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Thursday, 19 December, 2024
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केजरीवाल जेल में, AAP में उथल-पुथल, चुनाव नज़दीक आने पर भगवंत मान के लिए इसका क्या मायने हैं?

AAP के शीर्ष नेताओं के सलाखों के पीछे होने से पंजाब के मुख्यमंत्री को मिश्रित संभावनाओं और बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मान की अमित शाह से कथित निकटता से पंजाब पर ‘केंद्र की पकड़ मजबूत हो जाएगी’.

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चंडीगढ़: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को पंजाब के राजनीतिक हलकों में मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए संभावनाओं और बाधाओं का मिश्रण पेश करने वाले घटनाक्रम की तरह देखा जा रहा है.

यह देखते हुए कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) का पूरा शीर्ष नेतृत्व सलाखों के पीछे है, पंजाब के मुख्यमंत्री मान एक अविश्वसनीय स्थिति में हैं जहां उन्हें बिना किसी आदेश या मार्गदर्शन के छोड़ दिया गया है.

पंजाब में केजरीवाल के प्रमुख राघव चड्ढा भी विदेश में अपने प्रवास की अवधि बढ़ा रहे हैं, जिससे उनकी पार्टी के सहयोगी काफी निराश हैं, लेकिन इससे मान को पंजाब में सरकार और पार्टी चलाने के मामले में अधिक स्वायत्तता ही मिली है.

केजरीवाल के परिवार के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मान शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे.

परिवार से मुलाकात के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मान ने कहा कि पार्टी नेतृत्व उन्हें जो भी भूमिका देगा, वे उसे निभाएंगे.

उन्होंने कहा कि वे इंडिया ब्लॉक की विभिन्न बैठकों में भाग लेने के लिए केजरीवाल के साथ रहे हैं और ऐसा करते रहेंगे. मान ने कहा कि वे पंजाब के अलावा अन्य राज्यों में भी इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने जाएंगे.

जहां कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ इसे मान के लिए चुनौती और अवसर दोनों देख रहे हैं, वहीं अन्य ने चेतावनी दी है कि उनके पार्टी संभालने से आगामी संसदीय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा होगा.

कुछ विपक्षी नेताओं ने पंजाब की आप इकाई के पतन की भी भविष्यवाणी की है, जबकि अन्य ने राज्य की आबकारी नीति की जांच की मांग की है, जिसे वे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के तहत दिल्ली शराब नीति की प्रतिकृति कहते हैं.


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‘केंद्र का शिकंजा कसना तय’

पंजाब में आप नेता केजरीवाल की गिरफ्तारी को “प्रतिशोध की राजनीति” बताते हैं.

अमृतसर से आप विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह, जो खुले तौर पर मान के आलोचक रहे हैं, ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी प्रतिशोध की राजनीति का परिणाम है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि वे केजरीवाल के साथ एकजुटता से खड़ा होना चाहते थे, लेकिन वे कोई मदद देने की स्थिति में नहीं थे क्योंकि पार्टी ने उन्हें इतना मजबूत नहीं किया था कि ऐसे संकट में वे किसी काम आ सकें.

सिंह ने लिखा, “जिन्हें आपने मजबूत किया है वे आपके साथ खड़े नहीं होंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन्हें आप अपना करीबी मानते थे, उनमें से कई लोग इस विकास से खुश हैं, लेकिन वे यह सुनिश्चित करेंगे कि वे आपके समर्थन में विरोध का नाटक करें, जो मैं नहीं कर सकता, लेकिन मैं सच्चाई की इस लड़ाई में आपके साथ खड़ा हूं.”

पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर मंजीत सिंह के अनुसार, 10 साल पहले, जब मान चुनावी राजनीति में कदम रखते हुए तीन अन्य सांसदों के साथ लोकसभा में पहुंचे, तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि वे सभी को किनारे कर देंगे और पार्टी आलाकमान के पास उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ेंगे.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “आप पंजाब के हर सशक्त नेता, जिनमें सुच्चा सिंह छोटेपुर, डॉ. धर्मवीरा गांधी, एच.एस. फुल्का, सुखपाल सिंह खैरा और गुरप्रीत घुग्गी को पार्टी से बाहर कर दिया गया. अगर मान चाहें, तो केंद्र में आप का यही हाल हो सकता है, जहां वे दूसरों को बाहर कर देंगे.”

उन्होंने कहा, “आप में ऐसा माहौल बनाया जा सकता है कि मान को पार्टी का नेतृत्व करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा.”

प्रोफेसर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मान और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच कथित निकटता को देखते हुए, “ऐसी भी संभावना है कि भाजपा मान को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहती है”.

इस बीच, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला में राजनीति विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर जतिंदर सिंह ने दिप्रिंट को बताया कि केजरीवाल की अनुपस्थिति में मान को राष्ट्रीय स्तर पर AAP में एक बड़ी भूमिका निभाने का मौका मिलेगा क्योंकि वे एक पूर्ण राज्य के सीएम हैं और पार्टी के शासन के मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए पूरे भारत में उनका प्रचार करना ज़रूरी होगा.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “मेरी राय में अन्य राज्यों में प्रचारक होने के अलावा, मान के पास आप में एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरने की बहुत कम गुंजाइश है. अन्य राज्य पार्टियों के नेताओं के विपरीत, जिन्हें ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जो परिपक्वता के साथ राष्ट्रीय जिम्मेदारी का पद संभाल सकता है, मान उस कद के नेता नहीं बन पाए हैं.”

प्रोफेसर जतिंदर ने कहा, “इसके अलावा, पंजाब के संदर्भ में केजरीवाल की गिरफ्तारी से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा.”

