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Friday, 15 November, 2024
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‘चुनाव कोष का दुरुपयोग, रिश्वतखोरी, अब लूट’—केरल भाजपा प्रमुख की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं

के. सुरेंद्रन चुनाव से पहले त्रिशूर के पास केरल राजमार्ग पर एक कथित डकैती के मामले में फंसे हुए हैं. निशाना बने थे आरएसएस कार्यकर्ता और व्यवसायी धर्मराजन, जो कोच्चि जाते समय रास्ते में फंस गए थे.

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नई दिल्ली: केरल में एक हाईवे पर 3.5 करोड़ रुपये की संदिग्ध लूट की घटना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है, जो राज्य के भाजपा अध्यक्ष के. सुरेंद्रन के लिए एक और चुनौती का सबब बन गई है.

मामला त्रिचूर के पास केरल हाईवे पर हुई एक कथित लूट का है जो इस साल विधानसभा चुनाव से पहले 3 अप्रैल को हुई थी. निशाना बने थे आरएसएस कार्यकर्ता और व्यवसायी धर्मराजन, जो कोच्चि जाते समय रास्ते में फंस गए थे. मामले की अब तक की जांच से पता चला है कि ये पैसा भाजपा के लिए था, हालांकि पार्टी ने इस बात से इनकार किया है.

लूट की घटना की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) सुरेंद्रन के साथ-साथ उनके बेटे हरि कृष्णन से भी पूछताछ करने की तैयारी कर रही है, क्योंकि कॉल डिटेल रिकॉर्ड से पता चला है कि लूट के बाद हरि कृष्णन शिकायतकर्ता के संपर्क में था.

एसआईटी इस मामले में सुरेंद्रन के ड्राइवर और उनके सचिव से पहले ही पूछताछ कर चुकी है.

इस बीच, भाजपा ने इन आरोपों की जांच के लिए दो समितियां गठित की है कि राज्य इकाई को केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से उपलब्ध कराया गया चुनावी फंड उम्मीदवारों को मुहैया कराया गया है.

केरल में चुनाव हारने के बाद से ही लग रहे आरोपों ने राज्य भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. पार्टी ने अपनी एकमात्र सीट भी गंवा दी है, जो उसने राज्य में पहली बार 2016 में जीती थी. सुरेंद्रन ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें दोनों में ही हार का सामना करना पड़ा और 2016 की तुलना में पार्टी का वोट शेयर 16 फीसदी से गिरकर 11.51 फीसदी रह गया.

बसपा के एक पूर्व नेता—जो अब भाजपा में हैं—ने शनिवार को सुरेंद्रन पर आरोप लगाया कि उन्होंने मंजेश्वरम सीट से उम्मीदवारी वापस लेने के लिए उन्हें 2.5 लाख रुपये का भुगतान किया था, इस सीट से केरल भाजपा प्रमुख ने चुनाव लड़ा था.

इसके अलावा यह आरोप भी लगे कि राज्य भाजपा ने जनआधिपत्य राष्ट्रीय सभा (जेआरपी) के सी.के. जानू को दो साल बाद एनडीए में वापसी के लिए 10 लाख रुपये दिए थे. यह आरोप एक ऑडियो क्लिप वायरल होने के बाद सामने आया जिसमें कथित तौर पर जेआरपी कोषाध्यक्ष और सुरेंद्रन के बीच सौदेबाजी की बातचीत को रिकॉर्ड किया गया है. सुरेंद्रन ने इन आरोपों का भी खंडन किया है.

बहरहाल, राज्य में सुरेंद्रन के खिलाफ नाराजगी लगातार रही है, नेताओं ने केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन के खिलाफ भी नाराजगी जताई है जिन्हें केरल भाजपा प्रमुख का करीबी माना जाता है.

भाजपा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि ‘राजनीतिक साजिशों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप, चुनावी कोष के कुप्रबंधन और बड़े पैमाने पर धन खर्च करने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीतने पर राज्य नेतृत्व को बदलने की मांग को लेकर पार्टी के पास शिकायतों का अंबार लग गया है.’

हालांकि, भाजपा आलाकमान ने लूट मामले की जांच को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि यह राज्य की वाम मोर्चा सरकार द्वारा पार्टी को बदनाम करने की कोशिश है.

अनेक विवाद

पूर्व बसपा नेता के. सुंदरा, जिन्होंने 22 मार्च को केरल चुनाव में अपना नामांकन वापस लिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे, ने कई समाचार चैनलों पर दावा किया है कि उन्हें चुनावी दौड़ से बाहर होने के लिए 2.5 लाख रुपये मिले थे.

उन्होंने बताया कि इसमें से 2 लाख रुपये उनकी मां को और 50,000 रुपये उन्हें दिए गए. उन्होंने यह भी कहा कि इसके अलावा उन्हें 15,000 रुपये का मोबाइल फोन दिया गया और शराब की दुकान का वादा किया गया था.

2016 में निर्दलीय मैदान में उतरे सुंदरा ने 467 वोट हासिल किए थे और सुरेंद्रन आईयूएमएल उम्मीदवार से 89 वोटों से हार गए थे—यह एक ऐसा तथ्य है कि जिसे भाजपा नेताओं ने मतदाताओं के सुंदरा और सुरेंद्रन के बीच भ्रमित होने का परिणाम माना. हालांकि, सुंदरा के दौड़ से बाहर होने के बावजूद सुरेंद्रन 2021 का चुनाव हार गए.

भाजपा ने सुंदरा के आरोप का खंडन किया है, जैसे उसने सुल्थान बाथेरी से चुनाव लड़कर जीतने/हारने वाले एक जनजातीय नेता और जेआरएस प्रमुख को कथित तौर पर 10 लाख रुपये के भुगतान का आरोपों को नकारा है.

