नई दिल्ली: काली बनियान और सफेद पतलून पहने एक आदमी अपना एक पैर सोफे पर टिकाकर खड़ा होता है. एक बंदूक उसके हाथ मैं और दूसरी उसकी मुंह में नजर आती है. वीडियो में कई लोग नाचते हुए उस व्यक्ति के करीब आते-जाते दिखते हैं और बैंकग्राउंड में 1990 के दशक का बॉलीवुड गीत चल रहा है.
यह वीडियो क्लिप 1.36-मिनट की है जिसमें उक्त व्यक्ति बंदूक लहराना जारी रखता है.
एक जगह वह अपना पैर सोफे से हटाकर नाचना शुरू कर देता है. उसके दोनों हाथों में एक-एक बंदूक है और एक तीसरी बंदूक उसके मुंह में है, ये सब विशुद्ध रूप से मौज-मस्ती के लिए किया जा रहा लगता है.
वीडियो में दिख रहा व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि उत्तराखंड भाजपा विधायक प्रणव सिंह चैंपियन थे जो एक साल पहले यह वीडियो सार्वजनिक होने से खुश नहीं थे. उन्होंने इसे अपनी निजता पर हमला माना था, जैसा उन्होंने उस समय समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा था.
लेकिन भाजपा ने कथित तौर पर वीडियो को शर्मनाक माना. जब जुलाई 2019 में यह वीडियो सामने आया, तो कथित अनुशासनहीनता के अन्य मामलों के सिलसिले में चैंपियन पहले ही तीन महीने के निलंबन पर थे. भाजपा ने उनके निलंबन को ‘अनिश्चितकाल’ के लिए बढ़ा दिया और यह पाबंदी सोमवार को बार खत्म हो गई, जब चैंपियन अपने ‘अच्छे आचरण’ और ‘बार-बार माफी’ मांगने के साथ पार्टी को मनाने में कामयाब रहे.
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विधायक ने मीडिया के सामने माफी भी मांगी, लेकिन दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वह अपने बारे में लोगों की धारणा की बहुत परवाह नहीं करते हैं.
खुद को ‘विकास पुरुष’ करार देते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं प्रतिदिन 18 घंटे काम करता हूं…शेष छह घंटे मेरे हैं और इस बात से किसी को कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए कि उस दौरान मैं क्या करता हूं.’
हालांकि, केवल चार वर्ष भाजपा के सदस्य रहे चैंपियन राज्य के गठन के बाद से ही उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य का एक हिस्सा रहे हैं. वह खुद को शाही अंदाज वाला एक व्यक्ति बताते हैं जो महंगी शराब और परफ्यूम का शौकीन है.
राष्ट्रीय स्तर के पूर्व रेसलर चैंपियन को फिटनेस के प्रति काफी उत्साही होने और बंदूकों के बारे में अच्छी-खासी जानकारी रखने वाले के तौर पर जाना जाता है.
हालांकि, एक साथी विधायक को विवाद सुलझाने के लिए कुश्ती लड़ने की चुनौती देने से लेकर एक डिनर पार्टी में फायरिंग करने और पार्टी में अपने सहयोगी और हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को ‘प्रवासी पक्षी’ बताने तक वह कई बार विवादों में घिरे रह चुके हैं.
2016 में बॉलीवुड स्टार सलमान खान से मिलने की असफल कोशिश के बाद, उन्होंने खुद को ‘रील-लाइफ हीरो’ की तुलना में ‘रीयल लाइफ हीरो’ करार दिया और उन पर निशाना भी साधा.
आलोचक शिकायत करते हैं कि वह खुद को किसी राजा से कम नहीं समझते हैं, लेकिन पार्टी सहयोगियों का इस नेता के बारे में आकलन कुछ अलग ही कहता है, उन्होंने गलतियां की हैं, लेकिन इसे स्वीकार भी करते हैं, और अपने निर्वाचन क्षेत्र-खानपुर पर उनकी पकड़ हमेशा की तरह मजबूत बनी हुई है.
