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Saturday, 20 April, 2024
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विपक्षी एकता बनाने से पहले खुद के परिवार की एकता बना लें लालू

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परस्पर-विरोधी भाईयों तेज प्रताप और तेजस्वी ने पिछले हफ्ते आपसी मतभेद की अटकलों को ख़ारिज करने का प्रयास किया लेकिन लालू के परिवार में सब कुछ ठीक नहीं है|

नई दिल्ली: 5 जुलाई को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 22वें स्थापना दिवस पर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े सुपुत्र तेज प्रताप यादव ने अहम् जगह बनाई| एक बार तो वह अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव, जो ज्यादा प्रमुख हैं, की छवि को फीका करते हुए दिखाई दिए|

इन अटकलों के बीच, कि इन भाइयों के बीच तनाव है जो लालू वंश में दरार पैदा कर रहा है, तेज प्रताप ने दोहराया कि उनके और तेजस्वी के बीच कोई अंतर नहीं है|

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और तेज प्रताप पटना में राष्ट्रीय जनता दल के 22 वें फाउंडेशन दिवस में शामिल हुए। पीटीआई

तेज ने घोषणा की, “तेजस्वी दिल्ली जा रहे हैं और मैं उनकी उपस्थिति में पार्टी का कार्यभार संभालूँगा| जो लोग हम भाइयों के बीच दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें कठिन समय का सामना करना पड़ेगा| मैं भगवान कृष्ण की तरह हूँ तेजस्वी मेरे अर्जुन हैं जो दानवों से लड़ेंगे|”

उन्होंने अपने छोटे भाई को एक ताज के साथ सम्मानित भी किया|

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हालाँकि, राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि तेज प्रताप के भाषण के स्वर और भाव ने उनके और उनके पार्टी नेताओं के गुस्से को प्रकट किया है, जैसा कि विशेष रूप से कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपने आप को राजद के सबसे बड़े नेता के रूप में घोषित किया|

मंच पर बैठे हुए कई वरिष्ठ नेताओं की तरफ इशारा करते हुए तेज ने कहा, “मंच पर बहुत सारे मास्टर बैठे हुए हैं| लेकिन वर्तमान में मैं सबसे बड़ा मास्टर हूँ|”

पिछले गुरुवार भाइयों की “मिलनसारिता” ने भी तनाव के लिए जगह बना रही इस धारणा, कि राजद के प्रथम परिवार में सब कुछ ठीक नहीं है, को दूर करने में मदद नहीं की|

जो व्यक्ति अफवाह फैला रहा था, वह थे स्वयं तेज प्रताप, जिन्होंने राजद नेताओं पर उन्हें अनदेखा करने का आरोप लगाते हुए पार्टी को चलाने के तरीके पर प्रहार करने के लिए बार-बार सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है|

1 जुलाई को स्थापना दिवस समारोह से सिर्फ चार दिन पहले तेज प्रताप ने फेसबुक पर राजनीति छोड़ने की धमकी दी थी| हिंदी में लिखी अपनी पोस्ट में उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी के दो नेताओं से शिकायत है, एमएलसी सुबोध राय और उनके भूतपूर्व व्यक्तिगत सहायक ओम प्रकाश यादव, और माँ राबड़ी देवी के भतीजे से भी, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया कि “वह बेबुनियाद खबरें फैला रहे थे कि तेज प्रताप पागल हैं और वह पार्टी के नेता नहीं हैं”|

जैसे ही खबर वायरल हुई तेजस्वी और राबड़ी देवी ने उनसे बात की और उन्हें पोस्ट को डिलीट करने के लिए राजी किया| कुछ घंटों बाद तेज प्रताप ने आरोप लगाते हुए दावा किया कि सत्तारूढ़ दल जदयू ने दोनों भाइयों के बीच दरार पैदा करने के लिए उनके अकाउंट को हैक कर लिया था|

हालांकि, इस प्रकरण ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लिए परिवार के भीतर की चुनौतियों को रेखांकित किया, जो 2019 से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भव्य गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

वजूद खोता हुआ एक समझौता

सक्रिय राजनीति मे शामिल लालू के तीनों बच्चों में सबसे बड़ी मीसा भारती राज्य सभा सांसद हैं, तेज प्रताप महुआ से विधायक हैं जबकि तेजस्वी बिहार विधानसभा मे विपक्षी दल के वर्तमान नेता हैं|

