scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमराजनीतिफ्लोर टेस्ट से पहले कमलनाथ का इस्तीफा, बोले- एक महाराजा और उनके 22 साथियों ने मिलकर रची साजिश

फ्लोर टेस्ट से पहले कमलनाथ का इस्तीफा, बोले- एक महाराजा और उनके 22 साथियों ने मिलकर रची साजिश

राज्य में करीब 15 साल बीजेपी के शासन के बाद कांग्रेस सरकार में आई थी. यह सरकार महज 15 महीने ही चल सकी है.

Text Size:

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की सियासत में 17 दिन से चल रही उठापटक का अंत शुक्रवार को हो गया. सीएम कमलनाथ ने दोपहर 12 बजे राजधानी भोपाल में सीएम हाउस से प्रेस कांफ्रेस कर राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. राज्य में करीब 15 साल बीजेपी के शासन के बाद कांग्रेस सरकार में आई थी. यह सरकार महज 15 महीने ही चल सकी है.

प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करते हुए सीएम कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम न लेते हुए कहा कि एक महाराजा और उनके 22 विधायकों ने मिलकर हमारी सरकार के खिलाफ साजिश रची.

अपनी प्रतिक्रिया में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ‘मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है. मेरा सदैव मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी. सच्चाई की फिर विजय हुई. सत्यमेवजयते.’

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की कमलनाथ सरकार को शुक्रवार शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट करने का आदेश दिया था. हालांकि इसके पहले ही सीएम कमलनाथ ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी. वहीं दूसरी ओर गुरुवार देर रात को ही विधानसभा स्पीकर ने बागी 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिए थे. यह सभी सिंधिया समर्थक विधायक थे. इधर फ्लोर टेस्ट से पहले भाजपा विधायक शरद कोल ने इस्तीफा दे दिया है.

सीएम कमलनाथ ने कहा, ’11 दिसंबर 2018 को विधानसभा चुनावों का परिणाम आया था. इसमें कांग्रेस पार्टी सबसे अधिक सीटें जीत कर सरकार में आई. 17 दिसंबर को मैंने शपथ ली और 25 दिसंबर को मंत्रिमंडल की शपथ ली. आज 20 मार्च है. इस दौरान हमारा प्रयास प्रदेश की तस्वीर बदलने का रहा. 15 महीनों में मेरी क्या गलती थी, मैंने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा काम पर विश्वास रखा.’

कमलनाथ ने कहा, ‘मेरा क्या कसूर था. मेरी क्या गलती थी. भाजपा को 15 साल मिल थे. मुझे केवल 15 माह काम के लिए मिले. इन 15 माह में मैंने राज्य की तरक्की के लिए काम किया. बीजेपी ने राज्य की जनता के साथ विश्वासघात किया. लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है, जनता इन्हें कभी माफ नहीं करेगी.’

कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी ने हमारे कार्यकाल में हमारे कार्यों के खिलाफ साजिश की, पहले दिन से ये लोग हमारी सरकार गिराने में लगे हुए थे. भाजपा ने 22 विधायकों को बंधक बनाया. अब ये पूरा देश बोल रहा है. करोड़ों रुपए खर्च कर खेल खेला जा रहा है. एक महाराजा और उनके 22 साथियों के साथ मिलकर यह साजिश रची गई.

कमलनाथ ने कहा, इसकी सच्चाई थोड़ी समय में सामने आ जाएगी. हमारी सरकार ने तीन बार विधानसभा में अपना बहुमत साबित किया. भाजपा की ओर से जनता के साथ विश्वासघात किया जा रहा है और लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है. जनता इन्हें कभी भी माफ नहीं करेगी.

इस्तीफा देने से पहले अपनी 15 माह की सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कमलनाथ ने कहा, ‘हमारी सरकार ने लोगों के लिए काम किया. यह भाजपा को रास नहीं आया. हमारी सरकार पर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा. भाजपा ने किसानों के साथ धोखा किया लेकिन हमें किसानों के लिए काम करने नहीं दिया गया. मेरी सरकार ने अपने कार्यकाल में माफियाओं को खत्म करने का काम किया.’

गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के बाद उनके समर्थक 22 विधायकों ने भी पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद से ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर संकट छा गया था. सिंधिया काफी दिनों से कांग्रेस में हो रही उनकी उपेक्षा के चलते नाराज थे. हाल ही में उन्होंमे भाजपा का दामन लिया. वे मध्य प्रदेश से पार्टी के राज्यसभा सीट के उम्मीदवार भी बन गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने शाम 5 बजे तक बहुमत साबित करना का दिया था समय

जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने राज्य की पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है.

अदालत ने आदेश दिया है कि विधानसभा में शाम 5 बजे तक विश्वास मत का परीक्षण किया जाए. सभी विधायकों को अपना हाथ उठाकर मत प्रकट करने का निर्देश दिया है. पूरी कार्यवाही की वीडियों रिकार्डिंग करने का भी निर्देश है.

इसके अलावा कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अगर 16 बागी विधायक विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होना चाहते हैं तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश की पुलिस उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए. कोर्ट ने यह भी साफ किया था कि ये बागी विधायकों की इच्छा पर निर्भर करता है कि वो कार्यवाही में शामिल हों या नहीं.

मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने गुरुवार देर रात कांग्रेस के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए. यह भी विधायक सिंधिया समर्थक हैं. इन सभी विधायकों ने छह अन्य विधायकों के साथ 10 मार्च को अपना इस्तीफा दिया था. लेकिन विधानसभा स्पीकर ने इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था. ये सभी 16 विधायक अभी बेंगलुरु में ठहरे हुए हैं.

इस्तीफा स्वीकार करने के बाद विधानसभा स्पीकर ने कहा था कि वे दुखी हैं. भारी मन से ये इस्तीफा उन्होंने स्वीकार किया है. क्योंकि बागी विधायक ही मेरे खिलाफ कोर्ट में खड़े हो गए हैं. ये लोकतंत्र की बिडंबना है.

मध्य प्रदेश विधानसभा में बहुमत परीक्षण को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा दोनों ने अपने विधायकों को व्हिप जारी किया है. दोनों दलों ने अपने विधायकों को विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान उपस्थित रहने के निर्देश जारी किया है.

यह कहता है विधानसभा का अंक गणित

मध्य प्रदेश की विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं. दो विधायकों के निधन के चलते दो सीटें खाली हुई हैं. कांग्रेस के ​बागी विधायकों के बाद विधानसभा में कुल 206 सीटे रह जाती हैं. इससे बहुमत का आंकड़ा 104 हो जाता है. ऐसे में भाजपा में के पास 107 सदस्य हैं. वहीं कांग्रेस के पास 92 विधायक रह जाते हैं. अगर सपा, बसपा और निर्दलीय सहित 7 विधायक कांग्रेस के साथ जाते हैं तो भी बहुमत भाजपा के पक्ष में ही है.

share & View comments

1 टिप्पणी

Comments are closed.