मुंबई : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम संभावित रूप महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में अप्रत्याशित तौर पर उभरा है. मंगलवार देर रात महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बीच नागपुर में बैठक हुई. जिसके बाद महाराष्ट्र में सरकार के गठन की संभावना की नई आशा दिखाई दी. सूत्रों के अनुसार भागवत गडकरी के नेतृत्व वाली सरकार के पक्षधर हैं.
भाजपा की सहयोगी शिवसेना, गडकरी की विरोधी नहीं है. पार्टी वास्तव में इसे एक जीत के रूप में देखेगी.
दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के करीबी मित्र गडकरी मुंबई में ठाकरे के बांद्रा निवास ‘मातोश्री’ के नियमित आगंतुक थे. वह भाजपा और शिवसेना के बीच उठे विवाद में हमेशा दूत की भूमिका में रहे हैं.
1995 और 1999 के बीच शिवसेना-भाजपा सरकार में पीडब्लूडी मंत्री के रूप में गडकरी ने मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे परियोजना को लागू किया, जिसे देश में पहली परियोजनाओं में से एक के रूप में प्रदर्शित किया गया. यह प्रोजेक्ट दिवंगत शिवसेना प्रमुख के दिल के बेहद करीब था.
पुराने मुंबई-पुणे राजमार्ग पर घंटों तक ट्रैफिक जाम में फंसे रहने के कारण ठाकरे ने सत्ता में आने पर सुपरफास्ट एक्सप्रेस-वे बनाने की कसम खाई थी.
गडकरी ने लगभग दो दशकों तक ठाकरे के साथ अपनी मित्रता को जारी रखा. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी महाराष्ट्र में गडकरी की सरकार के खिलाफ नहीं होंगे.
मैदान में अब भी हैं कांग्रेस और एनसीपी
महाराष्ट्र में दूसरी संभावना यह है कि कांग्रेस द्वारा समर्थित शिवसेना-एनसीपी सरकार बने और ऐसे में मुख्यमंत्री शिवसेना से होगा और एनसीपी के डिप्टी सीएम होने की संभावना हो, जबकि विधानसभा अध्यक्ष का पद कांग्रेस के पास होगा.
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भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीएम की कुर्सी के साथ समझौता नहीं होगा, तीनों पार्टियां एक-दूसरे के साथ सामान्य रूप से कहीं अधिक उलझाने वाली प्रतीत होंगी.
शिवसेना और भाजपा के बीच झगड़ा तेज होने के बाद एक नई गर्मजोशी को तेजी मिली है, जो युद्धरत सहयोगियों को एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचाती दिख रही है.
बंधन में भाजपा
महाराष्ट्र में 105 सीटों के साथ एकमात्र सबसे बड़ी पार्टी भाजपा अब भी इस उम्मीद पर कायम है कि शिवसेना मान जाएगी. मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में, भाजपा के वरिष्ठ नेता और निवर्तमान मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, ‘बादल छटेंगे, सुराज निकलेगा और सरकार बनेगी.’
उन्होंने कहा कि भाजपा ने शिवसेना को प्रस्ताव भेजा है. गडकरी के करीबी माने जाने वाले मुनगंटीवार ने कहा, ‘हम किसी भी चर्चा के लिए तैयार हैं. उन्हें (शिवसेना) को चर्चा शुरू करनी चाहिए. आपको किसी भी मिनट अच्छी खबर मिल सकती है.’
गडकरी के साथ उनकी निकटता को देखते हुए, इससे केवल यह विश्वास मजबूत हुआ है कि केंद्रीय मंत्री राज्य में सीएम का पदभार संभाल सकते हैं. इसमें सबसे बड़ी समस्या गडकरी की महाराष्ट्र में वापसी की अनिच्छा है.
एक सूत्र ने कहा, ‘जब गोवा में सत्ता को लेकर तकरार थी, तो मनोहर पर्रिकर केंद्रीय मंत्री थे, उनको राज्य सरकार के मुखिया के रूप में भेजा गया तो गडकरी क्यों नहीं?
हालांकि, भाजपा को अब भी शिवसेना के साथ लड़ना पड़ेगा, जो कि सीएम की कुर्सी को लेकर अडिग है. शिवसेना नेता और पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत ने कहा कि भाजपा के साथ कोई और चर्चा नहीं होगी क्योंकि महाराष्ट्र में शीर्ष सीएम पद को लेकर ठाकरे का रुख स्पष्ट है.
भाजपा भी एक इंच नहीं खिसक रही है. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाने वाले महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने स्पष्ट रूप से कहा, ‘सीएम पद के लिए कोई समझौता नहीं होगा. अन्य सभी चर्चाओं के लिए, हमारे दरवाजे शिवसेना के लिए खुले हैं.’
एक वरिष्ठ नेता ने यह माना कि इस तरह के साहस प्रदर्शन से भाजपा बौखला गई है.
दबाव में सीएम
गतिरोध ने केवल फडणवीस की मुश्किलें बढ़ाई हैं.
सीएम ने सभी विरोधियों को दबा दिया, भाजपा के भीतर से लेकर उनकी कुर्सी पर प्रतिद्वंद्वियों के रूप में देखे जाने वालों को टिकट देने से इंकार कर दिया था. गडकरी को कभी पीएम की कुर्सी के दावेदार के रूप में देखा जाता था, उनको केंद्र में दरकिनार कर दिया गया था, उनके खेमे से आने वाले लोगों को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया गया था.
लेकिन अब, फडणवीस के लिए भाजपा में थोड़ी सहानुभूति है.
2014 में भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के एक बड़े हिस्से को लगा था कि चंद्रकांत पाटिल को महाराष्ट्र में शीर्ष पद दिया जाएगा. लेकिन, जब फडणवीस को विधानमंडल दल के नेता के रूप में चुना गया था, तो इसने कई लोगों को नाराज़ कर दिया था.
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फडणवीस ने कभी भी शिवसेना के साथ समझौता नहीं किया. शायद यह वही तथ्य हो जो उनके विपरीत जा रहा हो.
निवर्तमान भाजपा-शिवसेना सरकार का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है, सभी पार्टियों के लिए समय धीरे -धीरे बीत रहा है और यदि तब तक नई सरकार नहीं बनती तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होगा.
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