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Sunday, 28 April, 2024
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विपक्षी दलों की बैठक में JD(S) को नहीं मिला न्यौता, कांग्रेस ने कहा- जिनमें लड़ने का साहस है वह आएंगे

बेंगलुरु में विपक्षी दलों का दो दिवसीय सम्मेलन चल रहा है. कांग्रेस के पूर्व सहयोगी कुमारस्वामी का कहना है कि आयोजकों ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया क्योंकि वे 'भ्रम' में हैं कि जेडी(एस) समाप्त हो गया है.

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बेंगलुरु: कांग्रेस शासित कर्नाटक में 24 विपक्षी दलों का दो दिवसीय सम्मेलन जारी है, ऐसे में पार्टी ने कहा कि जो कोई भी ‘सेक्युलर ताकतों’ में शामिल होना चाहता है, उसे निमंत्रण देने की कोई आवश्यकता नहीं है – माना जा रहा है कि यह बात कांग्रेस के पूर्व सहयोगी जनता दल (सेक्युलर) के संदर्भ में कही गई थी.

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबला करने का फैसला करने वाले 24 विपक्षी दलों के गठबंधन ने अभी तक जेडी(एस) को बैठक का हिस्सा बनने के लिए निमंत्रण नहीं दिया है.

इससे इस बात की अटकलें तेज़ हो गई हैं कि जेडी (एस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के करीब जा सकती है, जो कि मंगलवार को नई दिल्ली में सहयोगियों की अपनी बैठक आयोजित करने वाली है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “आमतौर पर, जो लोग तैयार हैं…जिनमें इस तानाशाही शासन के खिलाफ लड़ने का साहस है…वे हमारे साथ आते रहे हैं (रहेंगे)…उन्हें निमंत्रण की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है.”

बाद में, जेडी(एस) प्रमुख एच.डी. कुमारस्वामी ने संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी दलों ने उनके नेतृत्व वाली पार्टी को ध्यान में नहीं रखा. “आज की बड़ी विपक्षी बैठक के आयोजक इस भ्रम में हैं कि जेडी(एस) समाप्त हो गई है… इसलिए मैंने इस बात पर सोच-विचार नहीं किया कि हमें निमंत्रण मिला या नहीं.”

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दिलचस्प बात यह है कि जेडी(एस) के एक सूत्र ने बताया कि विपक्षी दलों का दो दिवसीय सम्मेलन मध्य बेंगलुरु के फाइव स्टार होटल ताज वेस्ट एंड में आयोजित किया जा रहा है, जहां माना जाता है कि कुमारस्वामी का एक स्थायी कमरा है.

2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश के बाद भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए कांग्रेस और जेडी(एस) एकजुट हो गए थे. जेडी(एस) के कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. मई 2018 में आयोजित उनके शपथ ग्रहण समारोह में कम से कम 15 राजनीतिक दलों के नेताओं ने भाग लिया था, जिसे विपक्ष द्वारा बड़े शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया था.

हालांकि, कांग्रेस-जेडी(एस) गठबंधन चौदह महीने से अधिक नहीं चल सका.

और अब जब कांग्रेस कर्नाटक में बहुमत के साथ सत्ता में वापस आ गई है, तो पार्टी आगे की बातचीत के लिए बेंगलुरु में विपक्ष के दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी कर रही है, जिसकी शुरुआत इस साल 23 जून को हुई थी, जब 15 विपक्षी दलों के नेता चर्चा के लिए पटना में मिले थे ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को चुनौती देने के लिए एक साझा मोर्चे का गठन किया जा सके.


यह भी पढ़ेंः ‘अनुशासनहीन पार्टी’, विपक्ष के नेता के बिना कर्नाटक का बजट सत्र शुरू, सिद्धारमैया ने BJP पर कसा तंज 


इस गठबंधन के घटक दलों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), आम आदमी पार्टी (एएपी), जनता दल (यूनाइटेड), झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी), जेएंडके पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), शिव सेना (यूबीटी), लेफ्ट और समाजवादी पार्टी (एसपी) समेत अन्य लोग शामिल हैं.

सोमवार को, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बेंगलुरु के ताज वेस्ट एंड में ‘गठबंधन’ सहयोगियों के लिए रात्रिभोज की मेजबानी की, जिसमें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के सीएम एम.के. स्टालिन, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल समेत लालू प्रसाद यादव, उद्धव ठाकरे और अखिलेश यादव शामिल रहे.

‘अभी भी वक्त है’: कुमारस्वामी

कांग्रेस और जेडी(एस) के बीच उतार-चढ़ाव भरे रिश्ते हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में एक-एक सीट पर सिमट जाने के बाद उनकी लंबे समय से चली आ रही प्रतिद्वंद्विता और बढ़ गई.

उस समय राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें जीतने में सफल रही थी.

इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में, 224 सदस्यीय विधानसभा में जेडी(एस) 19 सीटों पर सिमट गई, जबकि कांग्रेस को 135 और भाजपा को 66 सीटें मिलीं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने दक्षिणी कर्नाटक के पुराने मैसूरु क्षेत्र में जेडी(एस) के वोट शेयर में सेंध लगा ली है.

चूंकि जेडी(एस) ने अपने फायदे के लिए पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ गठबंधन कर चुकी है, इसलिए अगले साल आम चुनाव से पहले उसके भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ गठबंधन करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

जब कुमारस्वामी से सोमवार को पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी एनडीए में शामिल होगी तो उन्होंने कहा, “अभी वक्त है. ऐसा नहीं है कि मुझे किसी से निमंत्रण मिला है,…हमारी पार्टी शुरू से ही लड़ती रही है. लेकिन यह सभी चर्चाएं समय से पहले हैं क्योंकि (2024) चुनाव में आठ से नौ महीने बाकी हैं. हमें अभी भी इस पर विचार करना है,’

जेडी(एस) के लिए भी आगे की राह काफी कठिन है क्योंकि कुमारस्वामी और उनके भाई एच.डी. रेवन्ना ने पार्टी में अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, जिन्होंने पूर्व में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाई थी, उनकी शक्ति को काफी कम कर दिया है और अपने वर्चस्व के लिए लगातार लड़ रहे हैं.

यहां तक कि भाजपा के अंदर भी विधानसभा चुनावों के बाद से उसकी राज्य इकाई में मतभेद बढ़े हुए प्रतीत हो रहे हैं. यह पहली बार हो रहा है जब भाजपा के राज्य नेतृत्व के भीतर मतभेदों के कारण विधानसभा में विपक्ष का कोई नेता (एलओपी) नहीं है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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