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Monday, 24 June, 2024
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सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार तक के लिए टला मध्य प्रदेश फ्लोर टेस्ट मामला, कोर्ट ने बागी विधायकों से मिलने से किया इंकार

मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संविधान के अनुच्छेद 212 का उल्लेख किया जिसमें सदन के भीतर की कार्रवाई पर अदालतों के संज्ञान लेने पर रोक लगाई गई है.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई गुरुवार तक के लिए टल गई है.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की बेंच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अन्य भाजपा नेताओं की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

कोर्ट ने बागी विधायकों से मुलाकात करने और रजिस्ट्रार जनरल को उनसे मुलाकात के लिये भेजने से इंकार कर दिया.

मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संविधान के अनुच्छेद 212 का उल्लेख किया जिसमें सदन के भीतर की कार्रवाई पर अदालतों के संज्ञान लेने पर रोक लगाई गई है.

सिंघवी ने अदालत में कहा कि राज्यपाल स्पीकर को कैसे सदन चलाया जाए इसपर निर्देश नहीं दे सकते हैं.

न्यायालय ने कहा कि फिलहाल उसे पता है कि 16 बागी विधायक मध्य प्रदेश में पलड़ा किसी भी ओर झुका सकते हैं.
कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का फैसला करने के लिये विधायिका की राह में नहीं आ रहा है कि किसे सदन का विश्वास हासिल है.

न्यायालय ने कहा कि 16 बागी विधायक या तो सीधा सदन के पटल पर जा सकते हैं या नहीं, लेकिन निश्चित रूप से उन्हें बंधक नहीं बनाया जा सकता है.

मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कांग्रेस चाहती है कि बेंगलुरू से सभी विधायक भोपाल आएं ताकि वो उन्हें लुभा सके और हॉर्स ट्रेडिंग कर सके. वो उन विधायकों के पास क्यों जा रही है जबकि वो कमलनाथ सरकार के विधायकों से नहीं मिलना चाहते हैं. रोहतगी ने सभी 16 बागी विधायकों को अदालत में पेश करने का ऑफर दिया लेकिन जजों ने इसे ठुकरा दिया.

विधानसभा सत्र के पहले दिन सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी द्वारा बहुमत परीक्षण नहीं कराने के चलते भाजपा सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट में मंगलवार को सुनवााई हुई लेकिन राज्य की कांग्रेस सरकार की तरफ से कोई भी प्रतिनिधि नहीं पहुंचने के चलते याचिका पर सुनवाई टल गई.


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मंगलवार को अदालत ने सभी पक्षों से अपना पक्ष रखने के लिए कहा था. कोर्ट ने सभी पक्षकारों, राज्य के सीएम और स्पीकर को भी नोटिस भी जारी किया था.

पूर्व सीएम ​चौहान की तरफ से कोर्ट में पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कांग्रेस के पक्षकार जान-बूझकर इस सुनवाई में शामिल नहीं हुए. राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. इसके चलते भाजपा ने सर्वोच्च न्यायालय में यह याचिका दाखिल की है. हमारी मांग है कि विधानसभाा में जल्द बहुमत परीक्षण हो.

दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर लगाया कांग्रेसी विधायकों को कैद करने का आरोप

मध्य प्रदेश के सियासी संकट पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कर्नाटक में प्रेस कांफ्रेंस कर सिंधिया और अमित शाह पर निशाना साधा. उनके साथ राज्य के कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार भी थे. सिंह ने भाजपा पर कांग्रेसी विधायकों को कैद में रखने का आरोप लगाया.

कोर्ट में सुनवाई से पहले कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह विधायकों को मनाने के लिए बेंगलुरु पहुंचे थे. वे वहां कांग्रेसी विधायकों से मिलने के लिए पहुंचे थे. विधायकों से मिलने की अनुम​ति नहीं मिलने के बाद सिंह और राज्य सरकार के मंत्री धरने पर बैठक गए. इसके बाद उन्हें राज्य की पुलिस ने हिरासत में ले लिया. सिंह और अन्य मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेताओं को बेंगलुरु के अमृताहल्ली पुलिस थाने ले जाया गया. पुलिस द्वारा किए गए बर्ताव पर सिंह ने आपत्ति जताई है.

सिंह ने कहा कि मुझे विधायकों से मिलने क्यों नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘मैं अब भूख हड़ताल करूंगा. मैं कानून और संविधान का पालन करने वाला नागरिक हूं. हम मध्य प्रदेश की सरकार भी बचाएंगे और हमारे विधायकों को भी वापस लाएंगे.’

सिंह के साथ पहुंचे कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर रही है. उन्होंने कहा, ‘हमारी अपनी रणनीति है. हमें पता है कि स्थिति को कैसे संभालना है. दिग्विजय सिंह यहां अकेले नहीं हैं, मैं यहां हूंं. लेकिन में कर्नाटक की कानून व्यवस्था खराब नहीं करना चाहता.’


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राज्यपाल ने भेजा विधानसभा स्पीकर को पत्र

वहीं विधानसभा स्पीकर एनपी प्रजापति द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब राज्यपाल लालजी टंडन ने सुबह 3 बजे दिया. उन्होंने स्पीकर को लिखे पत्र में कहा कि लगता है कि आपने मुझे गलती से पत्र भेज दिया. बेंगलुरु में विधायक हैं उनकी सुरक्षा को लेकर आपकी चिंता जायज है. इन विधायकों का इस्तीफा स्वीकार नहीं करने की आपकी मजबूरी समझ सकता हूं. बागी हुए विधायकों के बयानों से लगता नहीं है कि वह किसी भी दबाव में हैं. उन्हें वापस लाने का काम कार्यपालिका है.

इससे पहले स्पीकर एनपी प्रजाति ने राज्यपाल को पत्र ​लिखा था कि मुझे दूसरे लोगों के माध्यम से 16 विधायकों के इस्तीफे मिले हैं. सभी विधायकों को सदन के नियम के अनुरूप व्यक्ति रूप से मौजूद रहने के लिए कहा गया था लेकिन उनमें से किसी ने भी उसका पालन नहीं किया है. सभी ​इस्तीफों पर विचार किया जा रहा है. कई विधायकों के परिजन ने उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं. आपसे अनुरोध है कि हमारे डर को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाय.’

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1 टिप्पणी

  1. विधायक कह रहे है मिलना नहीं चाहते। न कमल नाथ से न उसके एजेंट से। यह बात प्रमुख हैं जिसे छिपा रहे है।

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