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Wednesday, 24 April, 2024
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सीएम ममता और नवीन की मुलाकात तय, TMC ने ‘तीसरे मोर्चे-कांग्रेस से बातचीत’ की संभावना खारिज की

टीएमसी ने संसद के चालू बजट सत्र के दौरान कांग्रेस द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की सभी बैठकों में भाग नहीं लिया और इसके बजाय विभिन्न मुद्दों पर अपना विरोध प्रदर्शन करने का विकल्प चुना.

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कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने समकक्ष और बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष नवीन पटनायक से मिलने के लिए अगले सप्ताह ओडिशा का दौरा करेंगी, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले टीएमसी खुद को कांग्रेस से दूर कर रही है.

एक ओर जहां, इस बैठक को टीएमसी की क्षेत्रीय दलों तक पहुंच के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं पार्टी ने इसे तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश करार देने से इनकार कर दिया है.

टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कोलकाता में बनर्जी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण पार्टी बैठक के बाद शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “हम फिलहाल तीसरा मोर्चा नहीं बना रहे हैं. हमारी पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी उन क्षेत्रीय दलों के साथ बातचीत शुरू करेंगी जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने की क्षमता रखते हैं.”

कांग्रेस को लेकर पार्टी के रुख को दोहराते हुए बंदोपाध्याय ने कहा, “इस समय, हमारे पास कांग्रेस से बात करने का कोई तरीका नहीं है. कोई प्रश्न ही नहीं उठता. आप इसे लोकसभा में सदन के पटल पर भी देख सकते हैं.”

इससे कुछ घंटे पहले, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार से शहर में अपनी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन से पहले बनर्जी से उनके आवास पर एक घंटे के लिए मुलाकात की थी. न तो टीएमसी और न ही सपा ने मीडिया से बात की और न ही बैठक के बारे में कोई बयान जारी किया, जिसमें टीएमसी के अभिषेक बनर्जी और फिरहाद हकीम और सपा के शिवपाल यादव भी शामिल थे.

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बनर्जी अप्रैल की शुरुआत में नई दिल्ली का दौरा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जहां वह आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित अन्य नेताओं के साथ बैठकें करेंगी.

हालांकि, बीजेपी नए राजनीतिक समीकरण को गढ़ने की टीएमसी की कोशिश को गंभीरता से नहीं ले रही है. शुक्रवार को कोलकाता में मीडिया से बात करते हुए, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता, शुभेंदु अधिकारी ने कहा, “जनवरी 2019 में (लोकसभा चुनाव से पहले), ममता बनर्जी ब्रिगेड परेड मैदान में सभी विपक्षी नेताओं के साथ केंद्र में खड़ी थीं, लेकिन नरेंद्र मोदी चुनाव जीत गए. इस बार भाजपा 400 का आंकड़ा पार करेगी.”

कांग्रेस के साथ नाराज़गी नहीं

टीएमसी ने चालू बजट सत्र में संसद में कांग्रेस द्वारा बुलाई गई सभी विपक्षी बैठकों में शामिल नहीं होने और इसके बजाय विभिन्न मुद्दों पर अपना विरोध प्रदर्शन करने का विकल्प चुना है.

टीएमसी के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कांग्रेस संसद में विपक्ष की बैठकों के लिए निमंत्रण देती रही है लेकिन टीएमसी ने इससे दूर रहने का विकल्प चुना है.

राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपाध्याय के अनुसार, क्षेत्रीय ताकतों को पुनर्गठित करने का टीएमसी का प्रयास राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इतना मजबूत नहीं हो सका कि वह भाजपा का मुकाबला कर सके.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “यदि आप संख्या देखते हैं, तो यह 2024 की लड़ाई के लिए बहुत अवास्तविक लगता है. हालांकि, यह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. ममता बनर्जी क्षेत्रीय दलों को एक साथ ला रही हैं और इससे एक संदेश जा रहा है.”

टीएमसी-कांग्रेस के संबंधों में पिछले कुछ समय से खटास आ गई है. दिप्रिंट से बात करते हुए टीएमसी मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, “दिल्ली में कांग्रेस कह रही है कि वे बीजेपी से लड़ेगी, लेकिन पश्चिम बंगाल में उन्होंने हमसे लड़ने के लिए लेफ्ट और बीजेपी से हाथ मिला लिया है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. वैचारिक रूप से पार्टी विफल रही है.”

2 मार्च को टीएमसी पश्चिम बंगाल के सागरदिघी में कांग्रेस और वाम दलों द्वारा समर्थित उम्मीदवार से उपचुनाव हार गई. 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद यह तृणमूल की पहली चुनावी हार थी.

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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