मुंबई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) “भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का वट वृक्ष” है और उन्होंने खुद को “स्वयंसेवक” बताया. वे नागपुर में भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित कर रहे थे, इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी उनके साथ थे.
मोदी ने कहा, “डॉक्टर (आरएसएस संस्थापक केबी हेडगेवार) और गुरुजी (विचारक एमएस गोलवलकर) ने देश को नई ऊर्जा दी. 100 साल पहले बोया गया विचारधारा का बीज आज दुनिया के सामने इस बड़े वृक्ष के रूप में विकसित हो गया है.”
आरएसएस इस साल अपनी स्थापना की शताब्दी मना रहा है.
पीएम ने कहा, “सिद्धांत और मूल्य इस वृक्ष को बहुत ऊंचाई देते हैं. लाखों कारसेवक इसकी शाखाएं हैं. यह कोई आम वृक्ष नहीं है, यह आरएसएस है, जो भारत की अमर संस्कृति और आधुनिकीकरण का वट वृक्ष है.”
मोदी नागपुर के एक दिवसीय दौरे पर थे, जहां उन्होंने सबसे पहले रेशिम बाग में संघ के मुख्यालय में स्थित हेडगेवार के स्मारक का दौरा किया और फिर दीक्षाभूमि गए, जहां उन्होंने डॉ. बी.आर. आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी. यह वह स्थान है जहां आंबेडकर और उनके अनुयायियों ने बौद्ध धर्म अपनाया था.
कार्यकर्ताओं से बात करते हुए मोदी ने लाखों स्वयंसेवकों के प्रयासों की सराहना की और कहा कि उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में अथक और निस्वार्थ भाव से काम किया है. उन्होंने महाकुंभ की सफलता का श्रेय भी आरएसएस के प्रयासों को दिया.
पीएम ने कहा, “अनुशासित सैनिकों की तरह, आरएसएस कार्यकर्ता आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचते हैं, चाहे वह बाढ़ हो, भूकंप हो या चक्रवात. आरएसएस कार्यकर्ता दर्द नहीं देखते, वह बस राहत और सेवा के काम में लग जाते हैं.”
उन्होंने आगे कहा कि देश में कई विदेशी आक्रमणों के बावजूद, “हमारी भारतीय संस्कृति मजबूत रही और कई लोगों के लिए प्रेरणा बनी रही”.
उन्होंने कहा, “आज हम देख सकते हैं कि देश गुलामी की मानसिकता को तोड़कर आगे बढ़ रहा है. गुलामी को बढ़ावा देने वाले ब्रिटिश कानूनों, जिनसे भारतीयों को हीन भावना का अहसास होता था, को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने बदल दिया है.”
मोदी के अनुसार, “भारतीय प्रगति कर रहे हैं और हमारे युवा हमारी सनातन संस्कृति पर गर्व महसूस कर रहे हैं. हमारा सबसे बड़ा खजाना युवा हैं, जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है, नई चीज़ें खोज रहे हैं और स्टार्टअप की दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं. उन्हें अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व है.”
मोदी ने यह भी कहा कि 2047 तक आने वाले साल, जब भारत की आज़ादी के 100 साल पूरे होंगे, महत्वपूर्ण होंगे.
उन्होंने कहा, “आरएसएस के वर्षों के प्रयास और कड़ी मेहनत विकसित भारत का एक नया अध्याय लिख रहे हैं. जब आरएसएस की स्थापना हुई थी, तब 1925 से 1947 तक का समय संघर्ष का दौर था. उम्मीदों के 100 साल बाद, देश एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, 2025 से 2047 विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय है.”
पीएम ने कहा, “युवाओं ने ‘मेक इन इंडिया’ को सफल बनाया है. यही युवा 2047 में विकसित भारत का झंडा थामेंगे, जब भारत अपनी आज़ादी के 100वें साल का जश्न मनाएगा.”
अपने संबोधन से पहले मोदी ने माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर की आधारशिला रखी, जो माधव नेत्रालय आई इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर का विस्तार है. नेत्र चिकित्सा सुविधा की शुरुआत 2014 में गोलवलकर की याद में की गई थी.
नई परियोजना 250 बिस्तरों वाला अस्पताल है, जिसमें 14 ओपीडी और 14 मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर हैं, जो किफायती दरों पर नेत्र चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करेंगे.
मोदी ने कहा, “माधव नेत्रालय एक ऐसा संस्थान है जो गुरुजी के विजन का पालन करते हुए दशकों से लाखों लोगों की सेवा कर रहा है. गरीबों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना सरकार की नीति है. गरीब माता-पिता के बच्चे भी डॉक्टर बनें, इसलिए हमने मातृभाषा में शिक्षा की सुविधा प्रदान की.”
मोदी ने कहा, “आयुष्मान भारत के कारण करोड़ों लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा मिल रही है और हज़ारों जन औषधि केंद्र उचित कीमत पर दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं.”
मोदी ने योग और आयुर्वेद जैसे पारंपरिक क्षेत्रों की भी सराहना की और कहा कि उन्हें दुनिया भर में मान्यता मिल रही है.
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