नई दिल्ली: बिहार चुनावों में अमित शाह, जेपी नड्डा , भाजपा , एनडीए, बिहार की जीत, इस साल जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद बतौर बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की पहली कामयाबी है. और अब, अपने पूर्ववर्ती अमित शाह के विस्तारवादी मॉडल पर चलते हुए, नड्डा 100 से अधिक दिनों के लिए देशभर की यात्रा करने की तैयारी कर रहे हैं, जो दिसंबर के पहले हफ्ते में शुरू होगी.
अपने ‘प्रवास’ के दौरान, नड्डा रात में प्रदेश राजधानियों में ठहरेंगे, बूथ केंद्रों का दौरा करेंगे, बुद्धिजीवियों से मुलाक़ात करेंगे, और बूथ-स्तर के प्रमुखों और कार्यकर्ताओं के बड़े वर्गों से मिलकर, पंजाब, तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे फोकस राज्यों में, भविष्य का रोड मैप तैयार करने और पार्टी को मज़बूत करने पर चर्चा करेंगे. इन सभी राज्यों में अगले दो सालों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
रविवार को नड्डा की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में, विस्तृत भारत ‘प्रवास कार्यक्रम’ पर चर्चा की गई, और निर्णय लिया गया कि नड्डा को देश का दौरा करना चाहिए, चूंकि बतौर बीजेपी प्रमुख अमित शाह की ये सबसे महत्वपूर्ण संगठनात्मक पहल थी. इससे उन्हें ज़मीनी स्तर पर पार्टी की ताक़त और उसकी कमज़ोरियों को समझने में मदद मिली, जिसके परिणामस्वरूप फीडबैक पर आधारित बहुत से कार्यक्रम शुरू किए गए.
पिछले हफ्ते ही, जब बीजेपी बिहार में 74 सीटों पर जीत का जश्न मना रही थी, तब प्रधानमंत्री मोदी ने जीत के लिए नड्डा की पीठ थपथपाई थी और नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं और नेताओं की भीड़ से नारा भी लगवाया था- ‘नड्डा जी आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं’.
अपना समय किस तरह बांटेंगे नड्डा
नड्डा का दौरा दिसंबर के पहले हफ्ते में शुरू होगा और तीन महीने चलेगा, हालांकि इसे बढ़ाया भी जा सकता है, क्योंकि पश्चिम बंगाल विधान सभा का प्रचार भी उसी समय के आसपास होने की संभावना है. नड्डा तमिलनाडु, केरल और असम में अलग से प्रचार करेंगे, जहां चुनाव होने हैं.
नड्डा जिन राज्यों का दौरा करेंगे, उन्हें उनके आकार और बीजेपी की स्थानीय ताक़त के हिसाब से, तीन श्रेणियों में बांटा गया है- बड़े राज्यों में वो तीन-तीन दिन, पंजाब, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र तमिलनाडु, राजस्थान में रुकेंगे; दो-दो दिन हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में रुकेंगे, और एक-एक दिन उत्तरपूर्वी राज्यों में रुकेंगे.
एक बीजेपी महासचिव ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया: ‘जनवरी में अध्यक्ष पद संभालने के बाद, ये उनका पहला देशव्यापी ग्राउंड फीडबैक टुअर होगा. शुरू में, वो दिल्ली विधानसभा चुनावों में व्यस्त थे (फरवरी में), और फिर कोविड-19 महामारी फैल गई. उसके बाद से उन्होंने एक विशाल सेवा अभियान शुरू किया हुआ है, जिसमें वो कोविड के दौरान डिजिटलरूप से, नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलते रहे हैं.
‘बिहार चुनावों में हमारी जीत के बाद, अब उनके पास समय है संगठन को उन चुनावी राज्यों में मज़बूत करने का, जहां हम कमज़ोर स्थिति में हैं. वो फीडबैक लेंगे और 2024 में अगले आम चुनावों के लिए, एक ख़ाका तैयार करेंगे. उनके दौरे के लिए नौ लक्ष्य तय किए गए हैं, जिन्हें राज्य इकाइयों को बता दिया गया है’.
कार्यकर्ताओं के परिवारों तक पहुंचना
नड्डा के राज्यों के दौरों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए, ‘भारत प्रवास’ कार्यक्रम बनाने में शामिल एक नेता ने, दिप्रिंट को बताया कि कार्यक्रम इस तरह तैयार किया गया है कि बीजेपी प्रमुख, नेताओं के साथ न केवल राज्यों की राजधानियों, बल्कि अलग अलग केंद्रों पर भी ठहरेंगे.
