL आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गणना की प्रक्रिया शुरू की.”

गौरतलब है कि A2 में किसान द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक, किराए पर लिया गया श्रम, पट्टे पर दी गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर नकद और वस्तु के रूप में सीधे तौर पर खर्च की गई सभी भुगतान लागतें शामिल हैं, जबकि FL अवैतनिक पारिवारिक श्रम का अनुमानित मूल्य है.

स्वामीनाथन आयोग ने C2+50 प्रतिशत फॉर्मूला (किसानों को 50 प्रतिशत रिटर्न देने के लिए पूंजी की इनपुट लागत और भूमि पर किराया सहित) पर एमएसपी की गणना की सिफारिश की है. C2 फॉर्मूले पर गणना की गई एमएसपी A2+FL आधार पर गणना की तुलना में अधिक है.

यह रिपोर्ट 2006 में प्रस्तुत की गई थी, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए केंद्र में सत्ता में थी और इसका कार्यान्वयन भारत में किसानों की प्रमुख मांगों में से एक रहा है.

धनखड़ ने आरोप लगाया, “कांग्रेस सरकार आठ साल से अधिक समय तक रिपोर्ट को दबा कर बैठी रही.”

बीजेपी नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा और व्हाइट हाउस में उनके गर्मजोशी से स्वागत का भी ज़िक्र करते हुए कहा कि लोगों ने वो समय देखा है जब भारत के नेताओं की तलाशी ली जाती थी और उन्हें अपने जूते उतारने के लिए कहा जाता था.

उन्होंने इस साल मई में प्रशांत द्वीप राष्ट्र की यात्रा के दौरान पापुआ न्यू गिनी के पीएम जेम्स मारापे द्वारा मोदी के विशेष स्वागत का ज़िक्र करते हुए कहा कि “लोगों ने देखा कि एक राष्ट्र का मुखिया पीएम मोदी के पैर छू रहा है.”

धनखड़ ने कहा, “एक अन्य देश के प्रमुख (ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री एंथनी एल्बनीज़) ने मोदी को ‘बॉस’ कहकर संबोधित किया. मोदी के शासन के दौरान, हमने भारत को ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था से आगे निकलते देखा है, एक ऐसा देश जो कभी एक साम्राज्य था जहां सूरज कभी डूबता नहीं था.”

पिछले महीने बीजेपी प्रमुख जे.पी.नड्डा के साथ जनरल दलबीर सिंह सुहाग (सेवानिवृत्त) के आवास पर अपनी यात्रा को याद करते हुए, धनखड़ ने कहा कि पूर्व सेना प्रमुख ने उन्हें बताया कि वे “पीएम मोदी के साथ काम करके बहुत भाग्यशाली थे, क्योंकि यह पहली बार था” जब भारतीय सेना ने आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए बर्मा (म्यांमार) में सीमा पार की और नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के खिलाफ हमला करने के लिए फिर से उरी (जम्मू और कश्मीर) में सीमा पार की.

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: BJP से ब्रेकअप? JJP ने लॉन्च किया ‘मिशन दुष्यंत 2024’, हरियाणा विधानसभा में 51% वोट शेयर का लक्ष्य


 

share & View comments