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Sunday, 3 November, 2024
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ED ने किया सिसोदिया की जमानत का विरोध, कहा- कुछ अहम सबूतों का लगाया जा रहा है पता

विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद, सिसोदिया की जमानत पर आगे की बहस के लिए मामले को 12 अप्रैल, 2023 के लिए सुरक्षित रख लिया.

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नई दिल्ली: दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक बढ़ा दी,  जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने सिसोदिया के जमानत याचिका का विरोध किया.

प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि एजेंसी कुछ नए और महत्वपूर्ण सबूत जुटाने की कोशिश में है, जिन पर अभी काम किया जा रहा है.

मनीष सिसोदिया की ओर से पेश वकील विवेक जैन ने तर्क दिया कि सिसोदिया के खिलाफ कोई पीएमएलए मामला नहीं है. पीएमएलए की धारा 45 उनके खिलाफ तभी बनेगी जब धारा 3 के तहत उन्होंने कोई अपराध किया हो.

वकील ने कहा, ईडी को सिसोदिया के खाते में या उनके परिवार के खाते में एक भी रुपया नहीं मिला. उन्होंने सिसोदिया के घर पर छापा मारा, बैंक खातों की जांच की, उनके मूल स्थान भी गए लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला.

विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने दोनों पक्षों की दलीले सुनने के बाद, सिसोदिया की जमानत पर आगे की बहस के लिए मामले को 12 अप्रैल, 2023 के लिए सुरक्षित रख लिया.

इस बीच, कोर्ट ने आबकारी मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत भी 17 अप्रैल, 2023 तक बढ़ा दी. मनीष सिसोदिया को उनकी न्यायिक रिमांड अवधि के अंत में बुधवार को अदालत में पेश किया गया.

राउज एवेन्यू कोर्ट दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जीएनसीटीडी की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

प्रवर्तन निदेशालय ने आखिरी तारीख को अदालत में जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपना जवाब दाखिल किया.  पिछले हफ्ते इसी अदालत ने आबकारी मामले से जुड़े सीबीआई मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

इससे पहले राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 5 अप्रैल की तारीख तय की थी.

सिसोदिया को ईडी रिमांड पर भेजते हुए कोर्ट ने कहा कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि ईडी के मामले की जांच एक जटिल मामला है और इसकी पेचीदगियों को ध्यान में रखते हुए, कथित अपराध के आयोग में शामिल व्यक्तियों / अभियुक्तों की बहुलता मनी लॉन्ड्रिंग और जांच के दौरान जब्त किए गए रिकॉर्ड या डेटा की भारी मात्रा और जांच एजेंसी द्वारा विश्लेषण करने की आवश्यकता है. इसमें कुछ समय लगना तय है और आईओ या जांच एजेंसी को इसके लिए दोष नहीं दिया जा सकता है.

पहले ईडी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ज़ोहैब हुसैन ने कहा कि मेल डेटा, मोबाइल डेटा का फोरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है. जिस दिन एलजी ने सीबीआई को लिखा था उस दिन सिसोदिया ने लंबे समय तक इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल फोन बदल दिया था.

ईडी के वकील ने आगे कहा कि बयानों की पुष्टि गिरफ्तार व्यक्ति के कंप्यूटर से प्राप्त डेटा की रिकवरी से हुई थी. इस दौरान मोबाइल डेटा, ईमेल डेटा और क्लाउड डेटा भी प्राप्त हुए.

प्रवर्तन निदेशालय ने आबकारी नीति के संबंध में मनीष सिसोदिया की रिमांड की मांग करते हुए कहा कि सबूतों के सक्रिय विनाश के कार्य से केवल एक निष्कर्ष निकलता है कि मनीष सिसोदिया ने मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के साक्ष्य को नष्ट करने के लिए सचेत प्रयास किए हैं.

ईडी ने 9 मार्च को तिहाड़ जेल में घंटों पूछताछ के बाद शराब नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था.


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