नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को सिर्फ कुछ हफ्ते बाकी हैं और उससे पहले योगी आदित्यनाथ सरकार के तीन मंत्री समेत अब तक दर्जन भर विधायक भाजपा से अलग हो चुके हैं.
सबसे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा में दलित-पिछड़ों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया, इसके बाद ऐसा करने वालों का तांता लग गया.
इस बीच तमाम सर्वे में जहां भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है वहीं कुछ दिनों से सत्तारूढ़ पार्टी के सामने अब चुनौती खड़ी हो गई है. क्योंकि राजनीति में जो बात नज़र आती है उससे ज्यादा वह होती है जो नज़र नहीं आती.
बीजेपी छोड़कर गए नेताओं का चुनाव पर क्या असर पड़ेगा, इसे जानने के लिए दिप्रिंट ने कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों से बात की.
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‘भाजपा में हुई भगदड़ से समूचे प्रदेश पर असर नहीं दिखेगा’
विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) में प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक अभय दूबे ने कहा, ‘इसकी कोई गारंटी नहीं कि जो लोग भाजपा से अखिलेश के साथ आए हैं वो अपने साथ सारे वोट भी लाए होंगे.’
अभय दुबे का मानना है कि ये लोग अपनी-अपनी बिरादरियों के राजनीतिक प्रतिनिधि हैं. लेकिन ये सोचना कि इनके बिरादरियों से भाजपा को जितने वोट प्राप्त हुए हैं वह अब प्राप्त नहीं होंगे, अनुचित होगा.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘यह जरूर है कि इस गठजोड़ से कुछ वोट अखिलेश के साथ जुड़ेंगे. अखिलेश को लाभ होगा, लेकिन अभी भी भाजपा के पास इतनी क्षमता है कि इन बिरादरियों के कुछ न कुछ वोट जरूर प्राप्त करेगी.’
इसका कारण बताते हुए वो कहते हैं, ‘भाजपा ने इन पांच सालों के अंदर इन बिरादरियों में अपनी विचारधारात्मक घुसपैठ की है. और आरएसएस के जरिए कुछ राजनीतिक तत्व वहां उभरे हैं जो कि विचारधारात्मक रूप से दीक्षित हैं. वो इस वजह से भाजपा नहीं छोड़ते की वे भाजपा से नाराज हैं, योगी से नाराज हैं, या किसी खास स्थानीय वजह से नाराज हैं.’
दुबे कहते हैं, ‘भाजपा से जाने वाले लोग वहां असहज महसूस कर रहे थे. ये लोग कांशीराम की पाठशाला, आंबेडकरवाद में प्रशिक्षित हुए हैं. भाजपा में ये असहज इसलिए दिख रहे थे क्योंकि भाजपा इनको न्यूट्रलाइज्ड करने के लिए अपना एलिमेंट्स इन बिरादरियों में मजबूत कर रही है, इनके वोटरों के साथ सीधा संवाद करने की कोशिश कर रही थी. सपा को जाहिर है कि फायदा होगा लेकिन भाजपा को उतना ही नुकसान हो जाएगा ये मानना उचित नहीं है.’
जी.बी. पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट के निदेशक, प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक बद्री नारायण भी मानते हैं कि भाजपा में हुई भगदड़ से समूचे प्रदेश पर असर नहीं पड़ेगा.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘बीजेपी में भगदड़ से एक परसेप्शनल लॉस (धारणात्मक नुकसान) दिखता है लेकिन ग्राउंड हकीकत में कुछ ज्यादा नुकसान नहीं होगा. कुछ सीटों पर ये लोग (बीजेपी छोड़कर जाने वाले) प्रभावित करेंगे, जहां-जहां इनके प्रभाव हैं, लेकिन पूरे यूपी पर इसका असर नहीं दिखेगा.’
इस भगदड़ से क्या यूपी में अखिलेश यादव की सरकार बन सकती है, इस पर बद्री नारायण कहते हैं, ‘नहीं नहीं ये कहना भी जल्दबाजी होगी. बीजेपी का अपना बहुत मजबूत बेस है, काडर बेस है, बहुत सारे फैक्टर हैं जिससे बीजेपी लड़ रही है इस समय. इसलिए ऐसा कहना बहुत जल्दबाजी होगी और आसान भी नहीं होगा.’
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‘बीजेपी के वोटों में लीकेज हो रही है लेकिन उसमें रिकवरी करने की ताकत’
विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आ रहे तमाम सर्वे में भाजपा को मिलती बढ़त पर दुबे कहते हैं, ‘सर्वे के आंकड़ों पर इतना जोर मत दीजिए. देखना ये चाहिए की सर्वे का रुझान क्या है? आज रुझान ये है कि बीजेपी का कैचमेंट एरिया जैसा था वो वैसा नहीं रह गया है. उसके वोटों से लीकेज हो रही है.’
गौरतलब है कि सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक भाजपा को 2017 के विधानसभा चुनाव में ओबीसी का 44% वोट मिला था, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश में बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी. सर्वे के मुताबिक यूपी में कुल 52% ओबीसी हैं जिसमें गैर-यादव ओबीसी 43% के करीब हैं.
दुबे कहते हैं, ‘स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे लोग जब से आए हैं तो इससे वोटों की लीकेज होगी. लेकिन ये मानना कि सारे वोट उसमें से निचुड़ जाएंगे ऐसा नहीं है. इस लीकेज से भाजपा को नुकसान होगा, लेकिन कितना नुकसान होगा इसकी भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता.’
क्या बीजेपी यूपी चुनाव में परेशानी में है, इस पर दुबे कहते हैं, ‘ये तो साफ दिखाई दे रहा है. उसके लिए नया अनुभव है कि उसे छोड़कर लोग दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं जबकि दूसरी पार्टियों के लोग उसमें जाते रहे हैं.’
उन्होंने कहा, ‘बीजेपी बहुत बड़ी पार्टी है, उसके समाज के साथ बहुत गहरे रिश्ते बन चुके हैं, उसका लाभ उठाकर वो अपनी रिकवरी करने की कोशिश करेगी.’
प्रोफेसर बद्री नारायण भी मानते हैं कि बीजेपी में रिकवरी करने की बड़ी ताकत है.
गौरतलब है कि सभी पांचों राज्यों के लिए विधानसभा चुनाव सात चरणों 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च के बीच में होंगे. उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च के बीच सात चरणों में चुनाव को कंप्लीट किया जाएगा. वहीं पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को एक चरण में जबकि मणिपुर में 27 फरवरी और 3 मार्च को दो चरणों में वोटिंग की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. नतीजे 10 मार्च को आएंगे.
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