लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को सार्वजनिक माफी के बाद पार्टी में दोबारा शामिल कर लिया है. उन्होंने उसे “एक और मौका” दिया है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी का नेतृत्व वे खुद ही करती रहेंगी.
आनंद को पहले पार्टी के सभी महत्वपूर्ण पदों से हटाया गया था और फिर मार्च में बसपा सुप्रीमो ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था. उस समय मायावती ने कहा था कि उनका भतीजा अपने ससुर अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में आ गया था.
यह नया फैसला आकाश के ‘एक्स’ पर रविवार को किए गए कई सार्वजनिक पोस्ट्स के बाद आया है, जिनमें उन्होंने माफी मांगी, अपनी गलतियों को स्वीकार किया और खुद को मायावती के नेतृत्व में पूरी तरह समर्पित करने का वादा किया.
दरअसल, आकाश ने सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया कि वह अपने ससुर और पूर्व बसपा नेता अशोक सिद्धार्थ के प्रभाव में था. उन्होंने यह भी कहा कि अब वह किसी भी रिश्तेदार या सलाहकार से राजनीतिक सलाह नहीं लेंगे और मायावती को ही अपना “एकमात्र राजनीतिक गुरु और आदर्श” मानते हैं.
इसके बाद मायावती ने अपने भतीजे को एक और मौका दिया, लेकिन यह भी कहा कि वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और किसी को अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी. बसपा प्रमुख ने कहा कि वर्तमान हालात में वे ही पार्टी का नेतृत्व करती रहेंगी.
“श्री आकाश आनंद द्वारा ‘एक्स’ पर की गई चार सार्वजनिक पोस्ट्स, जिनमें उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार किया, वरिष्ठ नेताओं के प्रति पूरा सम्मान जताया और भविष्य में अपने ससुर के प्रभाव में न आने की बात कही, और अपने जीवन को बसपा और उसके आंदोलन को समर्पित करने का वादा किया—इन सबको ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है कि उन्हें एक और मौका दिया जाए,” मायावती ने ‘एक्स’ पर हिंदी में पोस्ट किया.
“मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं, और जब तक पूरी तरह से स्वस्थ रहूंगी, तब तक आदरणीय कांशीराम जी की तरह पार्टी और आंदोलन के लिए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम करती रहूंगी. इसलिए उत्तराधिकारी घोषित करने का कोई सवाल ही नहीं उठता. मैं अपने इस निर्णय पर पूरी तरह कायम हूं और आगे भी रहूंगी.”
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि वे अशोक सिद्धार्थ को माफ नहीं करेंगी. उन्होंने कहा, “हालांकि, आकाश के ससुर श्री अशोक सिद्धार्थ की गलतियां अक्षम्य हैं. गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता, और आकाश के राजनीतिक करियर को भटकाने में उनकी भूमिका के कारण उन्हें माफ करने या दोबारा पार्टी में लेने की कोई संभावना नहीं है.”
फरवरी में बसपा प्रमुख ने गुटबाजी को बढ़ावा देने और पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण सिद्धार्थ को निष्कासित कर दिया था. एक पूर्व राज्यसभा सांसद, सिद्धार्थ पार्टी के दक्षिण भारत के कई राज्यों में प्रभारी रहे हैं.
बसपा के एक पदाधिकारी ने मायावती के इस ताजा कदम को “रणनीतिक” बताया, क्योंकि यह आंबेडकर जयंती (14 अप्रैल) की पूर्व संध्या पर आया है और पार्टी कार्यकर्ताओं को एक संदेश देने के लिए उठाया गया है.
“बहन जी को अशोक सिद्धार्थ से समस्या थी, जो अपनी बेटी की आकाश से शादी के बाद खुद को सत्ता का केंद्र समझने लगे थे. इसी कारण मायावती ने पहले सिद्धार्थ को हटाया, जिन्हें उन्होंने गुटबाजी को बढ़ावा देने और पार्टी अनुशासन को कमजोर करने का दोषी ठहराया, और बाद में आकाश को भी हटाया, यह कहते हुए कि उस पर सिद्धार्थ का अनुचित प्रभाव था. ‘इसके लिए पार्टी नहीं, बल्कि उसका ससुर अशोक सिद्धार्थ पूरी तरह जिम्मेदार है,’ उन्होंने कहा था,” उस पदाधिकारी ने याद करते हुए कहा.
कुछ अन्य पदाधिकारियों का कहना है कि मायावती का अपने भतीजे को दोबारा लाना एक रणनीतिक कदम है, जिससे पार्टी को स्थिरता मिल सकती है और वह फिर से सक्रिय हो सकती है, खासकर तब जब पार्टी हाल के वर्षों में कई बड़े चुनावी झटकों का सामना कर चुकी है.
दूसरी ओर, 31 वर्षीय आकाश बसपा के लिए एक युवा चेहरा हैं, जो दलित युवाओं को आकर्षित कर सकते हैं—वे युवा जो इन दिनों आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर आजाद जैसे उभरते दलित नेताओं की ओर झुक रहे हैं.
एक साल में दूसरी वापसी
अपनी बुआ से माफी मिलने के बाद, आकाश ने एक साल के भीतर दूसरी बार पार्टी में वापसी की है. मार्च में मायावती ने उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण बाहर का रास्ता दिखा दिया था और उनके पिता आनंद कुमार समेत वरिष्ठ नेता रामजी गौतम को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि वे अपने जीवन में किसी उत्तराधिकारी का नाम नहीं लेंगी.
2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, मायावती ने आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी और पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया था. उन्होंने कहा था कि आकाश को “परिपक्वता” हासिल करनी होगी, तभी वह जिम्मेदारी निभाने लायक बनेंगे. बाद में जून 2024 में मायावती ने पार्टी में फेरबदल की घोषणा की और आकाश को फिर से पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक और अपना “उत्तराधिकारी” घोषित किया.
लखनऊ की राजनीतिक विश्लेषक शिल्प शिखा सिंह ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने अगले कदम को गुप्त रखा हुआ है.
“अपनी पिछली गलतियों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद आकाश को पार्टी में वापस लाकर मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपने जीवनकाल में उत्तराधिकारी घोषित नहीं करेंगी. इसका मतलब है कि फिलहाल वे खुद ही नेतृत्व करेंगी, लेकिन आनंद को एक अहम व्यक्ति के रूप में तैयार करती रहेंगी,” लखनऊ स्थित गिरी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ की सहायक प्रोफेसर सिंह ने दिप्रिंट को बताया.
उन्होंने आगे कहा, “यह फैसला पार्टी को स्थिरता दे सकता है, क्योंकि इससे नेतृत्व को लेकर जो असमंजस था, वह खत्म हो सकता है. आकाश को पहले बाहर किए जाने के बाद से ही पार्टी के भविष्य पर सवाल उठ रहे थे. लेकिन मायावती अभी भी बहुत अप्रत्याशित नेता हैं. उनके अगले कदम का इंतजार करना होगा.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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