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Friday, 15 November, 2024
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पुराने नेता बनाम ‘टीम राहुल’, केरल में नए असंतोष की लड़ाई का सामना कर रही कांग्रेस

केरल जिला इकाई के अध्यक्षों की सूची को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, वरिष्ठ नेता ओमान चांडी और रमेश चेन्नीथला ने नेतृत्व पर उनसे परामर्श नहीं करने का आरोप लगाया है.

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छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़, पंजाब और राजस्थान के बाद कांग्रेस पार्टी को, अब अपनी केरल इकाई में असंतोष का सामना करना पड़ रहा है. केरल कांग्रेस में अंदरूनी लड़ाई छिड़ गई है और वरिष्ठ नेताओं ओमन चांडी तथा रमेश चेन्नीथला ने आरोप लगाया है कि पार्टी के नए ज़िला अध्यक्षों की नियुक्तियों में, उनसे परामर्श नहीं किया गया.

जवाब में केरल कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरन और केरल असेम्बली में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीषन ने, दोनों नेताओं की आलोचना करते हुए उनके दावों से इनकार किया और कहा है कि दोनों नेताओं को इन नियुक्तियों से अवगत कराया गया था.

सुधाकरन और सतीषन दोनों राहुल गांधी द्वारा नियुक्त किए गए और उनके प्रति निष्ठावान माने जाते हैं.

अप्रैल के केरल विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का चुनाव अभियान, काफी हद तक राहुल गांधी के कंधों पर था, इसलिए उनमें मिली हार को उनकी विफलता के तौर पर देखा गया था.

जून में, केरल प्रदेश इकाई के नेतृत्व में फेरबदल किया गया, जिसमें बतौर नेता प्रतिपक्ष चेन्नीथला की जगह सतीषन ने ले ली, और कुछ दिन बाद मुल्लापल्ली रामचंद्रन की जगह, केरल पीसीसी प्रमुख के तौर पर सुधाकरन को ले आया गया.

इस क़दम को कांग्रेस आलाकमान की ओर से, ‘गुटबाज़ी’ के खिलाफ संकेत के तौर पर देखा गया, दोनों नवनियुक्त नेताओं का ताल्लुक़ किसी गुट से नहीं था.

इस मुद्दे ने अब चांडी और चेन्नीथला दोनों को- जो पार्टी के दो गुटों कांग्रेस-(ए) और कांग्रेस (आई) की अगुवाई करते हैं- एक ही पाले में खड़ा कर दिया है. इसलिए सुधाकरन और सतीषन के खिलाफ उनके विद्रोह को, कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ एक बड़ी बग़ावत के तौर पर देखा जा रहा है.


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विवाद की शुरुआत

केरल कांग्रेस एक ऐसी प्रदेश इकाई है जिसमें में गुटबाज़ी का पुराना इतिहास रहा है. शनिवार को उसमें नया विवाद तब शुरू हुआ, जब सूबे के सभी 14 ज़िलों के लिए, ज़िला कांग्रेस कमेटी अध्यक्षों के नाम घोषित किए गए.

एक दिन बाद रविवार को चांडी और चेन्नीथला दोनों, उम्मीदवारों की सूची के खिलाफ खड़े हो गए, और उन्होंने कहा कि उनके सुझाए हुए किसी भी उम्मीदवार के नाम पर विचार नहीं किया गया है.

इसके साथ ही कई दूसरे पार्टी नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी सूची के खिलाफ खुले तौर पर आवाज़ उठाई, जिसके बाद उनमें से दो- केपी अनिल कुमार और के शिवदासन नायर- को अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया गया.

नेताओं का आरोप था कि केवल सुधाकरन, सतीषन और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल के सुझाए गए नामों पर ही विचार किया गया. रविवार को मीडिया से बात करते हुए सुधाकरन ने ऐसे सभी आरोपों का खंडन किया.

जब दिप्रिंट ने चांडी और चेन्नीथला से उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया, तो दोनों नेताओं ने कहा कि वो अपनी बात पर क़ायम हैं, और इस मामले में उन्हें और कुछ नहीं कहना है.

