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Tuesday, 19 November, 2024
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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने थामा भाजपा का दामन, जेपी नड्डा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी में शामिल होने के बाद कहा, 'मैं नड्डा साहब, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद करना चाहूंगा.'

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को आखिरकार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. उन्हें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी में शामिल होने के बाद कहा, ‘मैं नड्डा साहब, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद करना चाहूंगा.’

जेपी नड्डा ने सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर कहा, ‘भाजपा की विचारधारा को बढ़ाने में राजमाता सिंधिया का बड़ा योगदान रहा है. हमारे लिए राजमाता आदर्श हैं. हमारे लिए खुशी की बात है कि उनके पौत्र भाजपा में शामिल हुए हैं. ज्योतिरादित्य का पार्टी में आना हमारे परिवार में शामिल होना है. मैं इन्हें विश्वास दिलाता हूं कि आपको मुख्यधारा में रहकर काम करने का मौका मिलेगा.’

इस दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ विनय सहस्त्रबुद्धे, अनिल जैन, मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय धर्मेंद्र प्रधान, बैजयंत पांडा मौजूद रहे. भाजपा नेता बैजयंत पांडा ने सिंधिया का भाजपा मुख्यालय में स्वागत किया.

सूत्रों के अनुसार, भाजपा में आने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को उचित सम्मान दिया जाएगा जिसके लिए वो कांग्रेस पार्टी में संघर्ष कर रहे थे. भाजपा सिंधिया को मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेज सकती है. वहीं उन्हें संसद सत्र के बाद होने वाले कैबिनेट विस्तार में जगह भी दी जा सकती है.

सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बीच कांग्रेस का दावा है कि कांग्रेस सरकार विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करेगी और उन्हें पार्टी के बागी और निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है. वहीं बंगलुरु गए विधायक भी कांग्रेस के साथ हैं. वहीं कांग्रेस नेता शोभा ओझा ने दावा किया है कि कुछ भाजपा के विधायक भी हमारे संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि जो विधायक सिंधिया के साथ गए हैं वह समझ रहे हैं कि एक व्यक्ति की महत्वकांशा के चलते उन सभी के भविष्य भी दांव पर है.

वहीं भाजपा के सभी 107 विधायक भोपाल से गुरुग्राम पहुंच चुके हैं. पार्टी ने उन्हें यहां एक होटल में ठहराया है. इसके अलावा कांग्रेस के विधायक और कुछ निर्दलीय विधायक भी भोपाल से जयपुर के लिए रवाना हो गए हैं.

इस बीच मध्य प्रदेश कांग्रेस ने एक कविता ट्वीट की है. जिसमें लिखा है, ‘घर छोड़कर मत जाओ, कहीं घर नहीं मिलेगा’.

प्रधानमंत्री से मिलने के बाद लिया कांग्रेस छोड़ने का फैसला

ज्योतिरादित्य सिंधिया की मंगलवार को गुजरात भवन में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई. इसके बाद वे पीएम निवास लोक कल्याण मार्ग पहुंचे थे. यहां करीब एक घंटे तक तीनों नेताओं की बैठक चली. बैठक के बाद अमित शाह और सिंधिया एक ही कार में निकले. जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा दे दिया.


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विधानसभा चुनाव के पहले से थे कांग्रेस से नाराज़

विधानसभा चुनाव के पहले से ही राज्य में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद को लेकर खींचतान चल रही थी. लेकिन हाईकमान ने कमलनाथ पर भरोसा जताया. वहीं सिंधिया का प्रचार के मुख्य चेहरे के रूप में इस्तेमाल किया. जब राज्य में सत्ता मिली तो सिंधिया फिर पिछड़ गए. कमलनाथ को राज्य की बागडोर सौंप दी गई.

ऐसी अटकलें थी कि कांग्रेस उन्हें राज्य में उपमुख्यमंत्री बना सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी पारंपरिक सीट गुना से भी सिंधिया हार गए. इसके बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष पद पर उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई.

हाल ही में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से नाराज़गी के चलते अपने ट्विटर प्रोफाइल से भी कांग्रेस का नाम हटा दिया था. जिसके बाद केवल जनसेवक और क्रिकेट प्रेमी ही लिखा रह गया.

वहीं कांग्रेस के घोषणा पत्र की मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने सड़क पर उतरने की चेतावनी भी दी थी. इसके बाद कमलनाथ ने जवाब दिया था कि ऐसा है तो वह उतर जाएं. इसके बाद से ही दोनों के बीच खींचतान की खबरें आने लगी थी.

हाल ही में राज्यसभा चुनावों में भी सिंधिया के नाम को लेकर गुटबाज़ी चरम पर थी. इसी को लेकर वे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से नाराज़ चल रहे थे.

पिता की मौत के बाद संभाली विरासत

ज्योतिरादित्य सिंधिया को राजनीति अपनी विरासत में मिली है. उनके पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस पार्टी के बड़े नेता रहे हैं. वहीं उनकी दोनों बुआ वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे भी राजनीति में सक्रिय हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की मौत 2001 में एक विमान हादसे में हो गई थी. इसके बाद सिंधिया ने राजनीति में कदम रखा.


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2002 में उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट गुना से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इसके बाद वे 2004, 2009 और 2014 में भी सांसद बने. वे कांग्रेस की सरकार के दौरान केंद्र में कई अहम पदों पर मंत्री भी रहे. 2019 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश में कोई बड़ा पद देने की बजाए कांग्रेस महासचिव बना दिया था.

अपने 18 साल के राजनीतिक करिअर में सिंधिया 17 साल सांसद रहे. इस दौरान वे दो बार केंद्रीय मंत्री भी रहे चुके हैं. इसके अलावा लोकसभा में वे पार्टी के मुख्य सचेतक की भी भूमिका निभा चुके हैं. कांग्रेस छोड़ने से पहले उनके पास पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के प्रभारी का दायित्व भी था. सिंधिया पार्टी के कार्यसमिति के सदस्य भी थे. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उन्हें चुनाव अभियान प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी थी.

1 जनवरी 1971 को जन्में सिंधिया ने 1993 में हार्वर्ड विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स की डिग्री ली है. 2001 में सिंधिया ने स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिज़नेस से एमबीए की डिग्री ली. वहीं 1994 में सिंधिया की शादी बड़ौदा के गायकवाड़ राजघराने की प्रियदर्शिनी राजे से हुई है.

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