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Friday, 26 April, 2024
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किसान आंदोलन के फंदे में फंसी JJP, हरियाणा में फिर से अपने पैर जमाने में जुटी इनेलो

राज्य के किसान इनेलो से अलग हुए एक धड़े से बनी जेजेपी से नाराज चल रहे हैं, क्योंकि उसने कृषि कानूनों पर उनके आंदोलन के बावजूद सत्तारूढ़ भाजपा के साथ अपना गठबंधन जारी रखा है.

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चंडीगढ़: हरियाणा में किसानों के आंदोलन के एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में तब्दील होने के साथ ही जननायक जनता पार्टी (जजपा, जेजेपी), जो राज्य में भाजपा के साथ सत्ता में साझेदारी कर रही है, को एक नई दुविधा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इसकी मूल पार्टी, इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने के लिए किसानों के इन विरोध प्रदर्शनों को भुनाने की कोशिश कर रही है.

भाजपा के साथ इस गठबंधन में बने रहने पर पार्टी को जिन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, उसकी एक झलक पार्टी को पहले ही मिल चुकी है. गुरुवार को जब जेजेपी प्रमुख अजय चौटाला अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करने पानीपत पहुंचे तो विरोध कर रहे किसानों ने उन्हे काले झंडे दिखाए.

किसान यह मांग कर रहे हैं कि उनके बेटे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को उनके आंदोलन के समर्थन में सरकार से इस्तीफा दे देना चाहिए.

उसी दिन बाद में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, एक स्पष्ट रूप से परेशान दिख रहे अजय चौटाला किसानों और विपक्षी दलों पर यह कहते हुए बरस पड़े कि अगर दुष्यंत के इस्तीफे से तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द कर दिया जाएगा, तो वह ऐसा करने को तैयार हैं. उन्होने सवालिया लहजे कहा, ‘लेकिन दुष्यंत को इस्तीफा क्यों देना चाहिए? क्या उसने इस तीन कानूनों पर हस्ताक्षर किए है?’ अजय ने अपनी पार्टी द्वारा किसानों के पक्ष में किए गए विभिन्न उपायों को भी विस्तार से पेश किया.

इनेलो के एक टूटे हुए धड़े से निकली जेजेपी मुख्य रूप से जाट किसानों की एक पार्टी है, जिसका मुख्य मतदाता-आधार कृषि प्रधान क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण है. हरियाणा में किसान संघों ने जेजेपी की भाजपा के साथ सत्ता की साझेदारी करने का कड़ा विरोध किया है, लेकिन दुष्यंत ने एक सोचा-समझा जोखिम उठाते हुए फिलहाल इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है.

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उनके करीबी सहयोगियों ने पहले ही दिप्रिंट को बताया था कि अगर किसानों के आंदोलन के कारण जेजेपी अपने कृषक मतदाताओं का समर्थन खो भी देती है, तो भी इसका सिर्फ़ एक छोटा सा हिस्सा ही इनेलो अथवा भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस को मिल पाएगा.


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किसानों के गुस्से को भुनाना चाहती है इनेलो

इनेलो जेजेपी के खिलाफ किसानों के गुस्से को भुनाने की फिराक में है.

पांच बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला, जो अजय और अभय चौटाला के पिता भी हैं, ने उस वक्त अपने छोटे बेटे अभय का साथ दिया था जब दोनों भाइयों के बीच 2018 में पार्टी में वर्चस्व को लेकर लड़ाई चल रहा थी. इसी के कारण पार्टी में दो फाड़ वाला विभाजन हुआ था.

लेकिन 2019 के विधानसभा चुनावों में जेजेपा ने हरियाणा की 90-सदस्यीय विधानसभा में 10 सीटें हासिल कर राजनीतिक हलकों में सभी को चौंका दिया था. दूसरी ओर इनेलो सिर्फ एक सीट पर सिमट गया था और अभय चौटाला ने एलेनाबाद में अपनी सीट बरकरार रखी थी. बाद में उन्होंने कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए इस्तीफा दे दिया.

लेकिन अब पुराने दिग्गज ओम प्रकाश चौटाला ने इनेलो को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है.

एक शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद दस साल की सजा काट रहे 86- वर्षीय चौटाला को अंततः इस जुलाई में जेल से रिहा कर दिया गया और इसके बाद उन्होने पूरे राज्य का दौरा किया है.

