रायपुर: छ्त्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के देहांत के बाद खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट का उपचुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए एक बड़ी चुनौती बनने जा रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसकी गंभीरता को देखते हुए मरवाही उपचुनाव को ‘टारगेट 70’ का नाम दे दिया है.
हालांकि, यहां यह देखना दिलचस्प होगा कि पिछले पांच चुनावों यानी 25 वर्षों से जोगी परिवार की यह सीट किस करवट बैठती है तब जब मरवाही उपचुनाव में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस पार्टी के कैंडिडेट अजित जोगी के बेटे अमित जोगी ही रहेंगे.
राजनीति के जानकारों का यह भी कहना है कि मरवाही विधानसभा सीट पिछले 5 चुनावों में जोगी परिवार से बाहर नही गई, लेकिन इस उपचुनाव को और खासकर इस सीट को बघेल की साख से जोड़ कर देखा जा रहा है.
बघेल अपने व्यक्तिगत राजनीतिक कद को बढ़ाने और विरोधियों को शांत करने के लिए एक बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के नेता भी कह रहे हैं कि मरवाही उपचुनाव बघेल के लिए एक तीर से कई शिकार करने वाला साबित होगा लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री का यह गढ़ फतह करना आसान नही है.
कांग्रेसी नेताओं के अनुसार भूपेश बघेल के नेतृत्व में यदि कांग्रेस मरवाही उपचुनाव जीत लेती है तो उनका राजनीतिक कद राष्ट्रीय स्तर पर ही नही बढ़ेगा बल्कि कांग्रेस हइकमान के सामने उनकी ‘बारगेनिंग पावर’ काफी बढ़ जाएगी. इसका सीधा अर्थ होगा कि आने वाले तीन साल उनका शासन बेरोकटोक चलता रहेगा. पार्टी के अंदर उनके खिलाफ उठने वाली आवाज हमेशा के लिए शांत हो जाएंगी.
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मरवाही उपचुनाव बघेल के लिए क्यों है अहम
बघेल के लिए अजीत जोगी हमेशा ही एक राजनीतिक मोहरा रहे है. कांग्रेस में बघेल के समर्थक भी यह मानते है कि उनके द्वारा अजीत जोगी का लगातार विरोध करना और जोगी का कांग्रेस से निष्कासन के बाद 2018 विधान सभा चुनाव में पार्टी की भारी जीत ने उनके मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को मजबूत बना दिया था.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा,’ भूपेश बघेल हमेशा से यह कहते हैं कि जोगी और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह की सांठगांठ के कारण कांग्रेस 15 साल तक सत्ता से बाहर रही.’
हालांकि बघेल का आरोप कांग्रेस की 2018 के विधानसभा चुनाव में हुई जीत से काफी हद तक साबित हो गया. करीब 15 साल तक विपक्ष में रहने के बाद पार्टी ने पहली बार चुनाव जोगी के बिना लड़ी और 90 सीटों वाली विधानसभा में 67 सीट के साथ भारी बहुमत से जीत हासिल की उसके बाद चित्रकूट और जगदलपुर उपचुनाव में भी कांग्रेस ने ही बाजी मारी और यह 67 का आंकड़ा 69 पर पहुंच गया.
इस नेता ने आगे बताया, ‘इसी कड़ी में बघेल के लिए अपने इस आरोप को और पुख्ता करने का मरवाही उपचुनाव से बड़ा मौका नही मिल सकता. यही कारण है कि बघेल ने इस विधानसभा उपचुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी हैं. और वो खुद मरवाही के पार्टी कार्यकर्ताओं से जुड़ गए हैं और निर्देश दे रहे है.’
भूपेश बघेल को है इसका एहसास
पार्टी के नेताओं का मानना है कि मुख़्यमंत्री का हालिया बयान कि कांग्रेस मरवाही उपचुनाव हर हाल में जीतेगी उनकी गंभीरता को दर्शाता है. पार्टी के एक पूर्व प्रवक्ता और विधायक कहते है ‘बघेल के लिए यह चुनाव जीतना सिर्फ राजनीतिक चुनौती नही है बल्कि उनके साख के लिए भी जरूरी है.
पार्टी के प्रवक्ता दिप्रिंट से खास बातचीत में कहते हैं, ‘ बघेल जोगी परिवार के बड़े आलोचक माने जाते है. कांग्रेस यदि चुनाव हारती है तो यह मुख्यमंत्री के लिए व्यक्तिगत हार भी होगी और संगठन में उनके आलोचक और भी मुखर हो जाएंगे. यही कारण है कि सीएम ने अपने समर्थकों के मरवाही उपचुनाव में जीत को ‘टारगेट 70′ का नारा दिया है.’
हालांकि प्रदेश कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता धनंजय ठाकुर ने बताया, ‘मरवाही विधानसभा सीट भले अजीत जोगी और उनके परिवार के पास ही रही है लेकिन यहां मतदाता परंपरागत तौर पर कांग्रेस पार्टी का है. अजीत जोगी की पहचान भी कांग्रेस पार्टी से ही थी.’
ठाकुर आगे कहते हैं, ‘यहां तक की 2018 के चुनाव में जोगी की जीत उनके कांग्रेसी पृष्टभूमि के कारण ही हुई थी. लेकिन भपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने आनेवाले उप चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दिया है. कांग्रेस की जीत निश्चित है. टारगेट 70 पूरा जरूर होगा.’
