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Wednesday, 2 April, 2025
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ब्राह्मणों का दिल जीतने निकली BSP, समुदाय में ‘योगी सरकार के खिलाफ फैले गुस्से’ को भुनाने की बनाई रणनीति

बीएसपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सतीश मिश्रा नवरात्र से जिलेवार जाकर ब्राह्मण कार्यकर्ताओं की बैठकें व सम्मेलन करेंगे. इसकी तैयारी के लिए वह इन दिनों लखनऊ स्थित अपने घर पर रोजाना पार्टी के ब्राह्मण नेताओं व कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं.

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लखनऊ : यूपी में योगी सरकार के प्रति ब्राह्मणों की बढ़ती नाराजगी की चर्चा यूपी के राजनीतिक गलियारों में पिछले काफी समय से है. इसी को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) जिलेवार ब्राह्मण कार्यकर्ताओं की बैठकें व सम्मेलन करेगी.

अक्टूबर मध्य में नवरात्री के दौरान इसकी शुरुआत होगी. इन सम्मेलनों की रूपरेखा तैयार करने की जिम्मेदारी मायावती के करीबी व पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के पास है.

बीएसपी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सतीश मिश्रा नवरात्र से जिलेवार जाकर ब्राह्मण कार्यकर्ताओं की बैठकें व सम्मेलन करेंगे. इसकी तैयारी के लिए वह इन दिनों लखनऊ स्थित अपने घर पर रोजाना पार्टी के ब्राह्मण नेताओं व कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं. हर जिले के ब्राह्मण कार्यकर्ताओं की लिस्ट तैयार की जा रही हैं. वहीं जिला स्तर पर ब्राह्मणों को जोड़ने की जिम्मेदारी भी नेताओं को दी जा रही है. कोरोनाकाल में चूंकि अब छोटी पॉलिटिकल मीटिंग्स करने की इजाजत मिल गई इसलिए जिला स्तर पर ब्राह्मण सम्मेलनों की भी तैयारी है. कई जगह पर मीटिंग्स व सम्मेलन एक साथ ही होंगे जिनमें सतीश मिश्रा एक-एक कार्यकर्ता से खुद मिलेंगे.

कोर टीम

सतीश चंद्र मिश्र के नेतृत्व में बसपा के अन्य नेताओं की एक टीम तैयार की गई है जो ब्राह्मण सम्मेलनों से जुड़ा काम देखेगी. इनमें बीएसपी के सीनियर लीडर नकुल दुबे, परेश मिश्र, अनंत मिश्र ‘अंटू’, व रंगनाथ मिश्र शामिल हैं.

पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, ‘मध्य व पूर्वी यूपी में पार्टी के पास काफी ब्राह्मण नेता व कार्यकर्ता हैं.’ हाल ही में प्रतापगढ़ के पूर्व विधायक राम शिरोमणि शुक्ला व फतेहपुर के पूर्व विधायक आदित्य पांडेय सहित कई पूर्व ब्लॉक प्रमुख व अन्य नेता बसपा में शामिल हुए.अब पार्टी को पश्चिम यूपी में ब्राह्मण चेहरों की तलाश है.

ब्राह्मणों की नाराजगी को भुनाने की कोशिश

बीएसपी के एक सीनियर लीडर ने बताया, ‘योगी सरकार से ब्राह्मण बेहद नाराज हैं. कांग्रेस व समाजवादी पार्टी भी उनके लिए ऊंचे स्तर पर आवाज नहीं उठा रही. वहीं बहनजी (मायावती) खुद अपने बयानों में ब्राह्मणों पर हो रहे अत्याचार का जिक्र कर चुकी हैं. ऐसे में ब्राह्मणों के लिए सबसे बड़ी उम्मीद अब बहन जी ही हैं. हमने 2007 विधानसभा चुनाव में भी ये साबित किया था जब ब्राह्मणों के सहयोगी से हमारी सरकार बनी थी.’

बीते जुलाई के महीने में विकास दुबे एनकाउंटर के बाद तमाम ब्राह्मण संगठनों ने योगी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे जिसके बाद से यूपी में ब्राह्मण बनाम ठाकुर की राजनीति के समीकरण तैयार होने लगे. यूपी में विपक्षी दलों का ब्राह्मणों के समर्थन में उतरने की अहम वजह ब्राह्मणों की सरकार से नाराजगी बनी. अखिल भारतीय ब्राहम्ण महासभा (रा.) के अध्यक्ष राजेंद्र नाथ त्रिपाठी का कहना है कि यूपी में बीते दो साल में 500 से अधिक ब्राह्मणों की हत्याएं हुई हैं.


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बता दें कि साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने ब्राह्मण+दलित+मुस्लिम समीकरण पर चुनाव लड़ा तो उसकी सरकार बन गई. बसपा ने इस चुनाव में 86 टिकट ब्राह्मणों को दिए थे. हालांकि बाद में ब्राह्मण छिटककर बीजेपी की ओर आ गए लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए हर दल इसी तरह के समीकरण बनाने की तैयारी कर रहा है.

मायावती ने खुद संभाला मोर्चा

कांग्रेस में जितिन प्रसाद व समाजवादी पार्टी में अभिषेक मिश्रा व मनोज पांडे तो ब्राह्मणों के मुद्दे उठा रहे हैं लेकिन टॉप लीडरशिप की ओर से ब्राह्मण उत्तपीड़न पर कोई बयान नहीं आया वहीं बीएसपी में खुद मायावती इसको लेकर कई बार बयान दे चुकी हैं.

इसके अलावा पिछले दिनों समाजवादी पार्टी की ओर से लखनऊ में 108 फिट की परशुराम की प्रतिमा लगाने की घोषणा की गई. इसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस काॅन्फ्रेंस करके कहा कि अगर वह 2022 में सत्ता में आएंगी तो परशुराम की इससे भी प्रतिमा लगाएंगी. यही नहीं उन्होंने तो पार्क और अस्पताल के नाम परशुराम के नाम पर करने की भी घोषणा कर दी.

 ‘ब्राह्मण प्लान’  धोखा है

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मिश्रा ने कहा है कि बीएसपी को एक बार फिर से ब्राह्मण याद आ रहे हैं. जब इनकी सरकार थी तो इन्हें नहीं याद आए थे. बीएसपी सरकार में एसएसटी एक्ट के फर्जी मुकदमे ब्राह्मणों पर लगवाए गए थे. अब ब्राह्ण इनेका साथ नहीं जाएंगे.

कांग्रेस के सीनियर लीडर व यूपी में ‘ब्राह्मण चेतना संवाद’ चलाने वाले जितिन प्रसाद ने कहा है कि मायावती ब्राह्मणों को वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती है. 2007 में ब्राह्मणों ने इनकी सरकार बनवाई लेकिन समाज को सिर्फ धोखा मिला. इस बार ब्राह्मण इनके झांसे में नहीं आएंगे.

वहीं बहुजन समाज पार्टी की ओर से जब राज्यसभा सासंद सतीश मिश्रा से इसका जवाब लेने की कोशिश की गई तो वह उपलब्ध नहीं थे.

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