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Thursday, 19 December, 2024
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‘धार्मिक ब्लैकमेल’, FDI पर लेक्चर- सपा के प्रशिक्षण शिविरों में चल रही बूथ स्तर पर BJP से मुकाबले की तैयारी

सपा ने राज्य में सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने के लिए चार चरणों में इन तीन दिवसीय शिविरों के आयोजन की योजना बनाई है, जिससे बीजेपी का बूथ लेवल पर मुकाबला किया जा सके.

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लखनऊ/नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी ने बिना सुर्खियों में आए पूरे उत्तर प्रदेश में अपने कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन के साथ 2022 का विधानसभा चुनाव अभियान शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंचने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बूथ स्तरीय रणनीति का मुकाबला करना है.

सपा ने राज्य में सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करने के लिए चार चरणों में इन तीन दिवसीय शिविरों के आयोजन की योजना बनाई है. पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने पहले चरण में अब तक इस तरह के नौ शिविर आयोजित किए हैं, जिसमें लगभग 100 विधानसभा सीटें कवर की गई हैं.

सूत्रों ने बताया कि ऐसे हर शिविर में लगभग 3,000 पार्टी कार्यकर्ता—हर निर्वाचन क्षेत्र से लगभग 100 से 200 सदस्य—सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके ’रहस्यमय’ सहयोगी राय साहब सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं से प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं.

सूत्रों के मुताबिक, कार्यकर्ताओं को बताया जा रहा है कि कैसे भाजपा लोगों के घरों के अंदर तक अपनी पैठ बनाने के लिए अन्य मुद्दों के अलावा धर्म, नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना और समाजवाद के इतिहास का इस्तेमाल कर रही है.

प्रशिक्षण शिविरों को पूरी कड़ाई के साथ मीडिया की नजरों से दूर रखा जा रहा है और यहां पर मुख्य द्वार पर सख्त पहरे के अलावा फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी पर पाबंदी है.

शिविरों के बारे में दिप्रिंट से बातचीत में सपा प्रवक्ता और एमएलसी सुनील सिंह यादव ने कहा, ‘पार्टी का कैडर बेस मजबूत करने के लिए हम उन्हें सोशल मीडिया प्रबंधन, बूथ प्रबंधन, विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सामाजिक मुद्दों, भाजपा की नीतियों का मुकाबला कैसे करें आदि के बारे में प्रशिक्षित करते हैं.’

सूत्रों ने बताया कि दिसंबर 2020 में शुरू हुए ये शिविर अब तक बिठूर (कानपुर), चित्रकूट, कानपुर देहात, कन्नौज, श्रावस्ती, बरेली, मिर्जापुर, झांसी और मुरादाबाद में आयोजित किए जा चुके हैं.


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मार्गदर्शक मंडल में ‘राय साहब’

सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी ने इन प्रशिक्षण शिविरों के लिए एक मार्गदर्शक मंडल बनाया है.

इस पैनल में अखिलेश यादव, सपा उपाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य किरणमय नंदा, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज, वरिष्ठ नेता जय शंकर पांडे और रवि वर्मा शामिल हैं.

राय साहब, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, भी पैनल के प्रमुख सदस्यों में शामिल हैं. वह अखिलेश के सलाहकार के तौर पर काम करने को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सुर्खियों में आए थे. वह इन शिविरों में सबसे अहम व्याख्याता हैं.

लेकिन पार्टी नेताओं को इस बारे में कोई खास जानकारी नहीं है कि वह कौन हैं और पार्टी में उनका कद बढ़ने का कारण क्या है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘केवल बॉस (अखिलेश यादव) को उनकी प्रोफाइल और भूमिका के बारे में पता है. वह एक 70 वर्षीय व्यक्ति हैं जो समाजवाद के बारे में गहराई से जानते हैं और बॉस कई बार उनकी सलाह लेते रहे हैं. वह एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं…हम बस इतना ही जानते हैं.’

बहुजन समाज पार्टी के पूर्व नेता सरोज बताते हैं कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए कमजोर वर्गों को कैसे एकजुट किया जाना चाहिए. पांडे सपा की विचारधारा और राम मनोहर लोहिया के राजनीति में योगदान के बारे में पढ़ाते हैं.

अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की जिम्मेदारी संभाल रखी है.

पार्टी के एक दूसरे नेता ने कहा, ‘अखिलेश जी इन शिविरों में हर एक कार्यकर्ता से व्यक्तिगत तौर पर मिल रहे हैं. प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन के दौरान वह उसी शहर में रहते हैं. यद्यपि फोन अंदर लाने की अनुमति नहीं है लेकिन प्रशिक्षण सत्र के बाद कार्यकर्ता अखिलेश जी के साथ फोटो क्लिक करा सकते हैं.’


