नई दिल्ली: झारखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान ने कांग्रेस और वाम दलों के बीच संबंधों को काफी हद तक खराब कर दिया है. अब कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल पर यह आरोप लगा रही है कि वह सामंजस्य की भावना न दिखाकर इंडिया ब्लॉक को कमजोर कर रही है.
दिप्रिंट से बात करते हुए दो प्रमुख वामपंथी दलों- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के डी. राजा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के दीपांकर भट्टाचार्य- के महासचिवों ने कहा कि जब तक कांग्रेस अपना दृष्टिकोण नहीं बदलती, विपक्षी ब्लॉक की पूरी क्षमता का दोहन नहीं किया जा सकता.
झारखंड और महाराष्ट्र में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं पश्चिम बंगाल में छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे.
पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों और कांग्रेस ने पहले ही उम्मीदवारों की अलग-अलग सूची की घोषणा कर दी है, जिससे 2024 के लोकसभा चुनावों के वक्त जो चीज़ पर्दे के पीछे थी वह सामने आ गई है.
झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने सीपीआई के साथ कोई भी सीट साझा करने से इनकार कर दिया है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या सीपीआई (एम) ने अपने दम पर नौ सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
सीपीआई (एमएल) एकमात्र वामपंथी पार्टी है जो इंडिया ब्लॉक के छत के तले चुनाव लड़ रही है, लेकिन उसे दी जा रही सीटों की संख्या से वह नाराज है.
भट्टाचार्य ने दिप्रिंट से कहा, “बड़े हितों के लिए हम इंडिया ब्लॉक का हिस्सा बने रहेंगे, लेकिन जिस तरह से जेएमएम और कांग्रेस ने सीट बंटवारे को संभाला है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. यहां तक कि आरजेडी (इंडिया ब्लॉक की सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल) भी खुश नहीं है. वे हमें चार सीटें दे रहे हैं. लेकिन ऐसी ही एक सीट धनवार में जेएमएम ने यह कहते हुए उम्मीदवार खड़ा किया है कि यह दोस्ताना मुकाबला होगा. उनकी अपनी मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन हमारी भी अपनी मजबूरियां हैं. हम पांच सीटों पर उम्मीदवार उतार सकते हैं.”
धनवार में सीपीआई (एमएल) का मजबूत आधार है. पार्टी ने 2014 के विधानसभा चुनावों में यह सीट जीती थी और 2019 में भाजपा से तीसरे स्थान पर रही थी.
भट्टाचार्य ने कहा कि हजारीबाग, पलामू, रांची, मानभूम और सिंहभूम पठारों वाले छोटा नागपुर संभाग में कम से कम आठ सीटों पर भाकपा (माले) को चुनाव लड़ने की अनुमति देकर इंडिया ब्लॉक को लाभ हो सकता था. राजा ने कहा कि कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने उनसे “सामान्य तौर पर” कहा था कि वह पार्टी के राज्य नेतृत्व को भाकपा को साथ लेकर चलने का निर्देश देंगे.
राजा ने कहा, “लेकिन झारखंड में भी हरियाणा की तरह ही बातचीत विफल रही है. कांग्रेस को यह नहीं भूलना चाहिए कि सिर्फ एक पार्टी से भारत का निर्माण नहीं होता. गठबंधन शब्द नाम में ही है. पार्टियां एक साथ हैं क्योंकि वे कुछ सिद्धांतों को साझा करती हैं.”
भट्टाचार्य ने दिप्रिंट से कहा कि कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि गठबंधन सिर्फ सीटों के बंटवारे के बारे में नहीं है, बल्कि संयुक्त कैंपेन चलाने के बारे में भी है. उन्होंने तर्क दिया कि हरियाणा में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि वह ऐसा कैंपेन तैयार करने में असमर्थ रही जो न सिर्फ उसकी आवाज को बल्कि सहयोगियों की आवाज को भी दर्शाता हो.
कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी के बावजूद भाजपा ने इस महीने हरियाणा में लगातार तीसरी बार जीत हासिल की.
भट्टाचार्य ने कहा, “साथ ही, याद रखें कि झारखंड में सिर्फ़ आदिवासी ही नहीं हैं. यहाँ एक बड़ा मज़दूर वर्ग है, ख़ास तौर पर उन इलाकों में जहाँ मैंने ज़िक्र किया, जहाँ वामपंथी लोकप्रिय हैं. बिहार में भी लोगों को हमारी ताकत का एहसास चुनावों के बाद ही हुआ. अगर हमारी क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं किया गया, तो इंडिया ब्लॉक एक अधूरा विचार बनकर रह जाएगा.”
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव (झारखंड) डॉ. सिरिवेल्ला प्रसाद ने कहा कि वामपंथियों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुलझाया जाएगा और “चीजें आसानी से सुलझ जाएंगी”.
प्रसाद ने दिप्रिंट से कहा, “इसका उद्देश्य गठबंधन की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करना है. सभी मुद्दों का समाधान किया जाएगा.”
‘इंडिया ब्लॉक सरकार बना सकता था’
राजा और भट्टाचार्य, सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी के साथ, जिनका पिछले महीने निधन हो गया, जून 2023 से पटना में शुरू होने वाली इंडिया ब्लॉक की सभी संयुक्त बैठकों में नियमित रूप से शामिल रहे हैं. राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के कारण येचुरी को कांग्रेस और वाम दलों को एक साथ जोड़ने वाले गोंद के रूप में देखा जाता था.
हालांकि, राजा ने कहा कि यह धारणा कि लोकसभा चुनावों तक इंडिया ब्लॉक में वामपंथी दलों को मान्यता दी गई थी, तथ्यों से मेल नहीं खाती.
राजा ने दिप्रिंट से कहा, “केवल तमिलनाडु और कुछ हद तक बिहार में समन्वय था. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने राजनीतिक समझ और परिपक्वता का परिचय दिया और इसका नतीजा 100 प्रतिशत रहा. अगर कहीं और सहयोग होता, तो कौन जानता है, इंडिया ब्लॉक भी सरकार बना सकता था.”
महाराष्ट्र में, सीपीआई को एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के कोटे से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन में एक सीट मिलने की उम्मीद है.
झारखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान भी सीपीआई (एमएल) को छोड़कर वामपंथी दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. सीपीआई (एम) के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी ने झारखंड में जेएमएम-कांग्रेस से सीटें नहीं मांगी हैं, लेकिन महाराष्ट्र में एमवीए के तहत दो निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ने की संभावना है.
हरियाणा में सीपीआई(एम) को चुनाव लड़ने के लिए एक सीट दी गई है. सीपीआई(एम) नेता सुभाषिनी अली ने इस सप्ताह की शुरुआत में एएनआई से कहा था कि “कांग्रेस को अपनी क्षमता से ज़्यादा सीटें मांगने की आदत है.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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