कोलकाता: पिछले हफ्ते मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और नंदीग्राम से विधानसभा के सदस्य (विधायक) शुभेंदु अधिकारी ने वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस की प्रशंसा की.
बंगाल विधानसभा के बाहर शारदा चिटफंड घोटाले के बारे में बात करते हुए, अधिकारी ने कहा: “मैं सुदीप्त सेन (शारदा ग्रुप के चेयरमैन) के पत्र में बिमान बोस का नाम देखकर चौंक गया था. बिमान दा आज तक अपने कपड़े खुद धोते हैं और पार्टी ऑफिस में रहते हैं. तृणमूल कांग्रेस गंदी राजनीति कर रही है.”
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों को टीएमसी और इसकी सुप्रीमो ममता बनर्जी को रिजेक्ट कर देना चाहिए.
“बीजेपी एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसका शासन का स्वाद बंगाल ने नहीं चखा है. मैं लोगों से टीएमसी को खारिज करने और लोगों के महाजोत (लोगों के गठबंधन) का समर्थन करने का आग्रह करता हूं.”
पंचायत चुनावों के पहले अधिकारी के इस बयान को लेकर राजनीतिक महकमें में चर्चा गर्म हो गई है कि कहीं पश्चिम बंगाल में लेफ्ट-कांग्रेस के साथ बीजेपी गठबंधन तो नहीं करना चाह रही है.
टीएमसी नेता कुणाल घोष तो निश्चित रूप से ऐसा सोचते हैं. दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने अधिकारी के बयान को ‘अवसरवादी’ बताया.
घोष ने कहा, “तृणमूल पहले से ही लोगों के गठबंधन का प्रतिनिधित्व करती है. वास्तव में, (भारत के पूर्व राष्ट्रपति) प्रणब मुखर्जी ने एक बार कहा था कि टीएमसी एक विरासत में मिला गठबंधन है.” उन्होंने आगे कहा, “हर क्षेत्र के और हर तरह के लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं. बिना विचारधारा वाली कुछ पार्टियां गठबंधन करके एक साथ आने और टीएमसी को हराने की कोशिश कर रही हैं. बीजेपी-सीपीआई(एम) और कांग्रेस मिलकर पंचायत चुनाव लड़ेंगे, लेकिन वे हमें हरा नहीं पाएंगे.”
लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता बोस ने इस विचार को खारिज कर दिया है.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘सुवेंदु अधिकारी ने जो कहा, मैं उसका जवाब नहीं देना चाहता. वामदलों का कभी भी किसी भी राजनीतिक लड़ाई में टीएमसी या भाजपा के साथ कोई तालमेल नहीं होगा.’
यह भी पढ़ेंः सीएम ममता और नवीन की मुलाकात तय, TMC ने ‘तीसरे मोर्चे-कांग्रेस से बातचीत’ की संभावना खारिज की
TMC vs BJP vs लेफ्ट-कांग्रेस या तृणमूल vs बाकी की पार्टियां
अधिकारी ने बोस की प्रशंसा ऐसे समय में की है जब राज्य पंचायत चुनाव होने वाले हैं, जिसे कई लोग 2024 के आम चुनाव के लिए लिटमस टेस्ट मान रहे हैं.
राज्य में 2021 में टीएमसी की भारी जीत के बाद से पहले बड़े झटके में, सीपीआई (एम) समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार बायरन बिस्वास ने 2 मार्च को हुए सागरदिघी उपचुनाव में टीएमसी के देबाशीष बनर्जी को 22,980 मतों के अंतर से हराया.
टीएमसी के एक प्रमुख गढ़ सागरदिघी में 64 फीसदी अल्पसंख्यक वोट शेयर है, जिसे हासिल करने में तृणमूल विफल रही.
यह तब भी हो रहा है जब टीएमसी भ्रष्टाचार के कई मामलों से घिरी हुई है, जैसे कि कथित कैश-फॉर-जॉब, मवेशियों की तस्करी, कोयला चोरी के घोटाले, और पूर्व टीएमसी मंत्री पार्थ चटर्जी सहित प्रमुख हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियां.
