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Thursday, 25 April, 2024
होमराजनीतिविस्तार के बाद भी महाराष्ट्र कैबिनेट टू-मैन शो बनी, क्योंकि मलाईदार मंत्रालय तो सीएम, डिप्टी सीएम के ही पास हैं

विस्तार के बाद भी महाराष्ट्र कैबिनेट टू-मैन शो बनी, क्योंकि मलाईदार मंत्रालय तो सीएम, डिप्टी सीएम के ही पास हैं

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने करीब 20 विभाग अपने पास रखे हैं. और इस कैबिनेट पर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस की मुहर साफ नजर आती है.

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मुंबई: कैबिनेट विस्तार के बावजूद महाराष्ट्र सरकार अभी भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का टू-मैन शो ही बनी हुई है, जिन्होंने अधिकांश महत्वपूर्ण विभागों को अपने पास ही रखा है.

सीएम और डिप्टी सीएम ने कुल मिलाकर करीब 20 विभाग अपने पास रखे हैं. विभाग बंटवारे, खासकर भाजपा के मंत्रियों के लिए, में फडणवीस की छाप साफ नजर आती है. महत्वपूर्ण विभाग उनके करीबी नेताओं के खाते में आए हैं और पार्टी के अन्य दिग्गजों को स्पष्ट तौर पर कम अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई है.

राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘यहां शक्तियों का केंद्रीकरण नजर आता है. फडणवीस ने सभी महत्वपूर्ण विभाग अपने पास रखे हैं. सीएम और डिप्टी सीएम ने पूर्व में आदित्य ठाकरे की तरफ से संभाले जा रहे कुछ विभाग भी अपने पास ही रखे हैं, जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी.’

उन्होंने कहा, ‘इस सरकार में फडणवीस एक तरह से भाजपा के सीएम की तरह काम कर रहे हैं, और अपने सहयोगियों को बढ़ाने और संभावित विरोधियों के पर कतरने की उनकी शैली कतई नहीं बदली है.’

डिप्टी सीएम फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘हमारे सीएम एकनाथजी शिंदे ने विभागों का बंटवारा किया है और मुझे पूरा भरोसा है कि सभी मंत्री महाराष्ट्र में सुशासन के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे.’

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प्रमुख विभाग मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री के पास

भाजपा और शिवसेना के बागी विधायकों के साथ आने के साथ नई सरकार के गठन के 40 दिन बाद तक कैबिनेट में केवल दो मंत्री थे—सीएम और डिप्टी सीएम. दोनों पक्षों के सूत्रों का कहना था कि कैबिनेट विस्तार में देरी हो रही क्योंकि कैबिनेट में किसे शामिल किया जाए, किसे नहीं इस पर बातचीत जारी थी और नवगठित सरकार यह भी देखना चाहती थी कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व की तरफ से शिवसेना के बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट क्या कहता है.

शिंदे और फडणवीस ने आखिरकार पिछले हफ्ते अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमें 18 मंत्रियों को शामिल किया गया—नौ भाजपा के और नौ बागी शिवसेना गुट के.

हालांकि, विभाग बंटवारे में पांच दिन और लग गए, जिसकी विपक्ष ने कड़ी आलोचना की है.

शिवसेना विधायक आदित्य ठाकरे ने एक ट्वीट करके कहा कि ध्यान ‘सरकार पर है न कि शासन पर.’

ठाकरे ने कहा, ‘जब ध्यान सरकार पर केंद्रित होता है, न कि शासन पर, तभी कैबिनेट विस्तार में 41 दिन लगते हैं (दूसरे विस्तार के वादे के साथ), और फिर विभाग बंटवारे में पांच दिन (एक बड़े शक्ति असंतुलन के साथ) लगते हैं, उसमें भी महिलाओं और राज्य की राजधानी—मुंबई को कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है.’

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 13 विभाग अपने पास रखे हैं, जिनमें शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग (सार्वजनिक उपक्रम) और परिवहन जैसे अहम विभाग शामिल हैं. उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय भी बरकरार रखा है, जो कि एमवीए सरकार के समय काफी उत्साह के साथ ठाकरे परिवार के वारिस आदित्य ठाकरे संभालते थे.

बगावत से पूर्व शिंदे ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में शहरी विकास विभाग के प्रभारी थे. उनकी अगुआई में शिवसेना के 40 विधायकों के बगावत की और और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सरकार बनाने के लिए उद्धव का साथ छोड़ दिया. एमवीए सरकार में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल थीं.

शिंदे ने 2014 और 2019 के बीच पीडब्ल्यूडी (सार्वजनिक उपक्रम) पोर्टफोलियो संभाला था, जिसके तहत ही सरकार की शोपीस मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे परियोजना लागू की जा रही है. उस समय फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार सत्ता में थी.

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक बयान में यह भी कहा गया है, ‘ऐसे किसी भी विभाग का प्रभार सीएम के पास होगा जिसे कैबिनेट में किसी भी मंत्री को आवंटित नहीं किया गया है.’

दूसरी ओर, डिप्टी सीएम फडणवीस के पास सात विभाग हैं. गौरतलब है कि फडणवीस को गृह, वित्त, आवास और ऊर्जा जैसे विभाग आवंटित किए गए हैं.

फडणवीस की छाप

भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों जैसे चंद्रकांत पाटिल और सुधीर मुनगंटीवार को सरकार में कोई महत्वपूर्ण विभाग नहीं मिला है. पाटिल 2014-2019 में फडणवीस कैबिनेट में राजस्व मंत्री रहे थे, जबकि मुनगंटीवार राज्य के पूर्व वित्त मंत्री हैं.

पार्टी सूत्रों ने कहा, दोनों नेताओं को शिंदे-फडणवीस कैबिनेट में महत्वपूर्ण विभाग मिलने की उम्मीद थी, खासकर जब पार्टी नेतृत्व ने पाटिल को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद हटाकर उनकी जगह चंद्रशेखर बावनकुले को लाने का फैसला किया था.

पाटिल को जहां उच्च और तकनीकी शिक्षा, कपड़ा और संसदीय मामलों का मंत्रालय मिला है, वहीं मुनगंटीवार को वन, सांस्कृतिक मामलों और मत्स्य पालन विभाग दिए गए हैं. मुनगंटीवार ने 2014 से 2019 के बीच राज्य में वित्त के साथ-साथ वन विभाग भी संभाला था.

मुनगंटीवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का करीबी बताया जाता है, जबकि पाटिल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है.

गिरीश महाजन, अतुल सावे और राधाकृष्ण विखे पाटिल जैसे फडणवीस के करीबी माने जाने वाले नेताओं के पास अहम विभाग हैं. महाजन को चिकित्सा शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास और पंचायती राज, और खेल और युवा मामलों का विभाग दिया गया है. सावे को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कोऑपरेशन डिपार्टमेंट का प्रभार सौंपा गया है, जबकि विखे पाटिल को पशुपालन और डेयरी के साथ राजस्व विभाग मिला है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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