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Thursday, 19 December, 2024
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खरगे बोले- मणिपुर गए ‘इंडिया’ के नेताओं ने दिल दहलाने वाले हालात बताए, प्रधानमंत्री के पास समय नहीं

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, प्रधानमंत्री के पास चुनावी रैलियों, ट्रेन का उद्घाटन और भाजपा की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए समय है, लेकिन मणिपुर के लिए नहीं.

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नई दिल्ली : मणिपुर का दौरा करने वाले विपक्ष के सांसदों ने सोमवार को विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों के प्रमुख नेताओं को हिंसा प्रभावित राज्य की स्थिति से अवगत कराया.

सांसदों के इस प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार मणिपुर की स्थिति को लेकर उदासीन है.

इन सांसदों ने संसद भवन के एक कक्ष में ‘इंडिया’ के घटक दलों के नेताओं से मुलाकात की. इस मौके पर कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रामगोपाल यादव और अन्य दलों के नेता मौजूद थे.

खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर उथल-पुथल का सामना करना कर रहा है लेकिन मोदी सरकार उदासीन दिखी. हमारे ‘इंडिया’ गठबंधन के सांसदों ने राज्य का दौरा करने के बाद वहां के लोगों से उनका दर्द सुना जो दिल दहलाने वाला है.’’

उन्होंने दावा किया कि मणिपुर में करीब 10,000 मासूम बच्चों सहित 50,000 से अधिक लोग अपर्याप्त सुविधाओं वाले राहत शिविरों में हैं, खासकर महिलाओं के लिए सुविधाओं का अभाव है, लोग दवाओं और भोजन की कमी का सामना कर रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मणिपुर में आर्थिक गतिविधियां रुक गई हैं, बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, किसानों ने अपनी खेती बंद कर दी है, और लोग वित्तीय घाटे और मनोवैज्ञानिक कठिनाइयां, दोनों से जूझ रहे हैं. समुदायों के बीच विभाजन अत्यंत चिंताजनक है.’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘चुनावी रैलियों, खुद का प्रचार करने के लिए ट्रेन का उद्घाटन करने और भाजपा की बैठकों में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के पास समय है, लेकिन मणिपुर के लोगों की पीड़ा सुनने और पीड़ा का निदान करने या अंतर-सामुदायिक मुद्दों को हल करने की दिशा में काम करने के लिए उनके पास समय नहीं है.’’

खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार मणिपुर की स्थिति से निपटने में दिशाहीन प्रतीत होती है, जो संसद में एक व्यापक बयान के अभाव से स्पष्ट है.

विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल 29 जुलाई को हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचा था. प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि अगर मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय संघर्ष की समस्या को जल्द हल नहीं किया गया, तो देश के लिए सुरक्षा समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

प्रतिनिधिमंडल ने यह आरोप भी लगाया कि मणिपुर में “अनिश्चितता और भय” का वातावरण है तथा केंद्र एवं राज्य सरकार वहां की “बहुत गंभीर” स्थिति से निपटने के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठा रही हैं.

इस प्रतिनिधिमंडल ने इंफाल स्थित राजभवन में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की थी. साथ ही मणिपुर में शांति एवं सौहार्द लाने के लिए प्रभावित लोगों के तत्काल पुनर्वास की मांग करते हुए एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर प्रतिनिधिमंडल ने उसे राज्यपाल को सौंपा था.


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