बेंगलुरुः राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) शिक्षा समेत सभी क्षेत्रों में ‘घुसपैठ’ कर रहा है और इस संगठन के विरूद्ध अपनी लंबी लड़ाई की कीमत उन्हें 2019 के संसदीय चुनाव में अपनी लोकसभा सीट गंवाकर चुकानी पड़ी.
खड़गे ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘वे (आरएसएस वाले) सभी जगह घुसपैठ कर रहे हैं, शिक्षा में भी वे आ रहे हैं. कई अधिकारी नियमों में बदलाव कर सीधे भर्ती किये गये हैं तथा बहुतों को आरक्षण से वंचित किया गया है…….’
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि वह 15-16 साल की उम्र से ही आरएसएस एवं उसकी विचारधारा के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और गुलबर्गा सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी हार के कारणों में एक यह भी था.
उन्होंने कहा, ‘हम आरएसएस के विरूद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं, हम इसे छिपाना नहीं चाहते. हम लड़ेंगे और यही वजह है कि मैं अपना चुनाव भी हार गया. आरएसएस गरीबों की हितैषी नहीं है, वह सामाजिक न्याय के पक्ष में नहीं है. वे (आरएसएस वाले) मनुस्मृति में विश्वास करते हैं.’
वरिष्ठ कांग्रेस नेता, जनता दल सेकुलर (जदएस) के नेता एच डी कुमारस्वामी के इस बयान के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे कि आरएसएस ने अपने छिपे हुए एजेंडे के तहत इस देश में नौकरशाहों की एक टीम तैयार की है जिन्हें विभिन्न संस्थानों में नियुक्त किया गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने मंगलवार को एक किताब का हवाला देते हुए कहा था, ‘उस पुस्तक में यह कहा गया है कि इस देश में करीब 4000 नौकरशाह- आईएएस, आईपीएस आरएसएस कार्यकर्ता हैं. उन्हें परीक्षा देने की तैयारी करायी जाती है. एक साल में, 2016 में उनके द्वारा प्रशिक्षित 676 लोगों का चयन किया गया.’
लखीमपुर खीरी घटना के संबंध में खड़गे ने तथ्यों को सामने लाने के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जांच कराने तथा अवैध रूप से हिरासत में लिये गये विपक्षी नेताओं को तत्काल रिहा करने की मांग की.
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