scorecardresearch
Monday, 4 November, 2024
होमराजनीति2011 में पोरिबोर्तन का किया वादा भूल गईं हैं ममता बनर्जी, चुनाव में उनकी हार तय है: शुभेंदु अधिकारी

2011 में पोरिबोर्तन का किया वादा भूल गईं हैं ममता बनर्जी, चुनाव में उनकी हार तय है: शुभेंदु अधिकारी

दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में अधिकारी ने कहा कि ममता ने बहुसंख्यकों की अनदेखी करते हुए बंगाल में हर स्तर पर केवल तुष्टिकरण की राजनीति को ही बढ़ावा दिया है.

Text Size:

नंदीग्राम: पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में खुले तौर पर जारी सांप्रदायिक चुनाव प्रचार अभियान के बीच इस क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने पिछले 10 साल के शासनकाल के दौरान बहुसंख्यक समुदाय की अनदेखी करते हुए केवल तुष्टिकरण की राजनीति को ही बढ़ावा दिया है.

अधिकारी ने बुधवार को दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘ममता ने बहुसंख्यकों की अनदेखी करते हुए बंगाल में हर स्तर पर केवल तुष्टिकरण की राजनीति को ही बढ़ावा दिया है.’

उन्होंने कहा, ‘उन्होंने हाल में भारत में चार राजधानियों की मांग की जबकि उनकी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता शेख आलम कहते हैं कि भारत में चार पाकिस्तान होंगे. यह सब क्या है? ममता ने सर्जिकल हमले के सबूत भी मांगे थे, जिससे देश के सभी देशभक्तों की भावनाएं आहत हुईं.’

कभी ममता के विश्वस्त सहयोगी रहे अधिकारी अब नंदीग्राम में मुख्यमंत्री के खिलाफ ही चुनाव मैदान में हैं, जहां आज 1 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के दौरान वोट डाले जा रहे हैं.

निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार मंगलवार को ही समाप्त हो गया था. लेकिन आखिरी के कुछ दिनों में यहां सांप्रदायिक कीचड़ जमकर उछाला गया, जिसमें अधिकारी ने अक्सर ही बनर्जी को ‘बेगम’ कहकर संबोधित किया और उन पर निशाना साधने के लिए कई बार पाकिस्तान का जिक्र करते रहे. जबकि मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोलने के दौरान उनका नाम लिए बिना ‘दुर्योधन और दुशासन’ जैसे नामों का इस्तेमाल करती रहीं. उन्होंने अपने भाषणों में ‘दैत्य‘ और ‘दंगेबाज’ शब्दों का भी खूब इस्तेमाल किया.

हालांकि, अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि राज्य का ‘विकास’ भाजपा का प्रमुख चुनावी मुद्दा है.

उन्होंने कहा, ‘इन चुनावों का मुख्य मुद्दा पोरिबोर्तन (बदलाव) है जिसका वादा ममता ने 2011 के विधानसभा चुनावों के दौरान किया था लेकिन सत्ता संभालने के बाद भूल गई. वह अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी हैं और अब लोग पोरिबोर्तन के लिए भाजपा का समर्थन कर रहे हैं. अब यह सुनिश्चित हो गया है कि ममता चुनाव हार रही हैं. भाजपा सत्ता में आ रही है और वह लोगों की आकांक्षाएं पूरी करेगी.’


यह भी पढ़ें: राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा और टॉप कांग्रेस नेताओं ने बंगाल में अब तक क्यों नहीं किया प्रचार


‘ममता तुष्टिकरण की राजनीति कर रही हैं’

अधिकारी ने अपने इन आरोपों को दोहराया कि ममता को केवल एक समुदाय के लोगों की ही चिंता रही है.

उन्होंने कहा, ‘पुलवामा की घटना के बाद जब हमारे सैनिकों ने पाकिस्तान पर धावा बोला तो उन्होंने सबूत मांगे. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में चार राजधानियां होनी चाहिए. देशभक्तों को उनके इरादों पर ही संदेह है.’

