नई दिल्ली: नेशनल डेमोक्रेटीक अलायंस (एनडीए) में हुई सीटों के बंटवारे और कौन कहां से लड़ेगा की जानकारी देते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और सहयोगी भारती जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आपस में कोई गलतफ़हमी नहीं है.
जेडीयू 122 और बीजेपी 121 सीटें
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को एनडीए के सीटों के बंटवारे की घोषणा कर दी. उन्होंने कहा, ‘उम्मीदवारों के बारे में फ़ैसला कर लिया गया है. एनडीए गठबंधन के तहत जेडीयू को 122 सीटें मिली हैं. इसमें से जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को सात सीटें दी गई हैं. भारतीय जनता पार्टी के पास 121 सीटें मिली हैं. मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से सरकारात्मक बातचीत चल रही है. भाजपा अपने हिस्से से वीआईपी को सीटें देगी.’
हालांकि इस दौरान सीएम ने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान द्वारा लगातार उनके ऊपर किए जा रहे हमलों पर बिना चिराग का नाम लिए हुए कहा, ‘कोई क्या बोलता है उससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है.’
हालांकि नीतीश ने इस दौरान केंद्रीय मंत्री रामबिलास पासवान से अपने लगाव की बात जरूर कही, उन्होंने कहा, रामविलास पासवान जी जल्द ही स्वस्थ हों, हमारा उनसे पुराना लगाव है. कोई क्या बोलता है इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता.’
सीटों के बंटवारे के एलान के दौरान भाजपा के बिहार राज्य के अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल और डिप्टी सीएम सुशील मोदी समेत अन्य नेता भी मौजूद थे.
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हालांकि, संजय जयसवाल ने बार-बार ज़ोर देकर कहा कि नीतीश ही एनडीए के नेता हैं और एनडीए में वही रहेगा जो नीतीश को अपना नेता मानेगा. चिराग द्वारा किए जा रहे हमलों पर बिना नाम लिए नीतीश ने कहा कि जो बिना मतलब की बातें हो रही हैं उन्हें वो कोई तरजीह नहीं देते.
— Janata Dal (United) (@Jduonline) October 6, 2020
वहीं, मीडिया द्वारा जब एक सावल में पूछा गया कि क्या भाजपा को एलजेपी से संबंध तोड़ लेने चाहिए तो नीतीश ने कहा, ‘दो सीट वाले रामविलास पासवान बिना जेडीयू के समर्थन के राज्यसभा कैसे पहुंचते?’ मीडिया को लेकर उन्होंने कहा कि किसी के (लालू यादव की पार्टी) राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में शामिल होने पर उन्हें जेडीयू का नेता बताया जा रहा है जबकि वो जेडीयू के हैं भी नहीं.
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‘2005 से पहले कैसा था बिहार’
बिना नाम लिए नीतीश कुमार ने लालू यादव के कार्यकाल में बिहार की स्थिति पर भी खूब हमला किया. उन्होंने कहा कि बिहार वासियों को सब पता है, 2005 से पहले के 15 साल में बिहार कैसा था. हमें कुछ बताने की जरूरत नहीं है.
उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘तब सामूहिक नरसंहार होते थे, दंगे होते थे, सड़क तक नहीं थी, स्कूल नहीं चलते थे और यूनिवर्सिटी में शिक्षकों को समय से सैलरी नहीं मिलती.’
‘2005 के बाद बदला है बिहार’
2005 के बाद जब से हमारी सरकार आई है राज्य का विकास हुआ है. इस दौरान उन्होंने बजट से लेकर सड़क शिक्षा, बिजली की बदली स्थिति पर भी प्रकाश डाला.
नीतीश ने कहा, ‘हमने शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्रों में विकास का काम किया.’ कोरोना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में बिहार की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि सूबे में 10 लाख़ की आबादी पर राष्ट्रीय औसत की तुलना में 3000 ज़्यादा जांच हो रही है. उन्होंने कहा, ‘हमारे मृतकों की संख्या भी कम है और ठीक होने का प्रतिशत 93 है.’
लॉकडाउन के दौरान लगातार सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर राज्य पहुंचे रहे प्रवासी कामगरों को लेकर नीतीश सरकार की काफ़ी आलोचना हुई थी. आलोचना इस कारण भी हुई थी कि इन लोगों को ना सिर्फ़ ट्रांसपोर्ट से महरूम रखा गया बल्कि अपने राज्य में भी प्रवेश नहीं करने दिया गया.
प्रवासी समस्या को लेकर कुमार ने कहा, ‘मैं प्रवासी शब्द से सहमत नहीं हूं. हमने एक-एक परेशान व्यक्ति से संर्पक किया. 21 लाख़ लोगों को 1000-1000 रुपए दिए. केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक किसी को कहीं आने जाने की इजाज़त नहीं थी.’
उन्होंने कहा कि केंद्र की ऐसी गाइडलाइन के बावजूद राज्य में आने वालों को 14 दिनों तक क्वारेंटाइन किया गया और एक-एक व्यक्ति पर 5300 रुपए ख़र्च किए गए.
इस बीच डिप्टी सीएम मोदी ने कहा कि चुनावी नतीजों के बाद संख्याबल चाहे कुछ भी हो ‘सीएम नीतीश ही होंगे.’ बिना नाम लिए उन्होंने कहा कि चिराग पासवान की प्रतिक्रिया पर अनावश्यक ध्यान देने की ज़रूरत नहीं है और कहा कि रामविलास पासवान अगर स्वस्थ होते तो ये नौबत ही नहीं आती.
उन्होंने विपक्ष को ललकारते हुए कहा, ‘हिम्मत है तो विपक्ष बिजली, पानी, बाढ़ और कोरोना को मुद्दा बनाएं. हम तीन चौथाई बहुमत से फ़िर से बिहार में सरकार बनाएंगे.’
सूबे में भाजपा अध्यक्ष जयसवाल ने दावा किया कि बिहार में कोरोना से लड़ाई की सफ़लता सराहनीय है. उन्होंने भी सड़क, सुरक्षा और शिक्षा को बिहार के विकास का मूल आधार बताया. पूरे कॉन्फ्रेंस का ज़ोर नीतीश को गठबंधन का नेता बताने पर रहा. जयसवाल ने कहा, भाजपा और जेडीयू में अटूट गठबंधन. लोजपा सहयोगी थी लेकिन नीतीश ही हमारे नेता. एनडीए में वही रहेंगे जो नीतीश के नेतृत्व को स्वीकार करते हैं.’
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