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नेता ने कहा, ‘वो संगठनात्मक गतिविधियों का वास्तविक अर्थ समझेंगे, और भविष्य के लिए तैयारियां भी देखेंगे. जिन प्रांतों में बीजेपी किसी सहयोगी के साथ सत्ता में है, वहां बेहतर समन्वय के लिए, वो अपने पार्टी नेताओं से भी मिलेंगे’.
उन्होंने आगे कहा, ‘जिन राज्यों में बीजेपी एक प्रमुख भूमिका में आना चाहती है, जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल, वहां वो बुद्धिजीवियों और असरदार लोगों के अलग अलग वर्गों से मिलकर, पार्टी की रणनीति के बारे उनके विचार जानेंगे’.
हर प्रांत में नड्डा बुद्धिजीवियों, बीजेपी के बूथ प्रमुखों, और शक्ति केंद्र प्रमुखों से मुलाक़ात करेंगे.
पार्टी के एक उपाध्यक्ष ने कहा: ‘नड्डा जी प्रमुखों और ज़िला अध्यक्षों के घर जाकर उनके परिवारों से भी मिलेंगे, और ज़मीनी स्तर पर पार्टी के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाएंगे. जिन जगहों पर वो रात में ठहरेंगे, वहां संगठन की बैठकें होंगी, समीक्षा बैठकें होंगी, कोर कमेटी की बैठकें होंगी, और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ डिनर का कार्यक्रम होगा. कुछ जगहों पर कार्यकर्ताओं के घर पर भी डिनर होगा’.
उपाध्यक्ष ने आगे कहा: ‘अमित शाह ने बीजेपी को ऐसे क्षेत्रों में फैलाया है, जहां पार्टी कभी मैदान में नहीं रही थी, जैसे पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मणिपुर, और उत्तरपूर्व के कई अन्य प्रांत. नड्डा के सामने पार्टी को पंजाब, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, और आंध्र प्रदेश में फैलाने की चुनौती है. लेकिन शाह पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में, पार्टी के विस्तार की निगरानी स्वयं कर रहे हैं, इसलिए नड्डा अपना ध्यान दूसरे प्रांतों पर केंद्रित कर सकते हैं. लेकिन उन्हें योजना के कार्यान्वयन पर निगाह रखनी होगी’.
शाह के प्रवास का ख़ाका
बीजेपी अध्यक्ष के तौर पर अपने पांच वर्षों में, शाह ने 400 से ज़्यादा दिनों तक राज्यों के दौरे किए, और दिल्ली लौटने की बजाय 300 रातें वहीं गुज़ारीं. श्यामा प्रसाद मूकर्जी रिसर्च फाउण्डेशन के डायरेक्टर, अनिर्बान गांगुली की किताब अमित शाह एंड दि मार्च ऑफ द बीजेपी के अनुसार, शाह ने 3.38 लाख किलोमीटर संगठन के लिए कवर किए, और 4.52 लाख किलोमीटर की यात्राएं चुनाव प्रचार के लिए की हैं
एक बीजेपी लीडर ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के एक दौरे का ज़िक्र किया, जब शाह चुनावी तैयारियों का जायज़ा लेने के लिए अमेठी में थे. ‘एक मीटिंग लंबी चली और आधी रात के बाद 2 बजे ख़त्म हुई. पार्टी नेता उम्मीद कर रहे थे कि शाह लखनऊ लौट जाएंगे, जो सिर्फ डेढ़ घंटे की दूरी पर था. लेकिन उन्होंने अमेठी में ही ठहरने का फैसला किया, और मीटिंग की जगह पर ही रात बिताई, जो डाल्डा वनस्पति तेल की फैक्ट्री का वेयरहाउस था. दूसरे नेता भी उनके साथ ही ठहर गए. इस तरह उन्होंने रात्रि प्रवास की धारणा को फिर से जीवित किया, जिसका अभ्यास हमने अपने आरएसएस के दिनों के लिए किया है’.
उन्होंने आगे कहा, ‘बीजेपी अध्यक्ष बनने से पहले, नड्डा जी ने अमित शाह के साथ नज़दीकी से काम किया है, और वो बूथ के दौरों तथा रात्रि प्रवास की अहमियत से परिचित हैं, जिससे हमें बड़े पैमाने पर संगठन का विस्तार करने में सहायता मिली है’.
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