scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमराजनीतिकेरल सरकार का फैसला- चुनाव से पहले सबरीमला, CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान दर्ज मामले होंगे वापस

केरल सरकार का फैसला- चुनाव से पहले सबरीमला, CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान दर्ज मामले होंगे वापस

विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने इस कदम का जहां स्वागत किया है वहीं जबकि भाजपा-राजग ने भगवान अयप्पा के भक्तों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिये मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से माफी की मांग की है.

Text Size:

तिरुवनंतपुरम: आगामी विधानसभा चुनावों से पहले केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने राज्य में सबरीमला और सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान दर्ज मामलों को बुधवार को वापस लेने का फैसला किया है.

विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया गया है जबकि भाजपा-राजग ने भगवान अयप्पा के भक्तों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिये मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से माफी की मांग की है और कहा कि सबरीमला प्रदर्शन और सीएए विरोधी प्रदर्शन के मामलों को समान रूप से देखा जाना स्वीकार्य नहीं है.

मुख्यमंत्री विजयन की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह अहम फैसला लिया गया.

मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से यहां जारी एक संक्षिप्त बयान के मुताबिक, “मंत्रिमंडल ने सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे और संशोधित नागरिकता कानून के विरोध के सिलसिले में दर्ज ऐसे सभी मामलों को वापस लेने का फैसला लिया है जो गंभीर आपराधिक प्रकृति के नहीं है.”

राज्य में 2018-19 के दौरान सबरीमला प्रदर्शन से संबंधित करीब 2000 मामले विभिन्न जिलों में दर्ज किये गए थे जब श्रद्धालुओं और अन्य ने परंपरागत रूप से मंदिर में प्रवेश से प्रतिबंधित 10 से 50 साल आयुवर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था.

विजयन सरकार के इस फैसले का सियासी महत्व है क्योंकि यह ऐसे वक्त आया है जब जल्द ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

सबरीमला मुद्दे को लेकर एलडीएफ पर निशाना साधते रहे यूडीएफ ने हाल में घोषणा की थी कि वह विधानसभा चुनावों में जीतता है तो मुकदमों को वापस लेगा. राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं.

एलएडीएफ सरकार के इस कदम, खास तौर पर सबरीमला मुद्दे से जुड़े मामलों को वापस लेने के फैसले, को भक्तों और हिंदू समुदाय के सदस्यों को लुभाने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. एलडीएफ लगातार दूसरी बार राज्य में सत्ता में आने की कोशिश कर रहा है.

संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन 2019 के अंत और पिछले साल की शुरुआत में हुए थे.

कांग्रेस और भाजपा के अलावा सबरीमला प्रदर्शन के तहत ‘नामजप यात्रा’ में अग्रणी रहने वाले राज्य के एक प्रमुख जाति आधारित संगठन ‘द नायर सर्विस सोसाइटी’ (एनएसएस) ने पूर्व में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिये जाने की मांग की थी.

राज्य के देवस्वओम मंत्री के सुरेंद्र ने बुधवार को कहा कि प्रदर्शन में शामिल लोगों के अनुरोध पर यह फैसला लिया गया.

नेता विपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने इस कदम को ‘देर आए दुरुस्त आए’ करार दिया.

केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता वी मुरलीधरन ने हालांकि यूडीएफ और एलडीएफ दोनों पर भगवान अयप्पा के भक्तों को लुभाने की कोशिश का आरोप लगाया.

उन्होंने पूछा कि ये लोग तब कहा थे जब भक्त “रीति-रिवाज, परंपरा और संस्कृति” को बचाने के लिये लड़ रहे थे.

share & View comments