नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों में भाजपा से कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद मध्य प्रदेश सरकार पर खतरा मंडराता दिख रहा है. राज्य के सीएम कमलनाथ ने असंतुष्ट विधायकों से निपटने के लिए एक फार्मूला इजाद किया है. इसके तहत मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है. एक मंत्री अपने क्षेत्र के पांच-पांच विधायकों को संभाले और उनकी समस्याओं पर गौर करे और उनका तुरंत समाधान करे. जिससे पार्टी के विधायकों में किसी तरह का असंतोष न पनप पाए. वहीं अब से संभाग और जिलों में तबादलों पर विधायकों से राय मशविरा किया जाएगा.
इधर, कांग्रेस सरकार की अस्थिरता को लेकर उठ रहे सवाल के बीच सीएम कमलनाथ ने दावा किया है कि उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है. वह स्थिर है. हम पहले भी फ्लोर टेस्ट दे चुके हैं. विपक्ष चाहे तो हम अब भी इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं.
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विश्वस्त सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद राज्य में चल रहे उठापठक के महौल के बाद हाल ही में सीएम कमलनाथ ने विधायकों की बैठक की. इसमें उन्होंने सभी से एक एकजुट रहने को कहा. इसके लिए विधायकों की समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिए तय समयसीमा में कार्रवाई का मंत्रियों को निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के एक-एक मंत्री को पांच-पांच विधायकों की समस्याओं और उनके द्वारा उठाए जाने वाले मसलों के त्वरित निराकरण के निर्देश दिए. निर्दलीय और सपा, बसपा विधायकों से सीएम सीधे संपर्क में रहेंगे. इससे फायदा यह होगा कि राज्य में किसी भी विधायक में असंतोष नहीं फैलेगा और किसी भी तरह का कोई संकट आता है तो मंत्रियों द्वारा यह बात सीधे सीएम तक पहुंच जाएगी. इससे विधायकों को संतुष्ट करना और संभालना आसान होगा.
दरअसल, राज्य के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर चुके हैं. वह सरकार के भविष्य पर लगातार सवाल उठा रहे हैं. इसके अलावा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांग चुके हैं.
निर्दलीय विधायक रमाबाई का आरोप 50 करोड़ का प्रलोभन
राज्य में कई विधायक भाजपा की ओर से प्रलोभन मिलने के आरोप भी लगा चुके हैं. दमोह जिले की पथरिया विधानसभा सीट से बसपा विधायक राम बाई ने सोमवार को आरोप लगाया कि उन्हें भाजपा की ओर से 50 करोड़ रुपये और मंत्री पद की पेशकश की गई है, लेकिन वह कमलनाथ सरकार के साथ हैं. 230 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 114 और भाजपा के 109 विधायक हैं. कांग्रेस सरकार बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से बनी है. भाजपा की नजर निर्दलीय, बसपा और सपा के विधायकों पर है.
राज्य में मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिलने के बाद सरकार के अस्थिर होने के कयास लगाए जाने लगे हैं. खबर थी कि कांग्रेस के कुछ विधायक भाजपा के संपर्क में हैं.