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Tuesday, 14 May, 2024
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झारखंड के संथाल परगना में मोदी-शाह ने क्यों झोंकी ताक़त, इसके पीछे बांग्लादेश है वजह

झारखंड के चारों चरण में बेरोज़गारी और आदिवासी मुद्दे प्रमुखता से छाये रहे पर इस चरण में राम मंदिर और नागरिकता संशोधन कानून बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

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नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 दिसंबर यानी शुक्रवार को वोटिंग होनी है. ट्वीटर पर राजद के तेजस्वी यादव ने इस बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा के चीफ हेमंत सोरेन को बधाई भी दे दी है. इस चरण में आने वाली 16 सीटें ऐसी हैं जो ‘संथाल परगना’ के नाम से जानी जाती है. संथाल परगना पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद ज़िलों से सटा हुआ है और बांग्लादेश के भी काफी करीब है. इसीलिए झारखंड के चारों चरण में बेरोज़गारी और आदिवासी मुद्दे प्रमुखता से छाये रहे पर इस चरण में राम मंदिर और नागरिकता संशोधन कानून बड़ा मुद्दा बना हुआ है.

इसके साथ ही प्रशासन यहां मुस्तैद है ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो. बता दें कि केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून के बाद दिल्ली, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर समेत कई हिस्सों में प्रदर्शन और पुलिसिया कार्रवाई एक साथ हो रहे हैं. झारखंड भाजपा के एक प्रवक्ता दिप्रिंट को बताते हैं, ‘झारखंड में घुसपैठियों की संख्या बहुत ज्यादा है. जब एनआरसी और सीएए लागू होगा तो सबसे ज्यादा फायदा झारखंड की जनता को ही होगा.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह झारखंड के अपने चुनाव प्रचार में लगातार अनुच्छेद 370, राम मंदिर और नागरिकता संशोधन कानून पर बोल रहे हैं. प्रधानमंत्री यहां बोल चुके हैं कि आग लगाने वालों को उनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है. वहीं अमित शाह झारखंड में बोल चुके हैं कि चार महीने में भव्य राम मंदिर बनेगा. ऐसे में सवाल उठता है कि स्थानीय मुद्दों की बजाय भाजपा के शीर्ष नेता राम मंदिर और घुसपैठियों का ज़िक्र बार-बार क्यों कर रहे हैं.


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भाजपा के एक अन्य प्रवक्ता दीनदयाल बर्णवाल इस पर कहते हैं, ‘देखिए संथाल परगना का मुख्य मुद्दा विकास है. लोग भाजपा के कामों के आधार पर ही वोट करेंगे. नागरिकता कानून को लेकर लोग आश्वस्त हैं कि भाजपा बाहरी घुसपैठियों को कानून के तहत निकालेगी. बंगाल से सटे ज़िलों में बांग्लादेश के लोग घुसे हुए हैं. अब भाजपा काम करके दिखाने में यकीन रखती है. राम मदिंर हो या अनुच्छे 370.’

झामुमो प्रमुख हेमंत सोरेन भी दिप्रिंट को कुछ ऐसा ही बताते हैं, ‘झारखंड में इस एक्ट को लेकर कोई उत्साह नहीं है. यहां स्थानीय मुद्दे हावी हैं. भले ही पीएम मोदी और अमित शाह इन मुद्दों पर ध्रुवीकरण करने की कितनी ही कोशिश कर लें. संथाल का मुख्य मुद्दा पीने का पानी है.’

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दोनों पार्टियों के मुताबिक अगर झारखंड शांत है तो नरेंद्र मोदी और अमित शाह इस एक्ट पर बोल क्यों रहे हैं?

दरअसल इस चरण के 6 ज़िलों में से पांच ज़िलें- देवघर, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुर और साहिबगंज में अल्पसंख्यक जनसंख्या अच्छी खासी मात्रा में है. साहिबगंज और पाकुर में तो लगभग एक तिहाई जनसंख्या अल्पसंख्यकों की है.

अमित शाह ने सोमवार को पाकुर में कहा था, ‘मीर जाफर जैसे गद्दारों की वजह से ब्रिटिश राज इस क्षेत्र में फैला. सिद्धो-कान्हो ने ब्रिटिशों के खिलाफ लड़ते हुए जान दे दी.’ हालांकि अमित शाह ने ये नहीं बताया कि मीर जाफर ने बंगाल के नवाब मीर कासिम से धोखा किया था और मीर जाफर और सिद्धो-कान्हो में लगभग सौ साल का फर्क था. अमित शाह ने ये कहा कि मीर जाफर आपका प्रतिनिधि नहीं बनना चाहिए.

यहां चारों तरफ इस बात की सरगरमी है कि संथाल परगना में बहुत से बांग्लादेशी रहते हैं. प्रधानमंत्री ने अपनी गोड्डा की रैली में कहा था कि घुसपैठियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोड्डा की अपनी रैली में कहा कि कांग्रेस के इरफान अंसारी तो अयोध्या में मंदिर नहीं बनायेंगे ना.

कांग्रेस ने भी अपना चुनाव प्रचार नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केंद्रित किया है. प्रियंका गांधी ने पाकुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘पीएम को चुनौती है, सीएनटी-एसपीटी (छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम – संथला परगना काश्तकारी अधिनियम) पर बोलें, दुष्कर्म और रोज़गार पर बोलें. उन्होंने यूपी के सोनभद्र में आदिवासियों के खिलाफ हुई हिंसा का भी ज़िक्र किया.’ हालांकि कांग्रेस के इस तरह के चुनाव से झामुमों के कई नेता खुश नहीं हैं. नाम ना छापने की शर्त पर एक नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘यहां स्थानीय मुद्दों की बात होनी चाहिए. दिल्ली वाले नेताओं की बयानबाज़ी से उल्टा नुकसान और हो जाता है.’


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गठबंधन और भाजपा के इतर आजसू पार्टी के नेता सुदेश महतो लगातार भाजपा और कांग्रेस दोनों पर हमले कर रहे हैं. उनका कहना है कि अब यहां ‘गांव की सरकार’ चाहिए.

गौरतलब है कि आदिवासी बहुलता वाले संथाल परगना में 2009 के चुनाव में झामुमो को 18 में से 10 सीटें मिली थीं. जबकि 2014 में 7 सीटें मिली थीं. हेमंत सोरेन खुद दो सीटों दुमका और साहिबगंज ज़िले की बरहैत सीट से लड़ रहे हैं. पिछली बार वो दुमका से हार गये थे. भाजपा को भी 7 सीटें मिली थीं. 3 सीटें कांग्रेस को और 2 सीटें बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा को मिली थीं. पर इस बार इस बेल्ट से झामुमो और कांग्रेस मिलकर लड़ रही हैं.

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