जानकारी रखने वाले लोग कहते हैं कि राजद ने नवम्बर 2015 में नीतीश कुमार के जदयू के साथ गठबंधन सरकार मे सत्ता संभाली थी तो लालू ने भाइयों के बीच एक समझौता करवाया था| जहां एक तरफ तेजस्वी, जो उनके चुने हुए उत्तराधिकारी हैं, को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया वहीं दूसरी तरफ तेज को स्वास्थ्य विभाग की ज़िम्मेदारी दी गयी|

ऐसा लग रहा था कि समझौता काम कर रहा है जब तक पार्टी सत्ता मे थी लेकिन जब नीतीश ने भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए जुलाई 2017 मे गठबंधन तोड़ दिया फिर राजद के लिए परेशानियाँ शुरू हो गईं|

पार्टी के सत्ता से बाहर होने के साथ तेजस्वी को विपक्षी दल के नेता के रूप में नियुक्त किया गया और उनके राजनीतिक ग्राफ मे बढ़ोत्तरी होना शुरू हो गयी| विधानसभा मे उनके पहले भाषण ने पार्टी के भीतर से सराहना बटोरी और इसने राजद सिंहासन के उत्तराधिकारी के रूप मे उनकी पदवी को बल दिया|

नवंबर 2017 में पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया कि तेजस्वी मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी उम्मीदवार होंगे। यह भी स्पष्ट हो गया कि वह अब पार्टी का चेहरा थे क्योंकि तेज प्रताप उनके अधीनस्थ भूमिका में थे|

इस साल मई में, यह तेजस्वी थे जो कर्नाटक में जेडी(एस)-कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए बेंगलुरू गए थे। इससे पहले लालू के इस छोटे बेटे ने अपनी बहन मीसा भारती के साथ सभी विपक्षी पार्टियों के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित रात्रिभोज में भाग लिया था।

तेज प्रताप के करीबी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि जैसे ही तेजस्वी को प्रधानता मिली, पार्टी नेताओं ने तेज प्रताप द्वारा जारी निर्देशों को अनदेखा करना शुरू कर दिया।

परिवार के एक करीबी पार्टी नेता का कहना है, “कुछ युवा नेताओं ने तेज प्रताप से यह कहना शुरू कर दिया था कि पार्टी मे उनका कोई महत्व नहीं है| इसके बाद से उन्होने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी| वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके कोई गलत इरादे नहीं हैं और लोग इसका फायदा उठाते हैं|”

जो लोग उनके करीबी हैं उनका कहना है कि तेज प्रताप, जो पार्टी के युवा मोर्चा के प्रमुख हैं, इन मुद्दों के साथ अपने पिता लालू यादव और माँ राबड़ी देवी से भिड़ गए लेकिन उन्होने इसे अनदेखा कर दिया.

सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

तेज प्रताप ने पार्टी के खिलाफ अपना असंतोष जाहिर करने के लिए बार-बार सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया है|

इस साल जनवरी में उन्होंने अपने ऊपर बनाए गए ‘तेज प्रताप पुकार रहा है’ नामक गाने को रिलीज़ किया| इसने उन्हें बिहार के उभरते नेता के रूप में पेश किया, जिनके मन में लोगों का कल्याण था। उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि यह न केवल बाहरी लोगों को बल्कि पार्टी के भीतर विरोधियों को एक तथ्य साबित करने के लिए रिलीज़ किया गया था।

पार्टी कार्यकर्ता ने कहा, “उनकी छवि रॉबिन हुड जैसी है और लोग उन्हें प्यार करते हैं| वह हमेशा उन लोगों का खयाल रखते हैं जो उनके साथ मिलकर काम करते हैं|”

वह एक फिल्म पर भी काम कर रहे हैं जिसका नाम है रुद्र द अवतार, जिसमें वह रुद्र, एक राजनेता जो भगवान शिव का भक्त है, के प्रमुख किरदार में हैं|

सूत्रों का कहना है, एक बड़ा मोड़ तब आया जब तेज ने अपने एक करीबी सहयोगी राजेंद्र पासवान, जो एक दलित युवा नेता हैं, के लिए पार्टी मे एक पद की मांग की| वह इस अनुरोध के साथ राजद के राज्य अध्यक्ष राम चन्द्र पूर्वे के पास भी गए लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया|

इससे नाराज होकर, उन्होने अपनी नाखुशी को 8 जून को ट्विटर पर व्यक्त किया| उन्होंने ट्वीट किया, “मेरा सोंचना है कि मैं अर्जुन को हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊँ। अब कुछेक “चुग्लों” को कष्ट है कि कहीं मैं किंग मेकर न कहलाऊं|”