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एफडीआई और भाजपा की राजनीति पर व्याख्यान

बरेली में प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने वाले एक सपा कार्यकर्ता के मुताबिक, ‘यह तीन दिवसीय सत्र था जिसमें व्याख्यानों को अलग-अलग हिस्सों में बांट गया था. यह मुख्यत: राय साहब के निर्देशन में चलता है.’

व्याख्यानों के बारे में जानकारी देते हुए कार्यकर्ता ने कहा, ‘व्याख्यान के टॉपिक कुछ इस तरह होते हैं—’एफडीआई का कड़वा सच’ (छोटे कारोबारों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का असर), ‘गुजरातियों का खेल’ (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कारोबारी मुकेश अंबानी और गौतम अडानी का खेल).’

कार्यकर्ता ने बताया कि राय साहब के तीसरे व्याख्यान का विषय है कि भाजपा धर्म का उपयोग कैसे करती है. उन्होंने आगे कहा, ‘धर्मिक ब्लैकमेल (भाजपा अपनी राजनीति के लिए धर्म का उपयोग कैसे करती है)… ‘धर्मिक ब्लैकमेल’ पर व्याख्यान बेहद प्रासंगिक था क्योंकि इसमें उन्होंने हमें बताया कि कैसे भाजपा-आरएसएस अपने प्रचार के लिए परोक्ष रूप से साधु-संतों का इस्तेमाल करते हैं.’

कार्यकर्ता ने बताया, ‘वे अपने आयोजनों के लिए गली-मोहल्लों में जाते हैं और आरएसएस की विचारधारा को बढ़ाते हैं. हमें यह समझना होगा कि भाजपा कैसे ‘परोक्ष रूप से धर्म के नाम पर घर-घर में कैसे प्रवेश करती है.’ आरएसएस का लक्ष्य 2025 तक हिंदू राष्ट्र बनाना है, इसलिए वे इस मिशन पर काम कर रहे हैं. हमें उनका एजेंडा समझना होगा और मुकाबले के अपना नैरेटिव विकसित करना होगा.’

सपा की झांसी इकाई के एक प्रमुख नेता ने कहा, ‘राय साहब मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए फोर्ब्स पत्रिका के लेख पर जोर देते हैं. उनके मुताबिक फोर्ब्स एक लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय पत्रिका है, जो भारत सरकार की सच्चाइयों को उजागर करती है जिसके बारे में लिखने की हिम्मत हमारा मीडिया नहीं करता है.’

मिर्जापुर में पार्टी के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लेने वाले एक अन्य सपा कार्यकर्ता ने बताया कि ‘सोशल मीडिया के सही ढंग से इस्तेमाल और नैरेटिव कैसे तैयार करें’ पर भी व्याख्यान दिए जा रहे हैं.

दूसरे कार्यकर्ता ने कहा, ‘इन लेक्चर में उन्होंने हमें बताया कि कैसे पीएम मोदी की दाढ़ी बढ़ती जा रही है और वे रबींद्रनाथ टैगोर की तरह दिखने की कोशिश कर रहे हैं. यह एक तरीका है जिससे भाजपा नैरेटिव बनाती है और मीडिया और सोशल मीडिया उसे बनाने में मदद करते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सभी वरिष्ठ नेताओं ने यह भी कहा कि हम सोशल मीडिया पर कमजोर हैं, हमें जिला स्तर पर अपना आईटी सेल बनाना होगा. हमारे पास कोई बड़ा फंड नहीं है लेकिन हम सबके पास फोन हैं. हमें अपने नेताओं के पोस्ट साझा करने हैं और उन्हें लगातार रीट्वीट करना है. यही नहीं अगर भाजपा या भाजपा समर्थक मीडिया हमारी पार्टी के खिलाफ कोई भी नैरेटिव बना रहा है तो हमें उसका जवाब देना होगा.’

उन्होंने कहा, हमें (मुख्यमंत्री) योगी की योजनाओं की खामियों और अखिलेश की योजनाओं के फायदों के बारे में बताया गया. हर कार्यकर्ता को आगे 10 कार्यकर्ताओं की पहचान करने का काम दिया जा रहा है जो एक टीम बना सकते हैं और विधानसभा के हर एक गांव तक जा सकते हैं.’

इन शिविरों के बारे में मीडिया से बातचीत करने में परहेज किए जाने के बाबत एक तीसरे वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘इस सबको कैमरों से दूर रखने के पीछे तर्क यही है कि हम नहीं चाहते कि ये चीजें भाजपा में लीक हों. इन शिविरों के बाद हमारे पास हर बूथ में प्रशिक्षित कार्यकर्ता होंगे, वे भाजपा के नैरेटिव का मुकाबला करेंगे. यह भाजपा को उसके ही अंदाज में जवाब देने का सबसे अच्छा तरीका है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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