नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक असामान्य रूप से छोटा बयान देते हुए भारत के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ को सिर्फ “अच्छे स्वास्थ्य” की शुभकामना दी. सोमवार शाम को हुए इस इस्तीफे ने यह अटकलें तेज़ कर दी हैं कि सरकार और देश के दूसरे सबसे ऊंचे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के बीच विदाई से पहले रिश्ते में कुछ खटास आ गई थी.
मोदी ने एक्स पर लिखा, “श्री जगदीप धनखड़ जी को उपराष्ट्रपति सहित विभिन्न भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है. उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं.” यह पोस्ट धनखड़ द्वारा “स्वास्थ्य का ध्यान रखने और डॉक्टरी सलाह मानने” की बात कहकर इस्तीफा देने के करीब 13 घंटे बाद आया.
Shri Jagdeep Dhankhar Ji has got many opportunities to serve our country in various capacities, including as the Vice President of India. Wishing him good health.
श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 22, 2025
मोदी के इस ‘ठंडे’ फेयरवेल मैसेज ने उस समय और सवाल खड़े कर दिए, जब पहले भी विपक्ष धनखड़ पर केंद्र सरकार के प्रति ज़रूरत से ज़्यादा झुकाव दिखाने का आरोप लगाता रहा है. अब कांग्रेस का कहना है कि इस अचानक इस्तीफे के पीछे “कहीं ज़्यादा गंभीर वजहें” छिपी हैं.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ राज्यसभा सांसद ने दिप्रिंट से कहा कि इस्तीफे से कुछ घंटे पहले ही धनखड़ ने राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक के लिए मंगलवार को अपने आवास पर लंच का प्रस्ताव दिया था. सांसद ने कहा, “लेकिन कुछ ही घंटों में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया. यह सब मेल नहीं खा रहा.”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने बताया कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के पदेन सभापति के तौर पर धनखड़ ने सोमवार को BAC की दो बैठकें बुलाई थीं. पहली बैठक दोपहर 12:30 बजे हुई, जिसमें राज्यसभा में सदन के नेता जे.पी. नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू मौजूद थे, लेकिन ये दोनों नेता शाम 4:30 बजे की दूसरी बैठक में नहीं पहुंचे.
रमेश ने एक्स पर लिखा, “सभी लोग नड्डा और रिजिजू का इंतज़ार करते रहे, लेकिन वह नहीं आए. हैरानी की बात ये थी कि इन मंत्रियों की अनुपस्थिति की सूचना खुद उपराष्ट्रपति को नहीं दी गई. ज़ाहिर है, इससे वे आहत हुए और बैठक को मंगलवार दोपहर 1 बजे तक टाल दिया. यह साफ संकेत है कि सोमवार दोपहर 1 बजे से शाम 4:30 बजे के बीच कुछ गंभीर हुआ होगा, जिसकी वजह से नड्डा और रिजिजू ने जानबूझकर शाम की बैठक में हिस्सा नहीं लिया.”
रमेश ने अंत में कहा, “सच्चाई यह है कि इस्तीफे के पीछे कहीं गहरी वजहें छिपी हैं.”
कांग्रेस नेताओं सुप्रिया श्रीनेत और अभिषेक मनु सिंघवी ने भी प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट को “ठंडा और बेरुखा” बताया. सुप्रिया श्रीनेत ने पीएम मोदी के ट्वीट को साझा करते हुए एक्स पर लिखा, “अगर ‘ठंडा और बेरुखा’ कोई चेहरा होता—तो यही ट्वीट होता! कैसी बेपरवाही!”
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने संकेत दिया कि धनखड़ द्वारा सोमवार को राज्यसभा में दिया गया बयान केंद्र सरकार को पसंद नहीं आया. बयान में उन्होंने बताया था कि 63 विपक्षी सांसदों ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. तन्खा ने कहा कि केंद्र खुद को इस प्रक्रिया में अगुवा दिखाना चाहता था, लेकिन उपराष्ट्रपति द्वारा इसका ज़िक्र पहले कर दिया गया.