सबसे पहले उन्होंने किसानों के साथ, जो अब जेजेपी से नाराज चल रहे हैं, अपनी पार्टी के संबंधों को पुनर्जीवित करना चाहा. अपनी रिहाई के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस चौटाला सीनियर ने कहा था, ‘मैं सबसे पहले प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिलने जाऊंगा.’

उसके बाद चौटाला ने अपने पिता और पूर्व उप प्रधान मंत्री देवीलाल की जयंती के अवसर पर 25 सितंबर को जींद में ‘सम्मान दिवस’ नाम से एक रैली की घोषणा की.

तीसरे मोर्चे के निर्माण पर आम सहमति तैयार करने के उद्देश्य से विपक्ष के सभी राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को इस रैली में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है. घरेलू मोर्चे पर इस कदम का उद्देश्य देवीलाल की विरासत को पुनः प्राप्त करना है.

इन दिनों 86 वर्षीय ओम प्रकाश चौटाला पूरे राज्य भर में यात्रा करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं और उन लोगों को वापस लाने का प्रयास कर रहे हैं जो जेजेपी में शामिल होने के लिए बाहर चले गए थे. हाल फिलहाल में इसी तरह की एक नवीनतम बैठक, जिसे ‘कार्यकर्ता मिलन सम्मेलन’ कहा जाता है, 12 सितंबर को चरखी दादरी में आयोजित की गई थी.


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जेजेपी ने जवाब दिया, बंधन में बंध गया

एक ऐसी स्थिति में फंसने के बाद जहां दुष्यंत न तो अपना पद छोड़ सकते हैं और न ही अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने का आदेश दे सकते हैं, अजय चौटाला ने भी अगस्त के पहले सप्ताह में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने के उदेश्य के साथ पूरे राज्य का ताबड़तोड़ दौरा शुरू किया और एक निर्वाचन क्षेत्र-वार सदस्यता अभियान शुरू किया गया. यह घोषणा की गई है कि जेजेपी प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में 500 प्रतिबद्ध और सक्रिय कार्यकर्ताओं को शॉर्टलिस्ट करेगी.

गुरुवार को पानीपत में हुई बैठक के बाद उन्होंने कहा कि, ‘जेजेपी के 45,000 कार्यकर्ता हमेशा सक्रिय रहेंगे और आम जनता की शिकायतों को सरकार के सामने लाएंगे.‘

अजय चौटाला ने यह भी घोषणा की है कि जेजेपी भी देवीलाल की जयंती को बड़े पैमाने पर मनाएगी लेकिन किसी रैली की योजना नहीं बनाई गई है.

इसके बजाय, जेजेपी विभिन्न जिलों में देवीलाल की प्रतिमाओं पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेगी जबकि मेवात में एक नई प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा.

इस बारे में बताते हुए अजय चौटाला ने गुरुवार को कहा, ‘स्वर्गिय देवीलाल की 108वीं जयंती के उपलक्ष्य में मेवात में उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की जा रही है. इस समारोह के लिए हर निर्वाचन क्षेत्र से 108 कार्यकर्ताओं को भेजा जाएगा.’

हालांकि अभय चौटाला इस सबसे कतई प्रभावित नहीं लगते. दिप्रिंट से बातचीत में अभय ने कहा. ‘पहले उन्होंने (जेजेपी) कहा था कि वे हजारों कार्यकर्ताओं के साथ हर जिले में एक समारोह करेंगे. अब उन्होंने कार्यकर्ताओं की संख्या को प्रति निर्वाचन क्षेत्र 108 तक सीमित कर दिया है. क्या ऐसा इसलिए है कि उनके पास कोई कार्यकर्ता ही नहीं बचा है? जल्द ही पूरी पार्टी केवल 108 लोगों तक सीमित हो जाएगी,’

लेकिन इस हफ्ते की शुरुआत में अभय और दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय के बीच जींद रैली के लिए इनेलो द्वारा की जा रही तैयारियों को लेकर एक तीखी नोकझोंक हुई. दिग्विजय ने मंगलवार को जारी किए गये एक बयान में कहा ‘अभय का कहना है कि इनेलो की जींद रैली से जेजेपी सांस लेने के लिए तड़पते हुए अस्पताल पहुंच जाएगी, लेकिन सच्चाई तो यह है कि इनेलो ने उनके अहंकार और महत्वाकांक्षा के कारण ही अपनी पार्टी को वेंटिलेटर पर रखा हुआ है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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