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Friday, 22 November, 2024
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झारखंड चुनाव के आखिरी चरण का बचा है वॉर, परिणाम जानने को सभी बेकरार

सभी पार्टियां अंतिम दौर के लिए ताकत झोंक चुकी है. जल-जंगल-जमीन के मुद्दे से शुरू हुई राजनीति राम मंदिर, अनुच्छेद 370 के रास्ते होते हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी पर आकर खत्म हुआ है.

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रांची: झारखंड के 81 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है. जल-जंगल-जमीन के मुद्दे से शुरू हुई राजनीति राम मंदिर, अनुच्छेद 370 के रास्ते होते हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी पर आकर खत्म हो रही है. बीच में रोजगार, भूख से मौत, किसानों की मौत जैसे मसले भी एडजस्ट होते गए. अब 20 दिसंबर को पांच चरणों वाले चुनाव का आखिरी चरण होने जा रहा है.

सभी पार्टियां अंतिम दौर के लिए ताकत झोंक चुकी है. आलम यह है कि बीजेपी की तरफ से पीएम मोदी दो सभा, गृहमंत्री अमित शाह तीन सभा, राहुल गांधी की एक सभा, प्रियंका गांधी एक सभा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की दो सभा सहित जेपी नड्डा, शत्रुघ्न सिन्हा, बाबुल सुप्रियो, तेजस्वी यादव, सतपाल जी महाराज, रवि किशन की सभाएं हुई. इधर रघुवर, हेमंत, बाबूलाल, अर्जुन मुंडा और सुदेश महतो तो पहले दिन से ही लगे हुए हैं.

आखिरी चरण में कुल 16 सीटों पर मतदान होना हैं. इसमें राजमहल, बोरियो, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा, पोड़ैयाहाट, गोड्डा, महगामा की सीटें हैं.

इसके अलावा बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, शिकारीपाड़ा, जरमुंडी और सारठ सीटें शामिल हैं. खास बात ये है कि इन सात सीटों पर राज्य गठन के बाद अब तक हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी अपना खाता नहीं खोल पाई है. ये बात अलग है कि सारठ से जीते रणधीर सिंह पिछली सरकार में बीजेपी कोटे से मंत्री रहे. लेकिन वह जेवीएम के टिकट पर जीत कर आए थे. बाद में पाला बदल लिया था.

इस चरण में चुनाव लड़ रहे प्रमुख नेताओं पर नजर डालें तो नेता प्रतिपक्ष और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन (दुमका और बरहेट, जेएमएम), मंत्री लुईस मरांडी (दुमका, बीजेपी), कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम (पाकुड़, कांग्रेस), मंत्री रणधीर सिंह (सारठ, बीजेपी), पूर्व उप-मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी (महेशपुर, जेएमएम) पूर्व भाजपा अध्यक्ष ताला मरांडी (बोरियो, आजसू), प्रदीप यादव (पोड़ैयाहाट, जेवीएम) शामिल हैं.

कैसी रहेगी जेएमएम की राजनीति, यह संथाल तय करेगा

संथाल ही तय करेगा जेएमएम के आने वाले समय की राजनीति. क्योंकि संथाल परगना जेएमएम का गढ़ माना जाता रहा है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में आदिवासियों की संख्या 86,45,042 है. वहीं साल 2001 की जनगणना के मुताबिक राज्य में संथाली आदिवासियों की संख्या 24,10,509 है. यह कुल आदिवासी जनसंख्या का 34 प्रतिशत है. इस चरण के छह सीटों बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, महेशपुर, शिकारीपाड़ा और जामा की सीट पर संथाली आदिवासियों की संख्या 70 से 80 प्रतिशत है.


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पूर्व की तरह इस बार भी हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट दोनों जगहों से चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों ही जगहों पर पीएम मोदी ने जनसभा कर खुद उनके खिलाफ मोर्चा संभाला. हालांकि पिछली बार हेमंत दुमका सीट हार गए थे. जेएमएम के वरिष्ठ नेता और उपाध्यक्ष सुप्रिय भट्टाचार्य कहते हैं, ‘बीजेपी का डर देखिये कि हेमंत सोरेन के दोनों सीटों पर पीएम मोदी खुद प्रचार करने पहुंचे. यही हमारे लिए सबसे ज्यादा काम आनेवाला है. हम रघुवर दास को नहीं, अब पीएम मोदी को हराने जा रहे हैं.’

