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Monday, 11 November, 2024
होमराजनीति‘चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं’, UP सीट के लिए नीतीश कुमार की दावेदारी की चर्चा के बीच प्रशांत किशोर का तंज

‘चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं’, UP सीट के लिए नीतीश कुमार की दावेदारी की चर्चा के बीच प्रशांत किशोर का तंज

बुधवार को बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा था कि फूलपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग है कि नीतीश को 2024 में वहां से चुनाव लड़ना चाहिए.

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पटना: जन सुराज अभियान के नेता और पूर्व चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि नीतीश चुनाव लोकसभा के चुनाव लड़ने की “हिम्मत नहीं कर सकते”.

वे नए सिरे से चल रही अटकलों का ज़िक्र कर रहे थे कि नीतीश उत्तर प्रदेश के फूलपुर से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. बुधवार को जद (यू) मंत्री श्रवण कुमार — जो अपने गृह जिले नालंदा में नीतीश के करीबी सहयोगी के रूप में जाने जाते हैं — ने कहा था कि फूलपुर में जद (यू) कार्यकर्ताओं की मांग थी कि नीतीश को 2024 में वहां से चुनाव लड़ना चाहिए.

किशोर ने समस्तीपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “चुनाव के बारे में मेरी समझ के अनुसार नीतीश कुमार चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं कर सकते.”

उन्होंने कहा, “आखिरी बार उन्होंने कब चुनाव लड़ा था? मैं लिखकर देने को तैयार हूं कि नीतीश कुमार कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. फूलपुर को लेकर बातें हो रही हैं…उनमें बिहार से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है.”

नीतीश ने आखिरी बार 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ा था और 1985 के बाद से उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है. इसके बजाय वे बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं, उनका कहना है कि वे अकेले एक निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहते हैं.

किशोर कुछ समय के लिए नीतीश की जेडीयू के सदस्य थे, लेकिन नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के समर्थन के लिए सार्वजनिक रूप से उनकी आलोचना करने के बाद 2020 में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था.

राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी गठबंधन के प्रमुख समर्थकों में से एक के रूप में उत्तर प्रदेश में नीतीश के प्रवेश से पूर्वी यूपी में गठबंधन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जहां कुर्मी — वह समुदाय जिससे नीतीश आते हैं – वोटों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

यह समुदाय यूपी की आबादी का अनुमानित 6 प्रतिशत है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, जेडीयू के बिहार मंत्री बिजेंद्र यादव ने कहा, “आप पार्टी कार्यकर्ताओं को मांग करने से कैसे रोक सकते हैं?”

हालांकि, जद (यू) के भीतर भी श्रवण कुमार की घोषणा ने कुछ अविश्वास पैदा कर दिया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह पानी में पत्थर फेंकने और लहरों को समझने के जैसा है.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि श्रवण कुमार नीतीश की सहमति के बिना बयान नहीं दे सकते.


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‘नीतीश को अपने गृह क्षेत्र से बाहर निकलना चाहिए’

तीन साल पहले नीतीश कुमार ने — बिहार विधानसभा में अपने कक्ष में — कुछ जद (यू) नेताओं से कहा था कि राज्यसभा एकमात्र ऐसा सदन है जिसके वे सदस्य नहीं रहे हैं.

अगले दिन जद (यू) नेताओं के बीच हंगामा हुआ, जिन्होंने कहा कि नीतीश को दिल्ली जाने और राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बनने की ज़रूरत है. एक महीने बाद जब नीतीश ने इस “अफवाह” करार दिया, तो यह मांग खत्म हो गई.

पिछले साल जब नीतीश ने एनडीए छोड़कर राजद से हाथ मिलाया था, तो जद (यू) कार्यालय इस नारे से गूंज उठा था, “देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो.”

यहां तक कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद, जिन्होंने एक बार जद (यू) नेताओं के इस दावे पर तंज कसा था कि नीतीश “पीएम मटेरियल” हैं, ने भी इस विचार का समर्थन किया.

बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि वे पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं और उनकी एकमात्र खोज 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराना है.

पिछले यूपी विधानसभा चुनाव में जद (यू) 57 सीटों में से एक को छोड़कर सभी पर अपनी ज़मानत बचाने में विफल रही.

उक्त वरिष्ठ जदयू नेता ने कहा, “समस्या यह है कि बिहार के बाहर के कुर्मी उन्हें अपना नेता नहीं मानते हैं.”

नेता ने कहा, “यूपी में अपना दल जाति का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि झारखंड में कुर्मियों का झुकाव ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन की ओर अधिक है.” नेता ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि अगर नीतीश को राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका निभानी है तो उन्हें अकेले बिहार के नेता होने की अपनी छवि तोड़नी होगी.

उन्होंने कहा, नरेंद्र मोदी ने गुजरात और यूपी दोनों जगहों से चुनाव लड़कर अपना कद दिखाया.

जदयू नेता ने आगे कहा, “राहुल गांधी ने भी ऐसा ही किया, भले ही वे अमेठी में हार गए, AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने वाराणसी में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा, यह जानते हुए भी कि वे हार जाएंगे, लेकिन इस प्रक्रिया में उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि वे लोग राष्ट्रीय राजनीति में रुचि रखते हैं.”

नेता ने कहा, “नीतीश को अपने गृह क्षेत्र के बाहर चुनाव लड़ने की इच्छा भी दिखानी चाहिए — भले ही वह हार जाएं, लेकिन राष्ट्रीय टैग मिलने के बाद अन्य राज्यों के कुर्मी भी उनके साथ आ जाएंगे.”

नीतीश कुमार, जिन्होंने 1989 से छह बार लोकसभा सदस्य के रूप में कार्य किया है, ने 2004 में दो सीटों — नालंदा और बाढ़ (एक सीट जो परिसीमन के बाद अस्तित्व में नहीं है) से चुनाव लड़ा था. हालांकि, वे नालंदा से जीत गए, लेकिन बाढ़ से हार गए थे.

फूलपुर से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने दिप्रिंट से कहा, “2004 के बाद से उन्होंने कोई लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा है. वे अपने गृह क्षेत्र नालंदा से क्यों भाग रहे हैं?”

उन्होंने कहा, “वे (नीतीश) किस मुंह से नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ की संयुक्त शक्ति का मुकाबला कर सकते हैं?”

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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