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Sunday, 28 April, 2024
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कर्नाटक संकट : राज्यपाल की नई डेडलाइन, सीएम 6 बजे तक साबित करें बहुमत

सदन की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. जेडीएस-कांग्रेस सरकार पर अनिश्चितता अब और बढ़ गई है.

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बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार के बहुमत परीक्षण का समय बढ़ता जा रहा है लेकिन संकट जस का तस बना हुआ है. विधानसभा में बहुमत परीक्षण के लिए शुक्रवार को दी गई पहली डेडलाइन खत्म होने के बाद राज्यपाल ने नई डेडलाइन दी है. अब सीएम एचडी कुमारस्वामी को 6 बजे सदन में बहुमत साबित करने को कहा गया है. नई डेडलाइन के पहले सदन को 3 बेज तक के लिए स्थगित किया था.

कर्नाटक मसले पर कांग्रेस के प्रेसीडेंट दिनेश गुड्डू राव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने याचिका में दावा किया है कि एससी का आदेश (विद्रोही विधायकों पर) अपने विधायकों को व्हिप जारी करने के पार्टी के अधिकार का उल्लंघन करता है.

वहीं इससे पहले विश्वास मत पर कोई फैसला न हो पाने के कारण सदन की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी.

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वहीं मामले को लेकर कर्नाटक के स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कहा, ‘राज्यपाल का आदेश माना गया या नहीं यह सीएम को तय करना था क्योंकि पत्र उन्हें भेजा गया था.’

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने कहा कि विश्वासमत पर बहस पूरी नहीं हो सकी है. अभी भी 20 सदस्यों की बहस होनी बची है. सिद्धारमैया ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि आज यह बहस खतम हो पाएगी यह सोमवार को भी चलती रहेगी.

कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी ने रवन्ना (राज्यमंत्री और सीएम के भाई) पर काले जादू से बचने के लिए नींबू लेकर चलने का आरोप का जवाब देते हुए कहा कि आप (बीजेपी) हिंदू संस्कृति में यकीन करते हैं लेकिन आप उन पर आरोप लगाते हैं कि वह नींबू लेकर चलते हैं और मंदिर जाते हैं. उन्होंंने सवाल किया कि क्या काले जादू से सरकार को बचाना भी संभव है?

इससे पहले कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी को शुक्रवार को दोहपर 1.30 बजे तक विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा था. राज्यपाल के इस निर्देश के बाद कर्नाटक में 13 महीने पुरानी कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर गठबंधन सरकार के सामने परीक्षा की घड़ी है. गुरुवार रात जहां भाजपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में धरना दिया और रात परिसर में गुजारी.

वहीं सुबह उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर और विधायक सुरेश कुमार ने विधानसभा परिसर में ही नाश्ता किया. जी परमेश्वर ने परिसर में विधायकों के नाश्ता कराए जाने पर कहा कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम धरना पर बैठे विधायकों के लिए खाना लाएं. इन विधायकों में से कुछ मधुमेह और बल्डप्रेशर के मरीज हैं. राजनीति से इतर हमलोग दोस्त हैं और यही प्रजातंत्र की खूबसूरती है. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विधानसभा के सत्र शुरू होने से पहले पार्टी विधायकों की मीटिंग भी बुलाई है.

दिनभर चली खींचतान, बहुमत साबित करने का मिला समय

राज्यपाल ने गुरुवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शुक्रवार दोपहर 1.30 बजे तक विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने को कहा. इससे पहले कर्नाटक विधानसभा को गुरुवार को सत्तारूढ़ कांग्रेस-जद (एस) व विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के विश्वास मत प्रस्ताव पर देरी करने को लेकर हंगामे के बाद विधानसभा को 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया. बाद में शाम में इसे शुक्रवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

हालांकि दिन में मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी ने अपनी गठबंधन सरकार का सदन में बहुमत साबित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया. विधानसभा अध्यक्ष के.आर.रमेश कुमार ने सदस्यों से कहा, ‘मैं सदन को 30 मिनट के लिए स्थगित करता हूं, ऐसा भाजपा के शक्ति परीक्षण की मांग के अव्यवस्था के कारण है और कांग्रेस बिना चर्चा के इसका विरोध कर कर रही है.’

इस दौरान सत्तारूढ़ सहयोगी दल के विधायक सदन के वेल में जमा हो गए थे.

कुमारस्वामी ने सुबह 11 बजे विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया और इस पर बोलना शुरू किया. कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) नेता सिद्धारमैया ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से एक बिंदु उठाया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया कि सत्तारूढ़ सहयोगी के 15 बागी विधायक सत्र में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं है और पार्टी व्हिप उन पर लागू नहीं होगा.

सिद्धारमैया ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए समय लिया और दूसरी पार्टी के सदस्यों ने इसमें समय लिए जाने पर दखल दिया. स्पष्ट रूप से इससे विश्वास मत परीक्षण में देरी हो रही थी. बहुत से भाजपा सदस्यों ने सत्तारूढ़ सहयोगी दल के समय गंवाने की इस युक्ति का विरोध किया. भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष से तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का आग्रह किया. विश्वास मत परीक्षण में देरी हो रही थी और इसके बाद सदन दो दिन के सप्ताहांत के बाद सोमवार को शुरू होगा.

करीब 20 विधायकों, जिसमें 15 बागी, दो कांग्रेस सदस्य श्रीमंत पाटिल व बी.नागेंद्र, दो निर्दलीय (आर.शंकर व एच.नागेश) व एक बसपा (एन.महेश) विधायक के विधानसभा से दूर रहने के साथ भाजपा सदस्यों ने सत्तारूढ़ सहयोगियों पर हार के डर से जानबूझकर विश्वासमत परीक्षण में देरी करने का आरोप लगाया.

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