जेएमएम के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए ही बीजेपी ने अपने सभी बड़े नेताओं का कई बार दौरा करवाया है. बीजेपी के राज्य प्रवक्ता दीनदयाल बर्णवाल कहते हैं, ‘पहले तो सेंध लगाया है, इसबार वह घर से बाहर हो जाएंगे. क्योंकि खुद हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट दोनों जगहों से चुनाव हार रहे हैं.’ जानकारी के मुताबिक दुमका में बीजेपी के पूर्व मंत्री और दिग्गज नेता सरयू राय ने वहां पहुंच कर हेमंत के पक्ष में प्रचार किया है. इसपर बर्णवाल ने कहा कि, ‘अगर हेमंत पाकिस्तान से इमरान खान को भी बुला लेते हैं तो भी उनका कुछ नहीं होने वाला. हार तय है उनकी.’

आखिरी चरण में ही कुछ आदिम जनजाति के उम्मीदवार भी मैदान में है. वह भी हेमंत सोरेने के खिलाफ बरहेट विधानसभा सीट से. सीमोन मालतो बीजेपी के तरफ से उम्मीदवार हैं. वह सोरेया पहाड़िया आदिम जनजाति से आते हैं. इसके अलावा देवेंद्र देहरी (सीपीएम, लिट्टीपाड़ा), शिवचरण मालतो (टीएमसी, लिट्टीपाड़ा) से भाग्य आजमा रहे हैं.

ग्राम सभाओं में तय हो गया किसे देना है वोट

इन इलाकों में यहां वोट किसे देना है, तय करने के लिए ग्राम सभाओं में बैठक हो चुकी है. आदिवासी समाज में आज भी यह परंपरा चली आ रही है. बैठक में स्त्री-पुरुष दोनों ही मौजूद होते हैं. सबकी राय ली जाती है. करमाटांड पंचायत के मुखिया नरेन नादो कहते हैं, ‘ग्रामसभा की बैठक हो चुकी है. इसमें चुनाव को लेकर चर्चा हुई है. कहा गया कि पंचायत और आदिवासी समाज के हित में जो पार्टी है, उसी को मतदान करना है. हालांकि किसी खास पार्टी का नाम नहीं लिया गया. करमाटांड पंचायत लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में आता है.’

वहीं तोरई पंचायत के मुखिया और हिरणपुर ब्लॉक मुखिया संघ के अध्यक्ष एमानुएल मुर्मू कहते हैं, ‘हाल ही में ग्राम सभा बैठी थी. तय किया गया कि दोनों ही बड़ी पार्टियों को आजमा लिया गया है, किसी ने काम नहीं किया. इसलिए इसबार एक निर्दलीय प्रत्याशी मार्ग बास्की को समर्थन देने जा रहे हैं.’

संथालियों की धार्मिक न्यास ‘मांझी’ और ‘जाहेर’ थान से जुड़े दिगंबर मरांडी कहते हैं, ‘तय होता है बड़ी संख्या में लोग ग्रामसभा में हुए निर्णय के आधार पर ही वोट करते हैं. लेकिन हाल के वर्षों में गांव की राजनीति अलग तरह की होने लगी है. अब इस मौके पर ग्रामसभा की बात पूरी तरह लोग नहीं मानते हैं.’

वहीं पाकुड़ के स्थानीय पत्रकार रमेश भगत कहते हैं, ‘इसमें भी थोड़ा अंतर है. अगर किसी ग्रामसभा का प्रमुख ईसाई है और गांव में सरना आदिवासियों की संख्या ज्यादा है, तो ग्रामसभा में हुए किसी भी तरह के निर्णय का असर साफ देखा जा सकता है. यही असर दूसरी स्थिति में भी देखा जा सकता है.’


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ये एक संयोग ही है कि इस साल के साहित्य अकादमी अवार्ड की घोषणा प्रचार के आखिरी दिन ही की गई है. संथाली भाषा के लिए कालीचरण हेंब्रम को यह अवार्ड मिला है.

भजन-कीर्तन संग अभी तक चल रही है नए विधानसभा भवन की मरम्मती

बीते चार दिसंबर को 465 करोड़ की लागत से बने नए विधानसभा भवन में आग लग गई थी. विपक्षी नेताओं और पत्रकार दीर्घा सहित कुछ और जगहों पर आग लग गई थी. मरम्मती के लिए एक हजार मजदूर तो काम कर ही रहे हैं, साथ ही कीर्तन भी गाए जा रहे हैं. आग लगने के कारणों की जांच फिलहाल चल रही है.

इसका उद्घाटन पीएम मोदी ने चुनाव घोषणा से पहले किया था. लेकिन भवन को अभी तक सरकार को सौंपा नहीं गया था. इधर 23 को मतगणना होनी है, साथ ही नया विधानसभा भवन भी सौंपा जाना है. इसी दिन तय होगा कि कौन बनेगा विधायक और कौन विधायकों का मुखिया.

(आनंद दत्ता स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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