नई दिल्ली : राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के बाबजूद सरकार ने जिस तरह बेहतर फ़्लोर मैनेजमेंट अपनाते हुए तीन तलाक़ विधेयक को पारित कराया उससे विपक्षी एकता की पूरी तरह धज्जियां उड़ गईं. विपक्ष के तालमेल की हालात यह थी सरकार की मंशा जानते हुए भी कई पार्टियों ने तो व्हिप जारी करना भी उचित नहीं समझा. मुख्य विपक्षी कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस की तैयारी ऐसी थी कि उसके चार सांसदों ने वोट नहीं डाला.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बुधवार को संसद में आरोप लगाया कि सदन के नेता थावरचंद्र गहलोत ने 6 बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर सहमति जताई थी लेकिन सरकार ने वादाखिलाफी करते हुए पहले एनआईए बिल पास कराया और सुबह की सूची में तीन तलाक़ को लिस्ट कर हड़बड़ी में इसे पारित करा दिया. पर विपक्षी दलों की तैयारी देखिये व्हिप के बाद भी कांग्रेस के चार सांसद राजीव बिस्वाल, मुकुद मेधी, प्रताप बाजवा और विवेक तन्खा सदन में अनुपस्थित रहे.
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विवेक तन्खा के मुताबिक उन्होंने अपने नेता गु़लाम नबी सो जबलपुर कोर्ट में जिंदल केस की सुनवाई के लिए जाने की अनुमति ली थी. सुबह जब कांग्रेस को पता चला कि सरकार ने विधेयक को पारित करने के लिए लिस्ट कर दिया है तो विवेक तन्खा को तुरंत दिल्ली लौटने को कहा गया पर जबलपुर में फंसे तन्खा के लिए मतदान तक दिल्ली पहुंचना असंभव था क्योंकि जबलपुर से दिल्ली की फ्लाइट दिन में नहीं थी. ऐसे ही कारण बाकी सांसदों के पास भी हैं किसी की तबीयत खराब थी तो किसी ने गैरहाजिर होने की अनुमति ले रखी थी.
नॉमिनेटेड राज्यसभा सांसद केटीएस तुलसी का मामला भी कुछ ऐसा ही है. वो विधेयक में संशोधन प्रस्ताव रखने के समय उपस्थित थे पर मतदान के समय उनके पास कोई केस आ गया था. एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल मतदान के समय दिल्ली से बाहर थे पर बुधवार को संसद में थे. उनके गैर हाज़िर होने की वजह थी कि वे दिल्ली से बाहर थे. कुरेदने पर कहतें है पहले कांग्रेस से तो पूछो कि उनके सांसद कहां थे. एनसीपी के दोनों राज्यसभा सांसद मतदान के समय उपस्थित नहीं थे. आरजेडी के राम जेठमलानी खराब स्वास्थ्य की वजह से नहीं आ सके.
समाजवादी पार्टी के संजय सेठ भी खराब स्वास्थ्य की वजह से मतदान से बाहर रहे पर सपा के सुरेंद्र नागर के अनुपस्थित रहने की वजह कोई व्यक्तिगत काम का उसी समय हो जाना था. सपा के बाकी अनुपस्थित सांसदों के पास भी ऐसे ही बहाने हैं. जिनमें बेनी प्रसाद वर्मा, सुखराम यादव, चंद्रपाल यादव, आजम खान की पत्नी तज़ीम फातिमा भी अनुपस्थित रहीं. दिलचस्प बात यह है कि आजम खान तीन तलाक विधेयक का संसद के बाहर और भीतर पुरजोर विरोध करते रहे.
बीएसपी के नेता सतीश चंद्र मिश्रा विधेयक का विरोध करने के समय मौजूद थे, मतदान के समय चारों सांसद सदन से ग़ायब थे. बुधवार को पूछने पर कहते हैं, ‘हम ऐसे अलोकतांत्रिक विधेयक का हिस्सा नहीं होना चाहते थे’ पर सवाल यह है कि सदन में विधेयक को पास करा कर क्या बीएसपी सुप्रीमो जांच एजेंसियों से बचना चाहती थीं?
बहस के दौरान विधेयक का विरोध करने वाली एडीआईएमके के 11 सांसद मतदान के समय वाक आउट कर गए. वायएसआर के दो सांसदों में एक सांसद वी प्रभाकर रेड्डी मतदान से ग़ायब रहे. वजह उनका विजयवाड़ा में होना बताया गया. टीडीपी के दोनों सांसदों का कहना था कि संशोधन उनके मुताबिक नहीं था इसलिए विरोध में वे अनुपस्थित रहे. टीआरएस के सांसद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के फोन के बाद पहले ही पाला बदल चुके थे.
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तृणमूल कोटे से उद्योगपति केडी सिंह भी व्यक्तिगत कारण से अनुपस्थित रहे. अनुपस्थित रहकर सरकार की मदद करने वालों में बीएसपी के 4 सांसद, सपा के 7, एनसीपी के 2, पीडीपी के 2, कांग्रेस के 4, टीएससी के 1, आरजेडी डीएमके, वायएसआर और लेफ़्ट के एक एक सांसद शामिल थे. वाक आउट करने वालों में टीआरएस के 6 जेडीयू के 6 और एआईएडीएमके के 11 सांसद शामिल थे. सरकार के प्लोर मैनेजर गृहमंत्री अमित शाह ने विधेयक को पारित कराने की पूरी ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले रखी थी.
बीजेपी नेता के मुताबिक पिछले एक हफ्ते से विपक्षी सांसदों को साधने के लिए भूपेंद्र यादव, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान रेलमंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी को जिम्मेदारी दी गई थी. गलियारे की निगरानी करने के लिए और फ्लोर मैनेजमेंट का जिम्मा केरल के वेल्ली मुरलीधरन को दे रखा था. साथ ही मंगलवार को राज्यसभा गलियारा में सरकार की तैयारी को साफ़ देखा जा सकता था.