इस बीच, पार्टी मनरेगा फंड को लेकर भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के साथ रस्साकशी में भी लगी हुई है. पिछले हफ्ते सिंगुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए टीएमसी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था: “पहले, माकपा शासन के तहत, सड़कें इतनी खराब थीं कि इसमें बने गड्ढों के अंदर मछली पकड़ने का तालाब बनाया जा सकता था. सत्ता में आने के बाद हमने राज्य में एक लाख किलोमीटर सड़कें बनाईं.
उन्होंने कहा: “केंद्र सरकार ने हमें एक पैसा नहीं दिया है, उन्होंने 100 दिन के काम का भुगतान भी बंद कर दिया है. यह हो सकता है कि हमारी क्षमताओं को देखकर उन्हें जलन हो रही हो, या तो वे राजनीति कर रहे हैं.”
टीएमसी के लिए, पंचायत चुनाव काफी बड़ी चुनौती है- दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी का जमीनी स्तर पर जायजा लेने के लिए बनर्जी वर्तमान में हर हफ्ते जिलेवार बैठकें कर रही हैं.
हालांकि, इसके बावजूद, दिप्रिंट ने जिन राजनीतिक विश्लेषकों से बात की, वे अधिकारी की बातों को बहुत अधिक महत्व नहीं देते.
गैंगस्टर स्टेट: द राइज एंड फॉल ऑफ द सीपीआई(एम) इन बंगाल के लेखक सौराज्य भौमिक ने दिप्रिंट को बताया कि इस तरह की समझ जमीनी स्तर पर हो सकती है, लेकिन राज्य के वरिष्ठ नेता आमतौर पर पंचायत चुनावों में बहुत अधिक हस्तक्षेप नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर इस तरह की समझ “लोगों द्वारा संचालित, अनाधिकारिक, लोगों के मोहभंग के कारण अनौपचारिक” हो सकती है.
उन्होंने कहा, “हाल के दिनों में, हमने देखा है कि कैसे भाजपा और वाम दलों ने एक साथ सहकारी बैंक चुनाव लड़ा है. ग्रामीण चुनावों के लिए विपक्षी दलों के बीच इस तरह की समझ देखी जा सकती है जहां लोग खुद टीएमसी को दूर रखने के लिए भाजपा और वामपंथियों का समर्थन करना चाहते थे. लेकिन चूंकि पार्टियां विचारधारा के स्तर पर अगल हैं इसलिए राज्य के चुनावों या लोकसभा के लिए ऐसा गठबंधन असंभव है.
मिशन बंगाल: ए सैफरन एक्सपेरिमेंट के लेखक स्निग्धेंदु भट्टाचार्य के अनुसार, राज्य में संभावित राजनीतिक समीकरण वाम-कांग्रेस बनाम भाजपा बनाम टीएमसी होगा.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “बीजेपी वाम-कांग्रेस खेमे से वोट पाने के लिए ऐसा कह रही है, क्योंकि बंटा हुआ विपक्षी वोट उनके लिए खतरनाक होगा. बीजेपी ने बार-बार टीएमसी को 2021 के चुनावों से पहले वामपंथियों से भी बदतर करार दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें टीएमसी विरोधी वोट मिले.” वे कहते हैं कि बिमान बोस की प्रशंसा पारंपरिक वामपंथी मतदाताओं के लिए है, न कि नेताओं के लिए.
उन्होंने कहा, “हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि भाजपा पारंपरिक वामपंथी वोटों के साथ बढ़ी. वामपंथियों का फिर से उभरना हिंदू क्षेत्रों में भाजपा और मुस्लिम क्षेत्रों में टीएमसी के लिए हानिकारक होगा.”
(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ेंः ‘बंगाल पर कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म चाहता हूं’: BJP ने अग्निहोत्री का किया समर्थन, TMC ने बताया फर्जी