‘एक भी योग्य उम्मीदवार नहीं’- निलंबित कांग्रेस नेता

रविवार को स्थानीय टीवी चैनलों से बात करते हुए, चांडी ने कहा था कि ये पुनर्गठन एक ‘बेहतर माहौल’ में किया जा सकता था, अगर ‘केपीसीसी नेतृत्व ने हर किसी से परामर्श किया होता’.

उन्होंने कहा था, ‘मेरा नाम एक ऐसे प्रक्रिया में घसीटा गया, जिसमें मेरा कोई दख़ल नहीं था’.

चेन्नीथला ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि इस मामले पर उनके साथ कोई बातचीत नहीं हुई. लिस्ट जारी किए जाने से एक सप्ताह पहले ही सुगबुगाहट शुरू हो गई थी कि यदि चेन्नीथला के नामित उम्मीदवारों पर विचार नहीं किया गया तो पार्टी काडर के भीतर विद्रोह हो सकता है.

उसके बाद कुमार और नायर को निलंबित कर दिया गया, जिससे रोष और बढ़ गया.

एक पूर्व प्रदेश महासचिव कुमार ने दिप्रिंट से कहा कि उन्हें ‘सिर्फ उनकी ईमानदारी की सज़ा दी गई है’.

कुमार ने कहा, ‘हर जिले में ऐसे नेता मौजूद हैं जो चुने गए नेताओं की अपेक्षा, डीसीसी प्रमुख बनने के कहीं अधिक योग्य हैं. गोपीनाथ इतने लंबे समय पलक्कड़ के डीसीसी प्रमुख रहे थे; उनका एक व्यापक जनाधार है. लेकिन पार्टी ने उन्हें बिल्कुल किनारे कर दिया’.

कुमार वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पलक्कड़ के पूर्व डीसीसी प्रमुख एवी गोपीनाथ की बात कर रहे थे, जिन्होंने सूची से जुड़े विवाद को लेकर सोमवार को पार्टी छोड़ दी, और उसके साथ अपना पांच दशकों का नाता तोड़ लिया.

कुमार ने आगे कहा, ‘अगर सात साल तक सीएम रहे चांडी और 10 साल तक पीसीसी प्रमुख रहे चेन्नीथला ने सूची की आलोचना की है, तो निश्चित रूप से उसमें कुछ ग़लत है. सुधाकरन और सतीषन दोनों अपने फरमानों से पार्टी को तबाह कर देंगे’.

अपने अस्थाई निलंबन के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘मैं केवल टीवी चैनलों के पास गया और अपनी राय ज़ाहिर कर दी. कांग्रेस नेतृत्व कहता है कि हमें ये शिकायतें पार्टी के मंच पर रखनी चाहिए, लेकिन पार्टी मंच कहा है? कोई मंच नहीं है’.

‘परामर्श किया गया’: सुधाकरन का चांडी, चेन्नीथला पर निशाना

सुधाकरन ने पार्टी के भीतर शीर्ष नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के विरोध की तीखी आलोचना की है.

दिल्ली में रविवार को मीडिया से बात करते हुए, सुधाकरन ने इन सभी आरोपों का खंडन किया कि चांडी और चेन्नीथला से परामर्श नहीं किया गया.

उन्होंने कहा, ‘ओमान चांडी और चेन्नीथला के साथ दो बार बातचीत की गई थी’.

उन्होंने ये भी कहा कि दोनों नेताओं के विचारों पर ग़ौर किया गया और उनके सुझावों को शामिल किया गया- उन्होंने अपनी एक डायरी भी दिखाई, जिसमें चांडी और चेन्नीथला की ओर से सुझाए गए नाम लिखे हुए थे.

उन्होंने आगे कहा कि ख़ुद चांडी और चेन्नीथला ने, कभी सलाह मशविरा और बातचीत करने की प्रथा का पालन नहीं किया.

दि न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सुधाकरन ने कहा कि, ‘पहले दो गुटों ने ज़िलों को आपस में बांट रखा था. सीटों को अंतिम रूप देने से पहले, उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों के साथ कब बातचीत की? पहले वो ये तो बताएं’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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