तन्खा ने एक वीडियो बयान में कहा, “शायद इसकी वजह यह है कि उन्होंने न्यायमूर्ति वर्मा और न्यायमूर्ति (शेखर) यादव के खिलाफ सांसदों द्वारा दिए गए प्रस्तावों को सूचीबद्ध करने की बात की, या फिर कुछ और हुआ, लेकिन कुछ तो ज़रूर हुआ, क्योंकि नड्डा और रिजिजू सोमवार शाम 4:30 बजे की बैठक में नहीं पहुंचे. शायद कोई मतभेद था. आमतौर पर उपराष्ट्रपतियों के रिटायरमेंट पर विदाई भाषण, डिनर होता है. तो क्या हुआ कि उन्हें अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा देना पड़ा? जबकि हकीकत यह है कि वे पूरी तरह स्वस्थ हैं.”
सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करते हुए धनखड़ ने बताया कि विपक्षी सांसदों ने न्यायमूर्ति शेखर यादव के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है. आरोप है कि दिसंबर 2024 में एक सभा में उन्होंने आपत्तिजनक भाषण दिया था. धनखड़ ने कहा कि इस प्रस्ताव को “फर्ज़ी हस्ताक्षर” मिलने के कारण स्थगित करना पड़ा, लेकिन वे इस पर अलग से कार्रवाई करेंगे.
उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव पर राज्यसभा में कम से कम 50 और लोकसभा में 100 सांसदों के हस्ताक्षर ज़रूरी होते हैं.
धनखड़ ने कहा, “मैं पहले भी इस सदन को बता चुका हूं कि यदि आवश्यक संख्या में सांसद अपने हस्ताक्षर सत्यापित कर दें और यह संख्या 50 से अधिक हो जाए, तो मैं उस हस्ताक्षर की जांच करूंगा जो दो बार लगाया गया, लेकिन संबंधित सदस्य ने उसे मान्यता नहीं दी.”
न्यायमूर्ति यादव के बारे में उन्होंने कहा, “इस (महाभियोग प्रस्ताव) पर राज्यसभा के 50 से अधिक सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए यह संख्या की दृष्टि से योग्य है और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिए पर्याप्त है.”
धनखड़ ने कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से पूछा कि क्या इसी तरह का नोटिस लोकसभा में भी दिया गया है. इस पर मेघवाल ने बताया कि लोकसभा के 152 सांसदों ने स्पीकर को नोटिस दिया है. इसके बाद धनखड़ ने घोषणा की कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति एक संयुक्त समिति बनाएंगे जो न्यायाधीश के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करेगी.
धनखड़ ने आगे कहा, “सचिवालय इस दिशा में आवश्यक कार्रवाई करेगा.” कुछ ही घंटे बाद उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा एक्स पर पोस्ट कर दिया, जिससे दिल्ली की सत्ता गलियों में सियासी हलचल मच गई.
इस घटनाक्रम के बीच, कांग्रेस के कुछ नेताओं—जैसे जयराम रमेश और विवेक तन्खा—ने धनखड़ की सराहना की. यह वही धनखड़ हैं जिनके खिलाफ विपक्ष ने पिछले साल अविश्वास प्रस्ताव लाया था. अब उनकी तारीफ को बीजेपी के भीतर असहजता बढ़ाने की एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
तन्खा ने धनखड़ के इस्तीफे को “एक बड़ी क्षति” बताया और उन्हें एक प्रतिष्ठित न्यायविद् के रूप में सराहा. जयराम रमेश, जिन्होंने एक समय उन्हें सरकार का “चीयरलीडर” कहा था, अब बोले कि धनखड़ “नियम, परंपराओं और प्रक्रियाओं के बेहद अनुशासित अनुयायी” थे, जिन्हें वे अपने दोनों संवैधानिक पदों पर लगातार टूटते हुए देख रहे थे.
रमेश ने लिखा, “हालांकि, वे हमेशा 2014 के बाद के भारत की सराहना करते रहे, लेकिन उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए बेझिझक बोला, सार्वजनिक जीवन में ‘अहंकार’ के खिलाफ मुखर हुए और न्यायपालिका की जवाबदेही व संयम पर खुलकर राय रखी. मौजूदा ‘G2 शासन’ में जितना संभव था, उतना उन्होंने विपक्ष के लिए जगह बनाने की कोशिश की.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: संसद में हंगामा: विपक्ष ने सरकार से पहलगाम हमलावरों और ट्रंप के ‘शांति करवाने’ वाले दावे पर मांगा जवाब