उन्होंने कहा, “केजरीवाल से राज्य में प्रचारक के रूप में प्रमुख भूमिका निभाने की उम्मीद नहीं थी. पंजाब के लोगों में आप के लिए जो शुरुआती दीवानगी थी, वो अब खत्म हो रही है और वे आप को सिर्फ एक अन्य राजनीतिक पार्टी की तरह देखते हैं.”

प्रोफेसर ने कहा, “यह व्यापक रूप से माना जाता है कि पंजाब के शासन में केजरीवाल और दिल्ली के अन्य AAP नेताओं का लगातार हस्तक्षेप है. अब, उस धारणा को आसानी से दूर किया जा सकता है, लेकिन मान को अभी भी इस धारणा के साथ रहना होगा कि केंद्र में उन पर भी केंद्रीय गृह मंत्री का नियंत्रण है. केजरीवाल के चले जाने से केंद्र पर शिकंजा कसना तय है.”

चंडीगढ़ के श्री गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर हरजेश्वर सिंह ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के साथ, दिल्ली में AAP का लगभग पूरा शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया है.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येन्द्र जैन के सलाखों के पीछे होने और राघव चड्ढा के राजनीतिक परिदृश्य से अनुपस्थित रहने से पार्टी में मान की स्थिति मजबूत हो गई है.”

प्रोफेसर हरजेश्वर ने कहा, “वे (मान) अब पंजाब में अपनी इच्छा जताने के लिए स्वतंत्र हैं. पार्टी के एकमात्र करिश्माई नेता और वोट कैचर के रूप में पंजाब, दिल्ली और अन्य हिस्सों में चुनावी मौसम में आप की उन पर निर्भरता और अधिक बढ़ जाती है.”

उन्होंने कहा, “वे इस मौके का उपयोग अपने पसंदीदा लोगों को टिकट देकर पंजाब में पार्टी में अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए कर सकते हैं जैसा कि वे अब तक घोषित आठ सीटों पर पहले ही कर चुके हैं. वे दिल्ली नेतृत्व के प्रभाव को सीमित करके अपने पसंदीदा लोगों को सरकार में शामिल करके खुली छूट का उपयोग भी कर सकते हैं.”

उनकी बात दोहराते हुए कर्नल जे.एस. गिल (सेवानिवृत्त), जो 2014 से कई वर्षों तक आप के साथ निकटता से जुड़े रहे, ने कहा कि केजरीवाल के जेल में रहने से पार्टी में मान की स्थिति बढ़ जाएगी.

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जो परिस्थितियां बनीं हैं, उन्हें मान के लिए एक मौके और चुनौती दोनों के रूप में देखा जा सकता है.

उन्होंने समझाया, “मौका खुद को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के नेता के रूप में स्थापित करने का है. चुनौती यह है कि पंजाब के संबंध में वे जो भी फैसला लेंगे, खासकर चुनाव से पहले के महीनों में वे पूरी तरह से उनकी जिम्मेदारी होगी और वे किसी भी गलत फैसले के लिए केंद्रीय नेतृत्व को दोषी नहीं ठहरा सकते. अब, कोई यह नहीं कह सकता कि दिल्ली में पार्टी का नेतृत्व मान के काम में हस्तक्षेप कर रहा है.”


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विपक्ष की प्रतिक्रियाएं

इस बीच, राज्य में विपक्षी नेता साजिश की अटकलें लगा रहे हैं.

शिरोमणि अकाली दल (SAD) नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने दिप्रिंट को बताया, “मेरे मन में कोई शक नहीं है कि मान अभी नहीं बल्कि लंबे समय से भाजपा के हाथों में खेल रहे हैं. चुनाव के दौरान केजरीवाल की गिरफ्तारी का उद्देश्य स्पष्ट रूप से उन्हें बाहर निकालना है ताकि मान पार्टी पर कब्ज़ा कर सकें.”

शिअद प्रमुख और फिरोज़पुर के सांसद सुखबीर बादल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि “यह केजरीवाल के लिए रस्साकशी का अंत था”.

इस बीच, राज्य में कांग्रेस नेताओं का मानना है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद आप की पंजाब इकाई में फूट पड़ने की वास्तविक संभावना है.

कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने दिप्रिंट से कहा, “आप में बहुत कम नेता मान पर भरोसा करते हैं और उनके नेतृत्व को स्वीकार नहीं करेंगे, खासकर तब जब दिल्ली इकाई अस्थिर हो गई है.”

राज्य में भाजपा नेताओं ने पंजाब की आबकारी नीति को लेकर चिंताओं पर प्रकाश डाला.

शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्य भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा कि उनकी पार्टी पंजाब आबकारी नीति की जांच की मांग करेगी और शनिवार को चुनाव आयोग को एक ज्ञापन देगी. उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली की शराब नीति को पंजाब में शब्दशः दोहराया गया.

जाखड़ ने कहा, केजरीवाल की गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले, पंजाब के मुख्यमंत्री चंडीगढ़ में अपने दोस्तों के साथ टप्पे गा रहे थे और आनंद ले रहे थे. गिरफ्तारी के बाद भी उन्होंने केवल गिरफ्तारी के विरोध में एक वाक्य पोस्ट किया. राघव चड्ढा, जो एक समय पंजाब में सरकार के रोजमर्रा के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे थे, बहुत आसानी से ब्रिटेन चले गए, जहां उनके पोस्ट में कहा गया है कि वे इधर-उधर घूम रहे हैं और जैसा कि दावा किया गया है, उन्हें कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं है.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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