अमित जोगी हैं बघेल की चुनौती
दिप्रिंट से बात करते हुए छ्त्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह कहते हैं, ‘कोई कुछ भी कहता रहे या फिर करता रहे, मरवाही उपचुनाव में पार्टी के कैंडिडेट अमित जोगी ही रहेंगे. मरवाही विधानसभा में आज भी जोगी परिवार वहां वोटर के दिलो दिमाग में रहता है. 2018 में भी जब कांग्रेस ने प्रदेश में 67 सीट जीता था तब भी मरवाही पर जोगी का कब्जा बरकरार था. उपचुनाव में नतीजा 2018 वाला ही होगा.”
वही राज्य के राजनीतिक जानकारों का कहना हैं कि मरवाही विधानसभा अमित जोगी का पैतृक क्षेत्र होने के कारण परिवार की जनता में पूरी पैठ है. वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है,’ जोगी परिवार का इस विधानसभा में पैठ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच चुनावों में मरवाही विधानसभा इनके पास ही बरकरार है.’
शर्मा आगे कहते हैं, ‘इसका प्रमुख कारण दिवंगत अजीत जोगी का अपना राजनीतिक कद और स्थानीय जनता में उनकी पकड़ थी. लेकिन परिवार पहली बार मरवाही चुनाव अजीत जोगी के बिना ही लड़ेगा जिसका फायदा बघेल को मिल सकता है. वहां कांग्रेस की जड़ें तो हैं लेकिन सत्तारूढ़ दल को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी.’
बता दें कि पिछले 18 महीनों में राज्य में हुए दो विधानसभा उपचुनाव और स्थानीय निकाय चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में ही हैं जिससे बघेल के दावों को भी कमजोर नही आंका जा सकता है.’
जोगी परिवार की व्यक्तिगत पकड़ के अलावा इस उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी और मुख्यमंत्री को कांग्रेस में भीतरघात से भी लड़ना पड़ेगा. पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा जो भूपेश बघेल सरकार से उनको तरजीह न मिलने के कारण नाराज चल रहा है.
पार्टी के एक वरिष्ठ विधायक ने दिप्रिंट से एक अनौपचारिक बातचीत में कहा,’ मुख्यमंत्री से नाराज चल रहे नेताओं का एक बड़ा वर्ग है जो समय पर अपना रंग दिखाएगा.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘कुछ ऐसे नेता राज्य में बोर्ड, निगम, परिषद जैसे संस्थाओं में होने वाली नियुक्तियों के इन्तजार में हैं. यदि उन्हें इन नियुक्तियों में जगह नहीं मिली तो मरवाही उपचुनाव में भितराघात तय है.’
लेकिन ठाकुर इस बात को नकारते हुए कहते हैं, ‘पार्टी के अंदर भूपेश बघेल के नेतृत्व में हर पार्टी कार्यकर्ता और नेता एक है. इसका परिणाम चुनाव में दिखेगा’.
भाजपा भी कांग्रेस नहीं बघेल को हराना चाहती है
राजनीतिक विश्लेषक और भाजपा के नेताओं का कहना है कि मरवाही उपचुनाव में पार्टी अपने उम्मीदवार की जीत से ज्यादा फोकस सत्तारूढ़ दल की हार पर करेगी. इसके लिए भाजपा को यदि छ्त्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के तय उम्मीदवार अमित जोगी के खिलाफ डमी उम्मीदवार भी देना पड़ा तो पार्टी वैसा ही करेगी.
शर्मा कहते हैं, ‘भाजपा की स्ट्रैटजी का यह एक पहलू हो सकता है लेकिन यदि उसे लगा की कांग्रेस और जोगी के बीच टक्कर बराबर की हो सकती है तो पार्टी यह उपचुनाव जीतने के लिए लड़ेगी. फिर भी प्रदेश भाजपा की मंशा कांग्रेस से ज्यादा भूपेश बघेल को हराने की होगी.’
वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने का कहना है कि भाजपा कांग्रेस और भूपेश बघेल दोनों को हराने के लिए चुनाव लड़ेगी न की किसी की मदद करने के लिए. हमे जोगी परिवार और कांग्रेस के बीच होनेवाले संग्राम का पूरा एहसास हैं लेकिन मरवाही उपचुनाव में जीत भाजपा की ही होगी, यह पूरा देश देखेगा.’
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मरवाही और जोगी
करीब 2 लाख मतदाता वाली मरवाही विधानसभा आदिवासी और दलित बाहुल्य एसटी आरक्षित सीट है. राज्य बनने के बाद मरवाही विधानसभा क्षेत्र में अबतक 5 चुनाव हो चुके हैं.
राज्य बनने के बाद यहां अभी तक पांच चुनाव हुए हैं और इन पांचों चुनावों को जीतने वाले अजीत जोगी या फिर उनके परिवार के सदस्य ही रहे हैं. मुख़्यमंत्री बनने के जोगी ने 2000 में तत्कालीन भाजपा विधायक रामदयाल उइके को तोड़कर 2001 में उपचुनाव लड़ा और विधानसभा में पहुंचे. उस समय मध्यप्रदेश प्रदेश से अलग हुए छ्त्तीसगढ़ राज्य में विधायकों के आधार पर कांग्रेस की अंतरिम सरकार बनी थी.
इसके बाद 2003 में हुए पहले और 2008 में दूसरे विधानसभा चुनाव में जोगी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीते. लेकिन 2013 में जोगी ने कांग्रेस के टिकट पर मरवाही से अपने बेटे अमित जोगी को लड़ाया और यह सीट एक बार फिर उनके परिवार के पास ही रही.
लेकिन 2016 में अमित जोगी के कांग्रेस से निष्कासन के बाद जोगी ने कांग्रेस पार्टी से अपना संबंध तोड़ लिया और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) नाम से एक नई पार्टी बनाई. 2018 का मरवाही विधानसभा चुनाव जोगी ने जेसीसी उम्मीदवार के रूप में लड़ा और एक बार फिर जीते.