शाही परिवार से संबंध
अप्रैल 1966 में जन्मे चैंपियन का संबंध उत्तराखंड के पूर्व गुज्जर राजघराने से है, और रुड़की के पास स्थिति ‘रंग महल’ नाम के एक महल में पले-बढ़े हैं.
उनका कद छह फिट एक इंच और वजन 100 किलोग्राम से अधिक है, लेकिन चैंपियन का कहना है कि वह हमेशा से ऐसे नहीं थे. उन्होंने बताया, ‘जब मैं 11 साल का था तब बहुत दुबला-पतला था और बाएं फेफड़े में गंभीर ब्रोंकाइटिस से पीड़ित था. डॉक्टर मेरे स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित थे लेकिन मेरे पिता, जिन्हें मैं अपना गुरु, मित्र और संरक्षक मानता हूं, ने स्वस्थ होने में मेरी बहुत मदद की.’
उन्होंने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि वह अपने जीवन को तीन श्रेणियों में बांटते हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरे व्यक्तित्व का पंद्रह प्रतिशत हिस्सा राजनीति-केंद्रित है, 15 प्रतिशत खेल से जुड़ा है, और बाकी 70 प्रतिशत मैं खुद को एक बौद्धिक व्यक्ति मानता हूं.’
एक कुशल आर्म-रेसलर चैंपियन बताते हैं कि उन्होंने एक टूर्नामेंट के लिए जूलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स बीच में ही छोड़ दिया था. इसके बाद योग्यता और ज्ञान के बीच सामंजस्य की कोशिश के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि वह ‘विश्व के इतिहास, गणित में पाइथागोरस (प्रमेय) और भूगोल’ के बारे में खासी जानकारी रखते हैं.
1989 में उन्होंने हेवी-वेट कैटेगरी में 13वीं नेशनल आर्म-रेसलिंग चैंपियनशिप जीती, और 1994 तक कुछ वार्षिक टूर्नामेंट में गाहे-बगाहे हिस्सा लेते रहे. यही वह वर्ष था जब उनकी शादी हुई. 1995 में उन्होंने खेल का मैदान छोड़ दिया.
अपनी शादी से पहले उन्होंने भारतीय वन सेवा को ध्यान में रखते हुए सिविल सेवाओं की परीक्षा भी दी. उनके मुताबिक, ‘हालांकि, उस समय तक लेडी लक ने मेरा साथ नहीं दिया. लेडी लक मेरी शादी के बाद ही मेरे काम आया.’
18 साल का राजनीतिक करियर
उन्होंने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 2002 में की, जब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और लक्सर से विधायक बने. कुछ समय बाद वह तत्कालीन मुख्यमंत्री एन.डी. तिवारी के मार्गदर्शन में कांग्रेस में शामिल हो गए.
2012 में जब कांग्रेस उत्तराखंड की सत्ता पर काबिज हुई तो चैंपियन को उत्तराखंड वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया.
अपनी इस भूमिका के दौरान उन्होंने जिला वन अधिकारियों के पास पुराने जमाने के हथियार होने का मुद्दा उठाया और उन्हें सर्विस रिवाल्वर मुहैया कराने का आग्रह किया. उन्होंने उत्तराखंड में भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) कैडर की रिक्तियों में प्रांतीय वन सेवा (पीएफएस) के सदस्यों की भर्ती को लेकर गड़बड़ी का आरोप लगाया और कहा कि इससे आईएफओएस अधिकारियों का ‘मनोबल’ गिर रहा है और राज्य वन विभाग की दक्षता भी प्रभावित हो रही है.
सितंबर 2013 में वह उस समय एक बड़े विवाद में घिर गए जब तत्कालीन राज्य मंत्री हरक सिंह रावत की तरफ से आयोजित डिनर पार्टी में उन्होंने कथित रूप पर हवाई फायरिंग कर दी, जिसमें एक कांग्रेस नेता सहित दो लोग घायल हो गए. उस समय हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट ने एक कांग्रेसी नेता के हवाले से कहा था कि चैंपियन नदी खनन के निजीकरण के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले से नाखुश थे.