उन्होंने कहा, ‘अभी चार दिन पहले ही टीएमसी नेता शेख आलम खान ने तो यह तक कह दिया कि यहां चार पाकिस्तान बनाना चाहते हैं. बंगाल के लोग उनकी तुष्टिकरण की राजनीति से अवगत हैं.’

उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी का भविष्य साफ-साफ नज़र आ रहा था, इसलिए वह अपना निर्वाचन क्षेत्र छोड़कर चुनाव लड़ने के लिए नंदीग्राम आ गईं.

उन्होंने कहा, ‘ममता अपने निर्वाचन क्षेत्र में ही अलोकप्रिय हो चुकी हैं. पिछले संसदीय चुनावों में भाजपा ने उस बूथ में 500 वोटों की बढ़त हासिल की जहां वह और उसका परिवार हमेशा वोट डालते हैं. यहां तक कि उनके पड़ोसियों और उनकी गली के लोगों ने भी ममता के खिलाफ मतदान किया. इसलिए वह भवानीपुर से भाग निकलीं और नंदीग्राम आ गईं. वह अब यहां भी हार का सामना करेंगी.’

यह पूछे जाने पर कि यदि भाजपा चुनाव जीती तो क्या वह मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे, अधिकारी ने इस सवाल का जवाब टाल दिया. उन्होंने कहा, ‘उपयुक्त समय आने पर भाजपा संसदीय बोर्ड ही कोई फैसला लेगा.’


यह भी पढ़ें: युवाओं की आवाज़, अपनी पहचान को गले लगाना और बंगाल में एक ‘करो या मरो’ की चुनावी लड़ाई


अस्तित्व बचाने की लड़ाई

हर स्तर पर जबर्दस्त चुनावी अभियान के बीच यहां तक कि भाजपा नेता भी मान रहे हैं कि नंदीग्राम का चुनाव अधिकारी का राजनीतिक भविष्य निर्धारित करने वाला होगा.

अधिकारी का परिवार पूर्वी मेदिनीपुर में काफी प्रभाव रखता है, जिसमें नंदीग्राम सहित नौ सीटें आती हैं. 1 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान में पूर्वी और पश्चिमी मेदिनीपुर की करीब 18 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं.

2016 के विधानसभा चुनावों में इन 18 सीटों में टीएमसी ने 13 पर जीत हासिल की थी. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने इन 18 में से 14 सीटों में बढ़त बनाई थी.

भाजपा के वरिष्ठ नेता जॉय प्रकाश मजूमदार ने दिप्रिंट को बताया, ‘चूंकि शुभेंदु अधिकारी इस क्षेत्र में खासा प्रभाव रखते हैं इसलिए भाजपा इन दोनों जिलों में अच्छे परिणाम सुनिश्चित करने के लिए उन पर निर्भर कर रही है. यही कारण है कि खुद प्रधानमंत्री ने जिले के कोंताई में प्रचार किया और गृह मंत्री अमित शाह ने नंदीग्राम और देबरा में रोड शो किया.’

एक अन्य वरिष्ठ भाजपा नेता ने माना कि नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतरकर अधिकारी ने अपना भविष्य दांव पर लगा दिया है. वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अगर वह जीत जाते हैं तो निर्विवाद रूप से शीर्ष भाजपा नेता बन जाएंगे. अगर वह हार गए और मेदिनीपुर में पार्टी को अच्छी संख्या में सीटें नहीं मिलीं तो उनका भविष्य अधर में लटक जाएगा.’

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को नंदीग्राम में अपनी रैली में भी यही बात कही. ममता ने कहा कि अधिकारी की महत्वाकांक्षाओं की वजह से विधानसभा चुनाव के बाद उनका परिवार ‘ना घर का रहेगा, ना घाट का.’

(अरुण प्रशांत द्वारा संपादित)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार के अधिकारी की जुबान फिसली, 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करना हमेशा से एक ‘जुमला’ था


 

share & View comments