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Sunday, 24 November, 2024
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ममता यूपी में सपा की ‘स्टार प्रचारक’ हैं, अखिलेश के समर्थन में उनका अभियान आखिरकार क्या रंग लाएगा?

सत्तारूढ़ भाजपा ने यूपी में पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार दिया है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पक्ष में अभियान चला रहे हैं.

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कोलकाता/लखनऊ: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन में उतरने जा रही हैं. सपा इसे सामाजिक बदलाव के लिए एक राष्ट्रीय चेहरे की तरफ से मिलने वाला समर्थन करार दे रही है.

सपा ने हिंदी भाषी क्षेत्र में 10 फरवरी से सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनावों की सबसे बड़ी सियासी जंग में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस बीच, टीएमसी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में ममता की मौजूदगी भाजपा के खिलाफ पारा बढ़ाने में मददगार होगी, और इससे यह संदेश भी जाएगा कि उसे यहां भी हराया जा सकता है, क्योंकि वह ‘2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में हार गई थी.’

उधर, सत्तारूढ़ भाजपा पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम स्टार प्रचारकों को चुनाव मैदान में उतार चुकी है जो मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पक्ष में माहौल बना रहे हैं और सपा पर जमकर निशाना साध रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अध्यक्ष राज्य के प्रमुख विपक्षी दल के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए सोमवार देर रात लखनऊ पहुंच चुकी हैं. वह मंगलवार सुबह 11 बजे सपा कार्यालय पहुंचेंगी और अखिलेश के साथ मीडिया से बातचीत करेंगी.

उन्होंने लखनऊ रवाना होने से पहले कोलकाता एयरपोर्ट पर पत्रकारों से कहा, ‘मैं चाहती हूं कि यूपी में अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी की जीत हो. मैं चाहती हूं कि भाजपा हारे. मैं यूपी में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रही हूं, लेकिन नैतिक रूप से अखिलेश के साथ खड़ी हूं.’

उन्होंने विपक्षी एकता में कमी पर निराशा भी जताई. ममता ने कहा, ‘अगर विपक्षी दल एक साथ लड़े होते, तो अच्छा होता. हमने कोशिश की, लेकिन इस पर कोई जवाब नहीं मिला. अखिलेश पूरी ताकत से लड़ रहे हैं, सभी वर्गों को उनका समर्थन करना चाहिए.’

पिछले हफ्ते ही ममता ने ऐलान किया था कि टीएमसी उत्तर प्रदेश से 2024 का संसदीय चुनाव लड़ेगी. साथ ही कहा था कि उनकी पार्टी राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी, लेकिन सपा का समर्थन करेगी.

ममता के यूपी के प्रचार अभियान में शामिल होने पर भाजपा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया जताई गई है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ममता पर राज्य के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाया है.

कट्टर प्रतिद्वंद्वी

प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भाजपा के स्टार प्रचारकों के तीखे सियासी हमलों का सामना कर रही समाजवादी पार्टी यूपी में सत्ताधारी पार्टी की कट्टर प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरी है. यहां तक कि पिछले हफ्ते एक वर्चुअल रैली के जरिये मतदाताओं को संबोधित कर रहे प्रधानमंत्री मोदी ने उस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह ‘नकली समाजवाद’ बनाम ‘गरीब की सरकार’ की लड़ाई है.

वहीं, अखिलेश के लिए ममता के अभियान पर हमला बोलते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, ‘सपा की हालत ऐसी है कि उसे यूपी के लोगों से समर्थन मांगने के लिए लोगों को बुलाना पड़ रहा है.

अमेठी की सांसद ने जेवर में एक रैली में कहा, ‘लेकिन उनसे पूछा जाना चाहिए कि वे जिनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं, उन्होंने यूपी की जनता का कितना अपमान किया था.’

उन्होंने कहा, ‘ममताजी ने बंगाल में चुनाव के दौरान कहा था कि उन्हें यूपी के लोगों से आपत्ति है. उन्होंने उन पर अराजक होने के आरोप लगाए थे. यूपी निवासी जो भगवा पहनते हैं, तिलक लगाते हैं या बनारस का पान पसंद करते हैं…उन्होंने उनकी संस्कृति, परंपराओं और उनके खानपान की आदतों का खुले तौर पर अपमान किया था. आज मैं अखिलेश से पूछना चाहती हूं—ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अब उनका साथ चाहिए? ऐसी क्या मजबूरी है कि अखिलेश के लिए अब ममता जरूरी है?’

हालांकि, सपा अब ममता की यात्रा के जरिये मुख्यमंत्री योगी की पिछले महीने की गई उस टिप्पणी का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है जिसमें उन्होंने कहा था, ‘गर्मी निकल देंगे.’

गौरतलब है कि सपा को ‘तमंचावादी पार्टी’ करार देते हुए मुख्यमंत्री ने पिछले महीने ट्वीट किया था कि उनकी सरकार सपा उम्मीदवारों की तरफ से दिखाई जा रही गर्मी 10 मार्च के बाद निकाल देगी.


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सपा प्रवक्ता राजीव राय ने दिप्रिंट से कहा, ‘योगी कह रहे हैं दिखा देंगे, तो देख लेंगे.’

