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Friday, 22 November, 2024
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पल-पल बदल रहा है कर्नाटक में नाटक, जेडीएस-कांग्रेस सरकार गिरने की कगार पर

आज कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार रहेगी या नहीं और सरकार के बागी विधायकों पर फैसला अब से कुछ देर में विधानसभा अध्यक्ष फैसला ले सकते हैं. 

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नई दिल्ली: पिछले चार दिनों से कर्नाटक की राजनीति में घमासान मचा हुआ है. आज कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार रहेगी या नहीं और सरकार के बागी विधायकों पर फैसला अब से कुछ देर में विधानसभा अध्यक्ष फैसला ले सकते हैं.

विधायकों के इस्तीफा दिए जाने से कर्नाटक की एचडी कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ गई है. संकट में घिरी जद (एस) और कांग्रेस की गठबंधन सरकार की हालत सोमवार को तब और ज्यादा खराब हो गई, जब निर्दलीय विधायक और लघु उद्योग मंत्री एच. नागेश और केपीजेपी के एकमात्र विधायक और सरकार में मंत्री आर. शंकर ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया.

उधर सरकार बचाने के लिए जद (एस) और कांग्रेस ने बागियों को मंत्री पद की पेशकश की है जिसे कथित तौर पर उन्होंने ठुकरा दिया है. अब सभी नजरें विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश पर टिकी हैं. वह मंगलवार को कांग्रेस के 10 और जद (एस) के तीन विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेंगे.

दोनों पार्टियों में बैठकों का दौर जारी

इस बीच कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने मंगलवार सुबह साढ़े नौ बजे विधायकों की बैठक बुलाई है. बैठक में शामिल होने के लिए विधायक पहुंचने लगे हैं. बता दें कि बैठक में बागी विधायकों को भी शामिल होने के लिए कहा गया है. इसके लिए व्हिप जारी किया गया है. उधर जद (एस) ने भी सोमवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी.

सूत्रों का कहना है कि बैठक बाद कांग्रेस विधायकों को किसी रिसार्ट में भेजा जा सकता है, जिससे भाजपा इन विधायकों को अपने पाले में करने के लिए लुभा न सके.

वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेता बीएस येदियुरप्पा के निवासस्थान पर भी बैठकों का दौर चल रहा है. भाजपा नेता मुरुगेश निरानी, उमेश कट्टी, जेसी मधुस्वामी और के रत्ना प्रभा बैठक में शामिल होने के लिए येदियुरप्पा के घर पहुंच चुके हैं.

अपने अपने विधायकों को छुपाने में जुटी है पार्टी

सूत्रों ने कहा कि मुंबई के एक होटल में ठहरे कांग्रेस विधायकों ने मंत्री पद की पेशकश ठुकरा दी है. उनका कहना है कि अब काफी देर हो चुकी है और वे भाजपा में शामिल होंगे. सूत्रों ने कहा कि वे मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष से मिलने बेंगलुरू लौट सकते हैं और मीडिया से बात कर सकते हैं.

राज्य में राजनीतिक संकट के मद्देनजर अमेरिका दौरा बीच में छोड़कर स्वदेश लौटे जद (एस) और कांग्रेस गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सभी मंत्रियों के इस्तीफे करवाकर सरकार बचाने का आखिरी दांव चला है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है और संकट का हल निकाल लिया जाएगा.

नागेश ने शहर के मध्य स्थित राजभवन में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा. उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि वह 13 महीने पुरानी सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं.

नागेश ने पत्र में लिखा, ‘इस पत्र के माध्यम से आपको यह भी सूचित करना चाहूंगा कि मैं कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले रहा हूं.’

नागेश कोलार जिले की मुलबगल (अनुसूचित जाति) विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक के तौर पर निर्वाचित हुए थे.

नागेश को बमुश्किल एक महीने पहले ही 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था. उनके साथ क्षेत्रीय पार्टी केपीजेपी (कर्नाटक प्रज्ञावंतारा जनता पक्ष) के आर. शंकर को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, ताकि दिसंबर से ही बगावत पर उतारू कांग्रेस के लगभग दर्जन भर विधायकों की धमकी से उत्पन्न खतरे से गठबंधन सरकार को बचाया जा सके.

कांग्रेस के मंत्रियों ने अपना इस्तीफा कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया को सौंप दिया, ताकि दर्जन भर बागी विधायकों के इस्तीफा वापस लेने और उन्हें मंत्री बनाए जाने का रास्ता साफ हो सके, और गठबंधन सरकार को 12 जुलाई से शुरू हो रहे 10 दिवसीय मॉनसून सत्र से पहले गिरने से बचाया जा सके.

पल पल बदल रहा है कर्नाटक में नाटक

यह दूसरा मौका है, जब नागेश और रन्नेबेन्नूर सीट से विधायक शंकर ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस लिया है. इससे पहले उन्होंने 22 दिसंबर को मंत्री पद से हटाए जाने के बाद 15 जनवरी को सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार के संकट के लिए भाजपा पर आरोप लगाया है.

कांग्रेस विधायक डी.के. सुरेश ने संवाददाताओं से कहा, ‘राज्य में इस राजनीतिक संकट के पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय नेताओं का हाथ है. वे किसी भी राज्य में कोई सरकार या किसी विपक्षी दल की सरकार नहीं चाहते हैं. वे लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं.’

भाजपा के नेताओं ने इस आरोप पर पलटवार किया है.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा, ‘कर्नाटक में राजनीतिक संकट से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है.’

उल्लेखनीय है कि इस्तीफे से पहले 225 सदस्यीय विधानसभा में गठबंधन के पास 118 विधायकों का समर्थन था, यह बहुमत के आंकड़े 113 से पांच ज्यादा है. इनमें विधानसभा अध्यक्ष को छोड़कर 78 कांग्रेस के, जद (एस) के 37 और बसपा एवं कर्नाटक प्रज्ञंयवंता जनता पार्टी (केपीजेपी) के एक-एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे.

गठबंधन सरकार में 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में कांग्रेस से 22, जद (एस) से 10, केपीजेपी के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल थे.

राज्य विधासभा का 10 दिवसीय मॉनसून सत्र 12 जुलाई से शुरू होने वाला है.

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