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Friday, 3 May, 2024
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BSP के नए UP चीफ, मायावती के वफादार भीम राजभर जिन्होंने बूथ अध्यक्ष से करियर की शुरुआत की

मायावती ने भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. दलित व मुस्लिम गठजोड़ में ओबीसी को रिप्रेजेंटेशन देकर वे पूर्वांचल की सीटों पर पार्टी को मजबूत करना चाहती हैं.

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लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने रविवार को मुनाकद अली की जगह भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया. उपचुनाव में बीएसपी का खाता न खुलने के बाद मायावती ने मुनाकद अली से कुर्सी छीनकर अपने पुराने वफादार वर्कर भीम राजभर को यूपी का चीफ बनाया है. 52 वर्षीय राजभर पिछड़े समाज से आते हैं और वे बसपा से पिछले 35 साल से जुड़े हुए हैं.

प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले वे आजमगढ़ मंडल के जोनल कोऑर्डिनेर के पद पर कार्यरत थे. बसपा नेता व आजमगढ़ के जिला अध्यक्ष अरविंद कुमार के मुताबिक, ‘राजभर को पार्टी ने हाल ही में हुए बिहार चुनाव की जिम्मेदारी दे रखी थी, जहां पार्टी एक सीट जीतने में कामयाब रही है. वे पार्टी के पुराने नेता रहे हैं.’

दिप्रिंट से बातचीत में भीम राजभर ने बताया कि 1990 में ग्रेजुएशन के बाद मऊ जिले में सेक्टर बूथ अध्यक्ष के तौर पर पार्टी में अपने करियर की शुरुआत की थी. वह मऊ जिले के कोपागंज क्षेत्र के बाबूपुर साहूपुर गांव के निवासी हैं. उनके पिता रामबलि राजभर छत्तीसगढ़ में कोल माइंस में सिक्योरिटी इंस्पेक्टर थे. पार्टी की सदस्यता उन्होंने 1985 में छत्तीसगढ़ में छात्र जीवन के दौरान ही ले ली थी. उन्होंने लॉ में अपनी पढ़ाई पूरी की है.

मऊ में बसपा से जुड़े एक स्थानीय नेता के मुताबिक, ‘1990 में पिता के रिटायर होने पर भीम पैतृक घर मऊ आ गए और यहां पार्टी ने उन्हें पहली बार इंदारा सेक्टर के बूथ का अध्यक्ष बनाया. उनकी कार्य क्षमता को देखते हुए 31 साल की उम्र में 2001 में मऊ जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई.’


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‘साल 2012 में बसपा ने भीम राजभर को मऊ की सदर सीट से प्रत्याशी बनाया. करीबी मुकाबले में वे कौमी एकता दल के प्रत्याशी व बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से लगभग चार हजार वोटों से चुनाव हार जरूर गए. लेकिन पार्टी का भरोसा उन पर बना रहा. कुछ महीने बाद पार्टी ने उन्हें आजमगढ़ का मंडल प्रभारी बनाया गया. इसके बाद 2017 में उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य का प्रदेश कोआर्डिनेटर बनाया गया. फिर 2018 को भीम का कार्य क्षेत्र बदला. इस बार उन्हें बिहार राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई. पार्टी के लिए हर वक्त एक निष्ठावान कार्यकर्ता के तौर पर डटे रहने वाले भीम राजभर को बहन जी के लॉयल सिपाही होने का तोहफा मिला है.’

मायावती ने अपने ट्वीट में भी इसका जिक्र किया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा कि यूपी में अति-पिछड़े वर्ग (ओबीसी) में राजभर समाज के पार्टी व मूवमेंट से जुड़े पुराने, कर्मठ एवं अनुशासित सिपाही श्री भीम राजभर, निवासी ज़िला मऊ (आज़मगढ़ मण्डल) को बीएसपी उत्तर प्रदेश स्टेट यूनिट का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. इनको हार्दिक बधाई व शुभकामनायें.

राजभर को बनाने की वजह

मायावती ने भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. दलित व मुस्लिम गठजोड़ में ओबीसी को रिप्रेजेंटेशन देकर वे पूर्वांचल की सीटों पर पार्टी को मजबूत करना चाहती हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजभर समुदाय यूपी की आबादी का केवल तीन प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन लगभग 50 विधानसभा सीटों पर इनकी आबादी लगभग 10-15 प्रतिशत है. गाजीपुर, बनारस, मऊ, आजमगढ़ समेत कई जिलों की विधानसभा सीटों पर इनके वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि मायावती इस समीकरण के जरिए पूर्वी यूपी में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती हैं क्योंकि बसपा को पूर्वी के मुकाबले पश्चिम यूपी में ज्यादा मजबूत माना जाता है. बीजेपी के साथ 2017 विधानसभा चुनाव में गठबंधन कर लड़ी ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने इस इलाके से चार सीटें जीत चुकी है.

बसपा से जुड़े एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, ओबीसी को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की एक वजह ये भी मानी जा रही है कि जिस तरह से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बीएसपी के कई दलित नेतओं को तोड़कर दलित वोट बैंक में सेंधमारी की सोच रहे हैं उसी तरह मायावती अब ओबीसी व ब्राह्मणों पर फोकस करने जा रही हैं. आने वाले समय में कुछ अन्य पदों पर भी ओबीसी नेताओं को अपॉइंट किया जा सकता है. चुनावी समीकरणों के लिहाज से पार्टी चुनाव से ब्राह्मण व ओबीसी नेताओं को मजबूत कर सकती है. इस पर रणनीति तैयार की जा रही है.

2017 विधानसभा चुनाव के बाद से भीम राजभर बीएसपी के ये चौथे प्रदेश अध्यक्ष हैं. भीम राजभर से पहले मुनाकद अली, आरएस कुशवाहा व राम अचल राजभर प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं.

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