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Monday, 4 November, 2024
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कुल्हड़, रूम फ्रेशनर्स और राखी- कैसे भाजपा सांसद पीएम के ‘वोकल फॉर लोकल’ को दे रहे हैं बढ़ावा

भाजपा सांसदों ने अपने क्षेत्रों में स्वदेशी अपनाने की मुहिम शुरू कर दी है. लेकिन कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का कहना है, 'स्वदेशी के लिए हमें भाजपा, संघ और स्वदेशी जागरण मंच से सीखने और ज्ञान लेने की जरूरत नहीं है.'

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नई दिल्ली: चीन से सीमा पर तनातनी के बाद भाजपा सांसद स्वदेशी और वोकल फॉर लोकल का उदाहरण पेश करने की कोशिशों में जुट गए हैं. कई सांसद भारतीय त्यौहारों को चीन की वस्तुओं से मुक्त बनाने की मुहिम छेड़ चुके हैं तो कोई कुल्हड़ और रुम फ्रेशनर्स तक का निर्माण अपने क्षेत्र में करने में जुट गया है.

देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से ‘लोकल फॉर वोकल’ पर जोर देने को कहा था. वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी स्वदेशी सामानों को अपनाने की बात कही थी.

इसके बाद से ही स्वदेशी जागरण मंच ने देशभर में स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने, उसे प्रयोग करने और चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए हस्ताक्षर अभियान छेड़ रखा है.

भाजपा सांसदों ने भी अपने क्षेत्रों में स्वदेशी अपनाने की मुहिम शुरू कर दी है. लेकिन कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी का कहना है, ‘स्वदेशी के लिए हमें भाजपा, संघ और स्वदेशी जागरण मंच से सीखने और ज्ञान लेने की जरूरत नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘स्वदेशी की भावना पूरे हिंदुस्तान में पहले महात्मा गांधी जी और कांग्रेस के जरिए ही लाई गई थी’.


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स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तर पर बनेगी समिति

संसदीय क्षेत्रों में सांसदों द्वारा शुरू की गई इस पहल का स्वागत करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने दिप्रिंट से कहा, ‘राज्य स्तर और जिला स्तर पर एक समिति का गठन करने जा रहे हैं. इसमें समाज के सभी वर्गों के लोगों को शामिल करेंगे. जो स्वदेशी वस्तुओं को लेकर अध्ययन करेंगे और सरकार को बताएंगे कि इस दिशा में क्या किया जा सकता है.’

महाजन ने कहा, ‘जिला स्तर पर जो भी समितियां निर्माण होगी उसमें सांसदों को भी जोड़ेंगे. हम इन समितियों में सभी राजनीतिक दलों के सांसदों से जुड़ने का आग्रह करेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘हमें किसी को जोड़ने में कोई तकलीफ नहीं है. स्वदेशी को लेकर हम सभी दलों के सांसदों का सहयोग भी करेंगे और उनकी राय भी लेंगे. इस क्षेत्र में जो भी सांसद अच्छा काम करेगा तो चाहे वह किसी भी दल का हो हम उसके कार्यों को सराहेंगे भी.’


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कुटीर और लघु उद्योग से चीनी समान से मुकाबले की तैयारी

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से भाजपा सांसद संतोष पांडेय ने दिप्रिंट को बताया, ‘पीएम के लोकल फॉर वोकल के आह्वान के बाद से मैं अपने संसदीय क्षेत्र में कुटीर और लघु उद्योग को बढ़ावा देने में जुट गया हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे क्षेत्र में कुल्हड़ का काम होता है. मैं लोगों से अपील कर रहा हूं कि ज्यादा से ज्यादा कुल्हड़ का प्रयोग करें ताकि इससे गरीब लोगों का रोजगार भी चल सके और लोकल चीजों का मार्केट भी बन सके.’

उन्होंने कहा कि पहले कुल्हड़ का प्रयोग बहुत होता था लेकिन अब धीरे धीरे इसका प्रयोग न के बराबर होने लगा है. स्थानीय कुलहड़ बनाने वालों के साथ बातचीत कर कैसे उनके कुलहड़ मार्केट में जगह पा सके और कैसे उनकी मेहनत का उचित मेहनताना मिल सके इस दिशा में काम किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘मेरे क्षेत्र में लोग बांस से कई तरह की कलाकृतियां बनाते हैं. बस्तर आर्ट इसके लिए देश और विदेश में बहुत प्रसिद्ध है.’

उत्तर प्रदेश के बागपत से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने दिप्रिंट से कहा, ‘पीएम मोदी की भारत को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर अपील के बाद संसदीय क्षेत्र में हमने महिलाओं के 6 हजार स्वयं-सहायता समूह तैयार किए हैं’.

उन्होंने कहा, ‘हैंडलूम से लेकर मच्छर मारने की दवा और रुम फ्रेशनर्स जैसे कई छोटे उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. बाहर से आने वाले ऐसे छोटे उत्पाद की जगह इन प्रोडक्ट को प्रयोग करने पर जोर दे रहे हैं.’

झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, ‘सिल्क का प्रोडेक्शन चायना-कोरिया के धागे से नहीं हो इसके लिए कोकून की खेती और उनके डेवलपमेंट पर संसदीय क्षेत्र में काम कर रहे हैं.’


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उन्होंने कहा कि इस मामले में हाल ही में केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा से भी बात की है. दुबे ने कहा, ‘उन्होंने सहमति भी दी है कि फोरेस्ट प्रोड्यूस में कोकून की बड़े स्तर पर खेती की जाएगी. जिससे सिल्क के धागे पर हमारी निर्भरता कम हो सकेंगी.’

मध्य प्रदेश के इंदौर के भाजपा सांसद शंकर लालवानी ने कहा, ‘पीएम मोदी के आत्भनिर्भर बनाने की पीएम मोदी की अपील के बाद 22 एनजीओ से जुड़ी महिलाओं की मदद से एक लाख स्वदेशी राखियां तैयार कर रहे हैं. ताकि इन राखियों से चीन से आने वाली राखियों को चुनौती दी जा सके.’

उन्होंने कहा, ‘इन राखियों को बेचने के लिए शहर के अलग अलग स्थानों पर अलग से बिक्री केंद्र भी खोले जाएंगे. वहीं इन्हें आनलाइन बेचने की योजना भी तैयारी कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कि चीनी समानों के विकल्प तैयार करने में हालांकि स्वदेशी निर्माताओं को थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन ग्राहकों के मन में चीनी सामान के बहिष्कार की भावना मजबूत हो रही है.

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