हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की मां वाईएस विजयन ने उनकी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को छोड़ने का ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि वो अब अपना ध्यान अपनी बेटी वाईएस शर्मिला की सहायता करने में लगाएंगी, ताकि पड़ोसी तेलंगाना में उसकी चुनावी संभावनाओं को मज़बूती मिल सके.
पूर्व मुख्यमत्री स्वर्गीय वाईएस राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर) की पत्नी विजयम्मा, 2011 में युवाजन श्रामिका रैतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) की स्थापना के समय से ही उसके साथ रहीं थीं और उसकी मानद अध्यक्ष थीं.
शुक्रवार को गुंटूर में वाईएसआरसीपी की पार्टी बैठक में अपने फैसले का ऐलान करते हुए विजयम्मा ने कहा कि उन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ पर फैसला लिया है, जिसने उनसे कहा कि अब शर्मिला की सहायता करने का समय है, जो तेलंगाना में ‘अकेली लड़ रही है’ और काफी ‘मुश्किल दौर से गुज़र रही है’.
विजयम्मा ने कहा, ‘शर्मिला तेलंगाना में अकेली लड़ रही है और मुझे लगता है कि उसे मेरी जरूरत है. एक मां और वाईएसआर की पत्नी होने के नाते मुझे उसकी सहायता करनी है. मैं जगन के साथ थी जब वो मुश्किल दौर से गुज़र रहा था और अब मेरी अंतरात्मा की आवाज़ मुझे शांति से बैठने नहीं दे रही है, अगर मैं शर्मिला की सहायता नहीं करती, जब वो अकेली लड़ाई लड़ रही है और एक मुश्किल दौर से गुज़र रही है’.
पिछले साल जुलाई में शर्मिला ने अपने भाई की सहायता के बिना, के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) से टक्कर लेने के लिए वाईएसआर तेलंगाना पार्टी (वाईएसआरटीपी) के नाम से अपनी खुद की पार्टी शुरू की थी.
आंध्र प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने उस समय संकेत दिया था कि तेलंगाना में वाईएसआरसीपी को विस्तार देने के उनके सुझाव पर, जिसके जगन कथित रूप से खिलाफ थे, बहन-भाई में वैचारिक मतभेद थे.
शुक्रवार को विजयम्मा ने कहा कि साफ ज़ाहिर था कि दोनों के बीच मुद्दों को लेकर अलग-अलग रुख होंगे क्योंकि दोनों की अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियां हैं.
शुक्रवार को गुंटूर में 66 वर्षीय विजयम्मा ने अपने समर्थकों से कहा, ‘मैं जहां भी जाउंगी लोग मुझे वाईएसआर की पत्नी के नाते स्वीकार करेंगे लेकिन कुछ लोग हैं जो हमें बदनाम कर रहे हैं और परिवार के अंदर टकराव की अफवाहें उड़ा रहे हैं. इस तरह की आलोचनाओं को शांत करने और ऐसी तमाम अफवाहों का खंडन करने के लिए, मैंने वाईएसआरसीपी को छोड़ने का फैसला किया है. मुझे उम्मीद है कि आप सब मुझे माफ करेंगे’.
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अंदरूनी दरार?
शर्मिला ने, जिन्हें उनके भाई के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया था, कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है लेकिन उन्हें जगन के पूरे राजनीतिक सफर के दौरान उनके साथ खड़े हुए देखा गया था.
2013 में जब जगन भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर जेल में थे, तो 2014 के विधानसभा चुनावों से पहले, पार्टी के प्रचार के लिए शर्मिला ने आंध्र प्रदेश में एक पदयात्रा की थी और अपने भाई के दूर रहते हुए मोर्चा संभालने के लिए उनकी सराहना हुई थी.
शुक्रवार को विजयम्मा ने कहा, ‘जब जगन ने उस कठिन समय में (उनके जेल के समय की ओर इशारा करते हुए) शर्मिला से पदयात्रा पर निकलने के लिए कहा, तो वो तैयार हो गई और ‘जगह के तीर’ की तरह आप सबके पास आई थी.’
2019 के आंध्र विधानसभा चुनावों के दौरान भी शर्मिला ने जगन के लिए प्रचार किया था, जिसमें वाईएसआरसीपी को ज़बर्दस्त जीत हासिल हुई थी और उसने अपनी मुख्य विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देसम पार्टी (टीडीपी) को धूल चटा दी.
लेकिन, शर्मिला के अपनी खुद की पार्टी लॉन्च करने के ऐलान के बाद राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना था कि वाईएसआरसीपी के बीच अंदरूनी दरार पड़ना लाज़िमी था. उन्होंने ये भी कहा कि ये भाई-बहन के बीच घटती मुलाकातों से भी ज़ाहिर था, जो अक्सर एक साथ त्योहार मनाते थे.
पिछले सात सितंबर में, जब विजयम्मा ने हैदराबाद में अपने दिवंगत पति के लिए एक श्रद्धांजलि सभा रखी, तो शर्मिला उसमें मौजूद थीं लेकिन जगन उससे दूर रहे.
परिवार में दरार की अफवाहों का खंडन करते हुए विजयम्मा ने कहा कि उनका फैसला ‘कुछ ऐसे वर्गों’ की हरकतों से भी प्रभावित हुआ, जो परिवार को बदनाम करने की कोशिश में लगे हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ वर्गों में इस बात को लेकर चर्चाएं और आलोचना रही है कि मैं एक ही समय दो पार्टियों का कैसे समर्थन कर सकती हूं और उनका हिस्सा कैसे रह सकती हूं. इस तरह के मुद्दे मेरे सामने पहले कभी नहीं आए हैं. मैं दोनों की मां हूं और मैंने उनके भविष्य के लिए दोनों की मदद की’.
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‘भगवान की इच्छा’
विजयम्मा ने कहा कि तेलुगू लोग ‘वाईएसआर के दिल की धड़कन हैं’. ‘हमारे परिवार का समाज में ज़बर्दस्त सम्मान है. हम महान मूल्य और रिश्ते साझा करते हैं. शर्मिला को लगा कि उसके भाई को यहां आंध्र प्रदेश में कोई असुविधा नहीं होनी चाहिए, और तेलंगाना बहू होने के नाते शर्मिला वहां राजनीतिक मैदान में उतर गई’.
उन्होंने ये भी कहा कि किसी ने अपेक्षा नहीं की थी, कि उनके दोनों बच्चों की अलग अलग राज्यों में अपनी अपनी राजनीतिक पार्टियां होंगी, लेकिन उन्होंने इन परिस्थितियों को ‘भगवान की इच्छा’ मानकर स्वीकार कर लिया है.
विजयम्मा वाईएसआरसीपी के निशान पर दो बार चुनाव लड़ चुकी हैं.
2011 में उन्होंने वाईसआर परिवार के गढ़ पुलिवेंदुला से असेम्बली उपचुनाव लड़ा और जीत गईं. लेकिन तीन साल बाद, 2014 के लोकसभा चुनावों में विजयम्मा विशाखापटनम से हार गईं.
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