अक्टूबर 2013 में उन्हें वन निगम से हटा दिया गया. उसी महीने कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के खिलाफ सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताने के लिए चैंपियन को कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसमें कथित तौर पर ‘अभद्र भाषा’ का इस्तेमाल किया गया था.
दिप्रिंट से बातचीत में उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि चैंपियन पूरे तंत्र से अच्छी तरह से वाकिफ थे, लेकिन ‘उनकी मानसिकता राजा-प्रजा वाली थी और खुद को एक राजा के तौर पर देखते थे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘चैंपियन जिस तरह लोगों से बात करते थे कई बार उसमें तू-तड़ाक वाली भाषा का कुछ ज्यादा ही इस्तेमाल होता था.’
जनवरी 2016 में चैंपियन ने खुद को एक और विवाद में घिरा पाया जब एक वीडियो ने वह कुछ महिला डांसर पर नोटो की बारिश करते दिखे.
उसी साल के अंत में वह उन आठ विधायकों में शामिल थे जिन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर राज्य को संकट में डाल दिया जिसमें राष्ट्रपति शासन लगना तक शामिल था. भाजपा में शामिल होने पर उन्हें एक विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित कर दिया गया था, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में वह फिर अपनी सीट से जीत गए.
चार साल बाद चैंपियन इस पर चर्चा में कुछ हिचकिचाते हैं कि किन कारणों से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए थे. वह और दो अन्य नेता ‘भाजपा के एक प्रमुख नेता से मिले थे, जिन्होंने हमें सरकार गिराने में मदद करने पर मंत्री पद का आश्वासन दिया था.’ हालांकि, वह वादे को पूरा नहीं किया गया.
चैंपियन दावा करते हैं. ‘अन्य दो नेताओं को राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया गया क्योंकि एक ठाकुर और दूसरा ब्राह्मण था. लेकिन मुझे मंत्री नहीं बनाया गया क्योंकि मैं ओबीसी समुदाय से आने वाला एक गुज्जर हूं.’
जून 2019 में कथित अनुशासनहीनता पर उन्हें तीन महीने के लिए भाजपा ने निलंबित कर दिया था, जिसमें एक पत्रकार को कथित तौर पर धमकी देना भी शामिल था. एक महीने पहले ही उन्होंने कथित तौर पर अपने विरोधी माने जाने वाले साथी विधायक देशराज कर्णवाल को कुश्ती लड़ने की चुनौती दे डाली थी, जिन्होंने उनकी शैक्षिक और खेल योग्यता को लेकर सवाल उठाए थे.
उसी वर्ष उन्होंने हरिद्वार के सांसद और केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को ‘प्रवासी पक्षी’ तक बता दिया था क्योंकि वह इस बात से खफा थे कि केंद्रीय मंत्री अपनी पत्नी को इस सीट से मैदान में उतारना चाहते थे.
चैंपियन के बारे में बात करते हुए उत्तराखंड के पूर्व भाजपा प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट ने कहा कि अपने निर्वाचन क्षेत्र पर उनकी पकड़ पूरी तरह मजबूत है. साथ ही जोड़ा, वह ‘किसी भी पार्टी’ में रहने के बावजूद खानपुर से जीतते हैं. बिष्ट ने दावा किया कि उन्हें विश्वास है कि ‘चैंपियन ने निलंबन अवधि से काफी कुछ सीखा है और भविष्य में और सावधान रहेंगे और वही गलतियां नहीं दोहराएंगे.’
इस बीच, चैंपियन खुद अपने से जुड़े विवादों की ज्यादा परवाह करते नजर नहीं आ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं जाहिर तौर पर महंगे परफ्यूम और शराब का शौकीन हूं. और मेरे इसी शाही अंदाज को प्रेस पचा नहीं पाता है.’
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