बाद मे उन्होंने मीडिया से बात करते हुए पार्टी नेताओं पर हमला बोला और उन पर आरोप लगाया कि वे उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रहे थे| उन्होंने कहा, “मैं राजद के भीतर अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं कर सकता| वे मेरा फोन नहीं उठाते| मेरे निर्देशों का पालन नहीं होता है और जब मैं काम मे देरी को लेकर सवाल पूछता हूँ तो वे मुझे साफ जवाब भी नहीं देते|”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पूर्वे ही थे जो पार्टी कार्यालय में राजेंद्र पासवान कि नियुक्ति में अड़चन डाल रहे थे| सोशल मीडिया पर धमाके के बाद, पासवान को राजद का राज्य महासचिव बना दिया गया| सूत्रों के मुताबिक, यह नियुक्ति लालू और तेजस्वी द्वारा की गयी थी, इस भरोसे के साथ कि तेज प्रताप भविष्य मे सार्वजनिक रूप से अपनी शिकायतें व्यक्त नहीं करेंगे|

यह शांतिकाल 1 जुलाई, यानि कि करीब एक महीने, तक ही टिक सका जब अपने निर्वाचन क्षेत्र महुआ में जनसभाओं कि एक श्रृंखला मे भाग लेने के बाद उन्होंने एमएलसी सुबोध राय और ओम प्रकाश यादव उर्फ भुट्टो पर फेसबुक के माध्यम से निशाना साधा|

तेज की परेशानी के पीछे वजह हैं राबड़ी के भतीजे

तेज प्रताप के निजी सचिव अभिनंदन यादव, जो अब उनके साथ वापस आ गए हैं, ने आरोप लगाया कि राबड़ी देवी के तीन भतीजों ने उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।

मणि यादव, ओम प्रकाश यादव उर्फ भुट्टो तथा नागमणि पटना में 10 सर्कुलर मार्ग स्थित अपने घर में परिवार के साथ रहते हैं। जबकि मणि तेजस्वी यादव के निजी सचिव हैं और भुट्टो राबड़ी देवी के साथ हैं।

कुछ राजद नेताओं ने तेज द्वारा सोशल मीडिया पर जाहिर किए गए गुस्से के लिए उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय और ससुर चंद्रिया राय को भी दोषी ठहराया। इस साल मई में ही ऐश्वर्या और तेज की शादी हुई है।

ऐश्वर्या खुद एक राजनीतिक परिवार से नाता रखती हैं –उनके दादा दरोगा राय बिहार के मुख्यमंत्री थे जबकि उनके पिता चंद्रिका राय पाँच बार विधायक रहे हैं, जो पूर्व सरकारों में एक मंत्री थे।

आरोपों को अब आधार मिल गया है क्योंकि शादी के बाद तेज ने जून में खुले तौर पर विद्रोह किया था। चंद्रिका राय ने इन आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “यह निरा झूठ है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। परिवार में बिल्कुल भी कोई समस्या नहीं है। तेज प्रताप कुछ लिखते हैं और मीडिया में लोग इसको अपने हिसाब से तोड़-मरोड़ के प्रस्तुत करते हैं।”

राजद के नेता भी पारिवारिक फूट की बातों को दबाने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन इस तरह की बातें एक साल से भी कम समय में होने वाले चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को क्षति पहुंचा सकती हैं।

विपक्ष ने भी इस मामले में दिलचस्पी दिखानी शुरू कर दी है।  

जदयू के एक नेता नीरज कुमार कहते हैं कि “पूरा परिवार अपनों से ही लड़ाई लड़ने में लगा हुआ है। उनके पास बिहार के लोगों के लिए कोई नजरिया नहीं हैं। ऐसा तब होता है जब आप पार्टी कार्यकर्ताओं के बजाय परिवारवाद की राजनीति को पसंद करते हैं।”

लालू प्रसाद यादव के लिए यह कोई नई बात नहीं है। राजद प्रमुख ने पहले भी पारिवारिक प्रतिद्वंदिता का सामना किया है। उन्होंने राबड़ी के भाई साधु, सुभाष और प्रभुनाथ यादव, जिनका 1990 के दशक के अंत से 2000 के दशक की शुरुआत तक पार्टी में वर्चस्व था, को 2005 में पार्टी के चुनाव हारने के बाद अलग कर दिया था| दरअसल एक दशक के बाद ऐसा पहली बार हुआ था जब मीसा इस वर्ष मई में तेज प्रताप की शादी का निमंत्रण लेकर अपने तीनों मामाओं के पास गई थीं।

हालांकि इस बार की लड़ाई घर के बहुत करीबी लोगों के बीच है और राजद की ही राजगद्दी दांव पर है।

Read in English : Lalu wants to build a grand political family for 2019 but all’s not well in his own family

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