विवादों की जांच के लिए केंद्रीय भाजपा आलाकमान ने दो समितियों का गठन किया है इनमें से एक का नेतृत्व राज्यसभा सांसद और अभिनेता सुरेश गोपी कर रहे हैं. यह पैनल पार्टी के 109 उम्मीदवारों से केंद्रीय कोष और पार्टी की हार के कारणों के बारे में बात करेगा.

तीन पूर्व सिविल सेवकों—आनंद बोस, जैकब थॉमस और मेट्रो मैन ई. श्रीधरन के नेतृत्व में गठित दूसरी समिति ने अपनी रिपोर्ट भाजपा आलाकमान को सौंप दी है.


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भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष निशाने पर

प्रदेश भाजपा के अंदर सुरेंद्रन के नेतृत्व के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं. सुरेंद्रन के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले गुट की अगुआई पूर्व राज्य भाजपा प्रमुख के. कृष्णदास कर रहे हैं, और इसमें शोभा सुरेंद्रन और एक अन्य पूर्व राज्य भाजपा प्रमुख सी.के. पद्मनाभन शामिल हैं. पार्टी की हार के तुरंत बाद पद्मनाभन ने सुरेंद्रन की यह कहते हुए आलोचना की थी कि उन्हें उत्तर भारत से ‘हेलीकॉप्टर पॉलिटिक्स’ के जरिये केरल लाया गया था.

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने कभी किसी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को दो सीटों से चुनाव लड़ते नहीं देखा. केरल में हेलीकॉप्टर पॉलीटिक्स का कोई असर नहीं होगा. उत्तर भारत में कारगर तरकीबें यहां कुछ काम नहीं आने वाली हैं.’

केरल भाजपा की कोर कमेटी ने रविवार को जब पार्टी की हार के कारणों की समीक्षा के लिए बैठक की तो कुछ नेताओं ने कहा कि आरोपों ने पार्टी को बहुत शर्मसार किया है और इन पर स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत है.

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष कुमानम राजशेखरन ने जहां यह कहा कि इस मामले से भाजपा आलाकमान निपटेगा, वहीं पार्टी महासचिव कुरियन जॉर्ज ने एसआईटी जांच पर सवाल उठाए. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘पुलिस केवल शिकायतकर्ता की जांच कर रही है, आरोपी की नहीं. राज्य सरकार की यह जांच सिर्फ भाजपा को बदनाम करने की साजिश है. वे गिरफ्तार किए गए 21 आरोपियों पर ध्यान क्यों नहीं दे रहे? वे माकपा कार्यकर्ता हैं.’

हालांकि, राज्य के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘इस लूट और काले धन के मामले की जड़ में सुरेंद्रन और मुरलीधरन ही हैं, जिन्हें संसाधनों के प्रबंधन और चुनाव की कमान संभालने के लिए खुली छूट दी गई थी.’

नेता ने आगे कहा कि दोनों को यह सारी जिम्मेदारी चुनाव पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहे भाजपा महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष की तरफ से दी गई थी.

उक्त नेता ने कहा, ‘इसलिए, इस सारे कुप्रबंधन के लिए केवल सुरेंद्रन ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि इसकी जिम्मेदारी शीर्ष स्तर पर तय की जानी चाहिए. उम्मीदवार चयन में पैसे के लेन-देन की भी जांच की जानी चाहिए.’

राज्य भाजपा के एक पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि विवादों ने पार्टी को अंदर से कमजोर कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय इकाई से मिलने वाले चुनावी कोष को उम्मीदवारों को दिए जाने में कुछ भी नया नहीं है, लेकिन संकट इसलिए गहराया है क्योंकि जमीनी स्तर पर होमवर्क के बिना हम किसी भी कीमत पर वैकल्पिक ताकत बनना चाहते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘जमीन पर मौजूदगी के बिना भारी मात्रा में पैसा खर्च किया गया…भाजपा की इस नई संस्कृति में खामियां हैं. सुरेंद्रन को हटा भी देंगे तो क्या होगा? कोई और व्यक्ति इसी मॉडल को आगे बढ़ाएगा क्योंकि ऊपर से कोई नियंत्रण और जवाबदेही नहीं है. हम जानते हैं कि माकपा ने भाजपा को बदनाम करने के लिए एक मामला खोज लिया है, लेकिन पार्टी को अपने आप को सुधारने की जरूरत है.’

‘जन नेता नहीं’

पिछले दो हफ्तों के दौरान जिला समिति की कई बैठकों में भाजपा कार्यकर्ताओं ने चुनावी हार के लिए सुरेंद्रन और मुरलीधरन को निशाना बनाया है और केरल के लिए पूरी तरह एक नए नेतृत्व की मांग की है. हालांकि, भाजपा आलाकमान ने इस मामले पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है.

सुरेंद्रन पर निशाना साध रहे राज्य भाजपा नेताओं का तो यहां तक कहना है कि आरोपों पर पार्टी की जांच केवल एक दिखावा हो सकती है क्योंकि ‘हम सभी जानते हैं कि सुरेंद्रन खेमे को केंद्रीय नेताओं का वरदहस्त हासिल है.’

एक नेता ने कहा, ‘वह जन नेता नहीं हैं और राज्य नेतृत्व में कोई भी बदलाव लूट के मामले को सही साबित करेगा…कि भाजपा ने केरल चुनावों के लिए हवाला के जरिए काले धन का इस्तेमाल किया, जो पूरी पार्टी के लिए शर्मिंदगी की वजह बनेगा. जब तक मामला शांत नहीं होता तब तक एकजुट होकर लड़ना ही एकमात्र तरीका है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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