राय ने ममता को राष्ट्रीय स्तर की एक ‘बड़ी नेता’ करार दिया जिनकी लोगों के बीच एक बड़ी अपील है. उन्होंने कहा, ‘ममता ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ी, जिसमें उन्हें प्रधानमंत्री और अन्य दिग्गज भाजपा नेताओं के हमलों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने दिखा दिया कि खुद को एक बड़ी ताकत के तौर पर दिखाने वाली पार्टी को भी हराया जा सकता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या ममता का दौरा यूपी में बंगाली आबादी को लुभाने की एक कोशिश है, जो 2011 की जनगणना के मुताबिक करीब 2,41,007 थी, सपा प्रवक्ता उदय वीर सिंह ने कहा कि इसे केवल इससे जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘ममताजी की यात्रा को केवल बंगाली आबादी को लुभाने की अपील के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि यह लोकतंत्र में सामाजिक बदलाव की एक बड़ी कोशिश है.’

पीलीभीत और पश्चिमी यूपी के तमाम जिलों में बसी बंगाली आबादी में कई अप्रवासी शामिल हैं जो बांग्लादेश बनने के बाद यहां आए और फिर यहीं बस गए, जबकि कुछ परिवार आजीविका के उद्देश्य से यहां आकर बसे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में भी दशाश्वमेध घाट, सोनारपुरा और ‘बंगाली टोला’ सहित कुछ इलाकों में बंगालियों की अच्छी-खासी आबादी है. क्षेत्र की बंगाली आबादी की अगुआई ब्राह्मण समुदाय करता है और ज्यादातर लोग पारंपरिक तौर पर भाजपा समर्थक हैं.

पार्टी पूर्वी यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र में उन मतदाताओं को लुभाने के लिए दीदी की अपील को भुनाने की कोशिश में जुटी है, जिनके रिश्तेदार पश्चिम बंगाल में बसे हैं. सपा प्रवक्ता राजीव राय ने कहा कि यूपी के तमाम मजदूर और प्रवासी पश्चिम बंगाल में काम करते हैं और अखिलेश यादव को ममता का समर्थन उनके बीच पार्टी का समर्थन बढ़ाने में मददगार होगा.

‘बंगाल में भाजपा को हराया, यूपी में भी यह मुमकिन है’

टीएमसी के मुताबिक, इस दौरे से यह संदेश जाएगा कि अगर भाजपा को पश्चिम बंगाल में हराया जा सकता है, तो वह उत्तर प्रदेश में भी हार सकती है.

यूपी के मिर्जापुर से कांग्रेस के पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी, जो अब टीएमसी में हैं, ने दिप्रिंट से कहा, ‘यूपी में ममता बनर्जी के आने से भाजपा को भी इसके असर अहसास होगा, उन्हें अपने ही मैदान पर चुनौती दी जाएगी और वे जानते हैं कि यह चुनाव उनके लिए एकदम आसान नहीं होने वाला है. टीएमसी एक मजबूत पार्टी है, उसने पश्चिम बंगाल में भाजपा को हराया है. टीएमसी की तरफ से सपा का समर्थन करना यह संदेश देगा कि भाजपा को यूपी में भी हराया जा सकता है. उनका दौरा अखिलेश यादव को काफी मजबूती देगा.’

त्रिपाठी पिछले साल के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में भाजपा को टीएमसी के हाथों मिली हार का जिक्र कर रहे थे, जबकि राज्य में पार्टी के सबसे बड़े नेताओं की तरफ से एक मेगा अभियान चलाया गया था. हालांकि, टीएमसी ने जहां लगातार तीसरी बार जीत हासिल की थी, वहीं भाजपा भी राज्य में गहरी पैठ बनाने में सफल रही थी.

त्रिपाठी ने कहा कि पार्टी को लगता है कि ममता में एक ‘जन अपील’ है. हालांकि, टीएमसी इस समय हर कदम सोच-समझकर उठा रही है और 2024 के लिए कोई हड़बड़ाहट नहीं दिखा रही है. उसका ध्यान फिलहाल यूपी चुनावों पर है.

त्रिपाठी ने कहा, ‘कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एकदम सिमट चुकी है, उसने एकजुट विपक्ष की लड़ाई से इनकार कर दिया है. लेकिन तृणमूल का मानना है कि जहां भी विपक्षी दल भाजपा से मुकाबले के लिए मजबूत स्थिति में है, वहां अन्य सभी को एकजुट होना चाहिए. इसलिए, अखिलेश यादव के यूपी में एक मजबूत ताकत होने के नाते टीएमसी की नजर में सपा के साथ खड़ा होना काफी मायने रखता है. देश ने बंगाल में जो देखा, उसके बाद यह दूसरा सबसे बड़ा चुनाव होगा.’

टीएमसी सूत्रों ने बताया कि ममता के यूपी दौरे के दौरान विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों के दो-तीन प्रतिनिधिमंडलों के साथ उनकी बैठक तय की गई थी लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने खुद इन्हें टालने का अनुरोध किया ताकि वह अपने अभियान पर और अधिक समय दे सकें. इस तरह की बैठकें पिछले दिसंबर में उनकी मुंबई यात्रा के दौरान हुई थी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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